- January 29, 2016
कोई सा हो काम, निर्धारित समय में ही करें – डॉ. दीपक आचार्य
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इंसान की जिंदगी है छोटी सी, और बड़े-बड़े कामों की सोच रखते हैं लेकिन कर नहीं पाते। उल्टे कामों के बोझ को लेकर तनावों से जूझना पड़ता है और समस्याओं से दो-चार होने की मजबूरी हमेशा सामने बनी रहती है सो अलग।
यों देखा जाए तो सभी के लिए समय सीमित है। काल आज तक किसी का नहीं हुआ है, न किसी का होगा कभी। आदिकाल से यही सब चला आ रहा है और यों ही चलता रहने वाला है।
समय और इंसान की जिन्दगी दोनों का साथ-साथ चलना जरूरी है। हम सभी को चाहिए कि जिन्दगी को अच्छी तरह चलाने और पूरा आनंद पाने के लिए समय को सम्मान दें और उसी के अनुरूप अपने आपको ढालें।
समय को कोई भी अपने हिसाब से ढालने में समर्थ नहीं है, विधाता भी यह नहीं कर सकता, फिर हम इंसानों की तो बिसात ही क्या है।
समय के शाश्वत सत्य से जो वाकिफ हो जाता है वही दुनिया में अपने आपको कुछ अलग दिखाता हुआ जीवन के लक्ष्यों को पा सकता है।
जो खुद को समय के अनुरूप नहीं ढाल पाता, उसे समय मुख्य धारा से हटा कर अलग कर देता है। समय की अवहेलना करने वाला इंसान जिन्दगी के हर मामले में असफल रहता है और उसे अपने आप पर तब तक पछतावा बना रहता है जब तक कि प्राणान्त न हो जाए।
इसके साथ ही ऎसे लोग वर्तमान में भी निन्दा के पात्र होते हैं और मृत्यु के बाद भी। इनके जीवन से यश, दीर्घायु और आरोग्य पलायन कर जाता है। दुनिया का सबसे बड़ा और समझदार इंसान वही है जो समय को पहचानता है, समय का सम्मान करता है और अपने सारे कार्य समय पर करता है।
यह तय मानकर चलें कि हर काम के लिए हर कोई समय नहीं रहता और न ही कोई सा काम किसी समय की प्रतीक्षा करता है।
समय सभी के लिए बराबर उपलब्ध है। समय की नब्ज़ जो इंसान अच्छी तरह पहचानता है उसकी नब्ज़ ताजिन्दगी दुरस्त रहती है। अधिकांश लोगों को जिंदगी भर यही शिकायत रहती है कि समय नहीं मिलता क्या करें।
पर यह बात बेमानी ही लगती है क्योंकि इन लोगों के पास जो समय उपलब्ध रहता है उसका भी वे पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसके लिए उनके कामों व उपलब्ध समय का मूल्यांकन किया जाए तो साफ-साफ पता चलेेगा कि इनका अधिकांश समय बिना किसी उपलब्धि के फिजूल ही व्यतीत होता रहता है।
ये लोग केवल काम टालने के लिए ही समय न होने के बहाने बनाते रहते हैं जबकि हकीकत में ऎसा है नहीं इनमें से कुछ लोग तो अपने स्वार्थ को ही देखकर काम करते हैं।
हमारे जीवन की समस्याओंं, तनावों और दुःखों का एकमात्र कारण यही है कि हम समय के साथ नहीं चलते, समय का समुचित प्रबन्धन नहीं जानते हैं और हमेशा इसी बात का रोना रोते रहते हैं कि उन्हें समय नहीं मिलता।
कई बार हम अपने कामों को उल्टा-पुल्टा कर दिया करते हैं। अपने कार्यस्थलों के समय में घर और निजी कामों में रमे रहते हैं जबकि जो घर परिवार वालों के लिए होता है उस समय में कार्यस्थलों के काम करते रहते हैं।
अधिकांश कामकाजी लोगों के परम दुःख, तनावों और बीमारियों का यही एकमात्र कारण होता है और इस कारण ये लोग हमेशा अपने आपको परेशान महसूस करते रहते हैं।
घर, परिवार और समाज के कामों और कार्यस्थलों के कामों को उनके निर्धारित समय में ही पूरे करें, इसी से शांति और सुकून प्राप्त हो सकता है।
अपनी ड्यूटी या काम-धंधे के वक्त में पूरा मन लगाकर कर्तव्य कर्म को पूरा करें और जो समय घर-परिवार और सामाजिक कार्यों के लिए होता है उस समय में ड्यूटी से संबंधित कामों से दूर रहें।
ड्यूटी की पूरी अवधि में ड्यूटी ही करें और इसके बाद अपने आपको घर-परिवार एवं समाज के लिए समर्पित करें। इस मामले में आत्म अनुशासन ही सर्वाधिक प्रभावी एवं कारगर है।