- January 22, 2016
सरपंचों को मानदेय के पैसे नहीं :: सड़कों पर चलने से पशु भी कतराते है
कैथल, 22 जनवरी (राजकुमार अग्रवाल) — प्रदेश सरकार के द्वारा अपने पुराने सरपंचों को देने के लिये मानदेय है ही नही तो फिर अब हाल में ही चुने गये नये सरपंचों व पंचों को मानदेय कहां से देगी। पाई की सरपंच इन्द्रावती के पति बलबीर सिंह फौजी, धुन्ध रेडी के सरपंच विनोद आदि सहित कई सरपंचों ने बताया कि प्रदेश सरकार के द्वारा प्रदेश में से पंचायतों को 25 जुलाई को बंद किया गया था। उस समय तक उनका पिछले आठ माह का मानदेय बकाया है।
यह मानदेय अभी तक न तो पंचों को मिला और नही सरपंचों को। जबकि कार्यकाल समाप्त हुये भी छ माह हो गये है। उन्होंने प्रदेश सरकार से पूछा है कि क्या सरपंचों व पंचों के लिये उनका पिछला आठ माह का मानदेय देने के लिये खजाना खाली है। उन्होंने एक और हैरान करने वाला खुलासा किया कि उनका इससे पहले पूरे जिला कैथल के जिला परिषद्, ब्लाक समिति के सदस्यों, सरपंचों व पंचों सभी का पूरे दो महीने का मानदेय जिले में हुये एक अधिकारी के घोटाले की भेंट चढ़ चुका है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उन सभी का उस समय मानदेय आया था।
मानदेय आने पर जिले के एक अतिरिक्त अधिकारी के द्वारा एक बहुत बड़ा घपला किया गया था। इस घपले में उन सभी का मानदेय भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जब उस अधिकारी को सरकार के द्वारा रखा हुआ था, तो उसके नफे- नुकसान का जिम्मेवार भी सरकार को ही होना चाहिये। उनके द्वारा किये गये घोटाले के चलते उनका मानदेय रोकना गलत है। जब उनको कुछ पता ही नही तो उनसे यह अवैध घोटाले की वसूली उनके मानदेय में से कैसे रोकी जाये। उन्होंने बताया उनका आठ और इन दो महीनों का, कुल दस महीनों का मानदेय बकाया है। इस बारे में कैथल के कार्यकारी डी डी पी ओ राजेश दुग्गल से जाना चाहा तो उन्होंने सरकार मामला कह कर कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
सड़कों पर चलने से पशु भी कतराते है ——– जिले के सबसे बड़े गांव पाई, जो दो बार आदर्श गांव घोषित हो चुका है, उसकी सड़कों पर आदमी तो क्या पशु भी चलने से कतराते है। इतना ही नही यह गांव विधायक दिनेश कौशिक के द्वारा गोद लिया हुआ है। गोद लेने के बाद से इन्होंने इसकी तरफ देखा नही। सिर्फ सरकार द्वारा घोषणा के कारण सिर्फ काना पूर्ति के लिये गोद लेकर यह दिखा दिया कि वे भी किसी से कम नही।
ग्रामीण सुभाष, गुरनाम, जगदीश, रामफल आदि अनेक लोगों ने बताया कि गांव पाई की प्रत्येक गली में नालियों का गंदा पानी बहता रहता है। कई गलियां तो तालाब बन चुकी है। जिनसे पैदल मनुष्य निकल नही सकता। इतना ही नही सर्दी व बदबू के चलते इनसे पशु भी गुजरने से कतराते है। गांव की कई गलिया तालाब बनने के कारण बंद पड़ी है। जिस कारण से लोगों को दूर से घूम फिर का आना- जाना पड़ता है।
रात के समय स्थिति और अधिक खराब हो जाती है। कई बार तो जब दूर के स्थानों से गांव में रात के समय मेहमान आते है, तो उनके कपड़े गंदे पानी से भीगे हुये होते है। उन्होंने बताया कि गांव में कई सफाई कर्मचारी जिला प्रशासन के द्वारा रखे हुये है। वे न तो गांव की नालियां साफ करते और न ही कीचड़। वे सरकार से बिना किसी कार्य के नौकरी कर रहे है।