- January 21, 2016
पीवी विद्युत परियोजनाओं की स्थापना को मंजूरी
पेसूका —————– प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने निर्माण, स्वामित्व और परिचालन आधार पर 5000 मेगावॉट से अधिक की ग्रिड से जुड़ी सौर पीवी विद्युत परियोजनाओं की स्थापना को अपनी मंजूरी दे दी है। यह कार्य जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के चरण-2 के बैच-4 के अधीन व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) के साथ सौर ऊर्जा डिवेलपर्स (एसपीडी) द्वारा लागू किया जाएगा। इस योजना के अधीन कुल निवेश लगभग 30,000 करोड़ रूपये का होने की उम्मीद है।
इससे चार वित्तीय वर्षों अर्थात 2015-16, 2016-17, 2017-18, 2018-19 के दौरान 1250 मेगावॉट प्रत्येक की क्षमता के 4 खंडों में ग्रिड से जुड़ी सौर पीवी विद्युत उत्पादन परियोजना की 5000 मेगावॉट अतिरिक्त क्षमता का उत्पादन करने में मदद मिलेगी। इससे प्रत्येक पर्यावरण वर्ष में 8.525 मिलियन टी कार्बनडाईऑक्साइड उत्सर्जन कटौती करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग 30,000 लोगों को रोजगार जुटाने में मदद मिलेगी।
निविदाएं विशेष राज्य की मांग पर राज्य विशिष्ट आधारित होंगी। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश, विद्युत वितरण कंपनियां, राज्य जनोपयोगी सेवा इससे लाभान्वित होंगी। इससे राज्यों में रोजगार और बुनियादी ढांचा जुटाने में भी सहायता मिलेगी। 5000 मेगावॉट सौर पीवी संयंत्रों की स्थापना से एक साल में लगभग 8300 मिलियिन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। जिससे 2.5 मिलियन परिवारों की विद्युत की जरूरत पूरी होगी।
5000 मेगावॉट क्षमता की सौर परियोजनाओं के लिए वीजीएफ उपलब्ध कराने के लिए 5050 करोड़ (1.0 करोड़ रूपये प्रति मेगावॉट) रूपये की अनुमानित निधियों की जरूरत पड़ेगी। इसमें भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एससीआई) के कुल अनुदान निपटान की एक प्रतिशत की दर से रखरखाव प्रभार और 750 मेगावॉट, 2000 मेगावॉट और 5 हजार मेगावॉट की सभी तीन वीजीएफ योजनाओं के लिए सुरक्षा प्रणाली के भुगतान की 500 करोड़ रूपये की राशि भी शामिल हैं।
निवेश की चरणवार स्थिति इस प्रकार अनुमानित हैं-
वर्ष
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कुल (करोड़ रूपये में)
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एसईसीआइ्र के लिए एक प्रतिशत की दर से रखरखाव और निगरानी प्रभार (रूपये करोड़ में)
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कुल आवश्यक निधि (रूपये करोड़ में)
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2015-16
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500.00
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5.00
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505.00
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2016-17
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1125.00
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11.25
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1136.25
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2017-18
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1125.00
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11.25
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1136.25
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2018-19
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1125.00
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11.25
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1136.25
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2019-20
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1125.00
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11.25
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1136.25
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कुल
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5000
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50.00
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5050.00
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वीजीएफ की ऊपरी सीमा एक करोड़ रूपये प्रति मेगावॉट है। अगर कुल वीजीएफ लागत में बचत होती है, तो 5000 मेगावाट की क्षमता में बढ़ोतरी की जा सकती है। व्यवहार्यता गैप-फंडिंग (वीजीएफ) योजना सौर ऊर्जा डिवेलपर्स द्वारा निर्माण, स्वामित्व और परिचालन के आधार पर 5000 मेगावॉट क्षमता से अधिक की ग्रिड से जुड़ी सौर विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए लागू की जाएगी। इसके लिए खुली और पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोलियां आमंत्रित की जाएंगी, ताकि पहले वर्ष के लिए 4.93 रुपये प्रति किलोवाट अवर की पूर्व निर्धारित दर पर सौर विद्युत उपलब्ध कराई जा सके। यह सारा प्रयास ग्रिड से जुड़ी सौर परियोजनाओं के लिए सरकार की वित्तीय मदद को लगातार कम करना है, क्योंकि सौर विद्युत की लागत कम आती है।
यह योजना एमएनआरई दिशा-निर्देशों के अनुसार एसईसीआई द्वारा लागू की जाएगी। एससीसीआई-ई बोली के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मक बोलियों के आधार पर परियोजनाओं की स्थापना के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करने हेतु आवश्यक बोली दस्तावेजों को तैयार करेगा। एससीसीआई चुनिंदा डेवेलपर्स के साथ विद्युत क्रय अनुबंध (पीपीए) करेगा और विद्युत खरीदने वाली एजेंसियों के साथ विद्युत बिक्री अनुबंध (पीएसए) करेगा।
वीजीएफ सहायता के प्रावधान के लिए एमएनआरई को आवश्यक निधियां वित्त मंत्रालय द्वारा परिचालित राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि(एनसीईएफ) से उपलब्ध कराई जाएंगी। 5000 मेगावॉट में से कुछ क्षमता भारत में निर्मित सौर पीवी सेल्स और मॉडयूल्स की अनिवार्य शर्त पर विकसित की जाएगी। इसे घरेलू सामग्री जरूरत (डीसीआर) श्रेणी कहा जाएगा और शेष क्षमता खुली श्रेणी में होगी।
इस परियोजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं –
क. परियोजना के स्थान – यह परियोजनाएं अलग एमएनआरई योजनाओं के तहत विकसित किये जाने वाले सौर पार्कों और अन्य स्थानों में भी स्थापित की जाएंगी। इन स्थानों का चयन स्वयं बोलीदाता करेंगे।
ख. पीपीए पर हस्ताक्षर होने की तिथि से 13 महीनों की अवधि में कार्य शुरू किया जाएगा।
ग. निधियों की उपलब्धता की शर्त पर काम शुरू होने के तुरंत बाद एमएनआरई सौर विद्युत डेवेलपर्स में वितरित करने के लिए एसईसीआई को 100 प्रतिशत वीजीएफ उपलब्ध कराएगा।
घ. प्रतिस्पर्धात्मक बोली के कारण वीजीएफ की 5050 करोड़ राशि में बचत होगी। इस स्थिति में कुल क्षमता बढ़कर 5000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी, ताकि 750 मेगावॉट, 2000 मेगावॉट और 5000 मेगावॉट की सभी 3 वीजीएफ योजनाओं के लिए सुरक्षा प्रणालियों के रख-रखाव के लिए की जाने वाली 500 करोड़ रुपये की अनुदान राशि के बाद 5050 करोड़ रुपये की वीजीएफ में अधिकतम क्षमता स्थापित की जा सकेगी। बोलीदाताओं को त्वरित मूल्य ह्रास, रियायती सीमा शुल्क और उत्पादन शुल्क, कर अवकाश जैसे वित्तीय प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे। किसी भी बोलीदाता को एडी और वीजीएफ दोनों का दावा करने की अनुमति नहीं होगी।
5000 मेगावॉट सौर पीवी परियोजनाओं का चयन राज्य विशिष्ट वीजीएफ योजना के अधीन होगा और ये परियोजनाएं केन्द्रीय तथा राज्य एजेंसियों के समन्वित प्रयास से विकसित विभिन्न राज्यों के सौर पार्कों में स्थापित की जाएंगी। एसईसीआई चुनिंदा सौर पीवी संयंत्रों से पूर्व निर्धारित दर सूची पर बिजली खरीदेगा और 25 वर्षीय विद्युत बिक्री अनुबंधों (पीएसए) के अधीन इच्छुक राज्य संस्थाओं/विद्युत वितरण कंपनियों को लागू मूल्य दरों पर बेचेगा।
राज्य सरकारें समयबद्ध तरीके से आवश्यक अनुमोदन और स्वीकृतियां प्राप्त करने में मदद देने के लिए राज्य स्तर की एजेंसी की नियुक्ति करेंगी, ताकि निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत ये परियोजनाएं शुरू होने का लक्ष्य अर्जित कर सकें।