बच्चों को एक-दूसरेे राज्य की भाषाओं की सामान्य जानकारी देने का निर्णय

बच्चों को एक-दूसरेे राज्य की भाषाओं की सामान्य जानकारी देने का निर्णय

संविधान में उल्लेखित भाषाओं का दिया जाएगा परिचयात्मक सामान्य ज्ञान
छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण में ओड़िया भाषा की सामान्य जानकारी देने का निर्णय
इसके लिए अलग से कोई पाठ्यक्रम या पुस्तक निर्धारित नहीं, कोई परीक्षा भी नहीं
एक से 20 तक गिनती, सामान्य बोलचाल के कुछ शब्दों और स्थानीय तीज-त्यौहारों, रीति-रिवाजों की दी जाएगी जानकारी

छत्तीसगढ —————————-   स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप छत्तीसगढ़ में भी कक्षा पहली से 12वीं तक के बच्चों को भारतीय संविधान में उल्लेखित भाषाओं से परिचित कराने के लिए इन भाषाओं की सामान्य जानकारी चरणबद्ध ढंग से देने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने केन्द्र सरकार की यह एक नई , सार्थक और सकारात्मक पहल है।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग छह महीने पहले पिछले वर्ष 22 जून को नई दिल्ली में सर्वशिक्षा अभियान की समीक्षा के दौरान राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की दृष्टि से प्रत्येक राज्य को अपने राज्य के बाहर की किसी एक भाषा का जो संविधान में उल्लेखित हो, एक वर्ष तक के लिए उस भाषा और संस्कृति से बच्चों को परिचित करने का सुझाव दिया था, ताकि देश की विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से परिचित कराते हुए विविधता में एकता की भावना को सुदृढ़ बनाया जा सके। प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया था कि उस भाषा के प्रचलन वाले राज्य में संबंधित राज्य के बच्चों, शिक्षकों और अधिकारियों का शैक्षणिक भ्रमण भी कराया जाए। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) ने नई दिल्ली से 14 अगस्त 2015 और 19 अक्टूबर 2015 को जारी परिपत्रों में तथा विभिन्न बैठकों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से भी राज्यों को दिशा-निर्देश दिए गए है और प्रयासों तथा प्रगति की जानकारी चाही गई है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण में ओडिया भाषा को लिया गया है। ओड़िशा चंूकि छत्तीसगढ़ का पड़ोसी राज्य है और इस राज्य की सीमाएं छत्तीसगढ़ के बहुत से जिलों से लगी हुई है और छत्तीसगढ़ में ओडिया भाषा बोलने वालों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। इस वजह से प्रथम चरण में ओड़िया भाषा और ओड़िया संस्कृति की परिचयात्मक जानकारी देने का निर्णय लिया गया है। पड़ोसी राज्य होने के कारण इस कार्यक्रम में समाहित एक-दूसरे के राज्य में शैक्षणिक भ्रमण की परिकल्पना को भी पूर्ण करने में आसानी होगी।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि आगामी चरणों में संविधान में उल्लेखित अन्य भाषाओं से भी चरणबद्ध ढंग से बच्चों को परिचित कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम में बच्चों को संबंधित भाषा में अभिवादन करना तथा एक से 20 तक की गिनती, सामान्य बोलचाल के वाक्य और आस-पास के विभिन्न शब्दों के नामों से परिचित कराया जाएगा। साथ ही उस राज्य के तीज त्यौहारों और रीति रिवाजों की भी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए अलग से कोई पाठ्यक्रम निर्धारित नहीं किया गया है। कोई पुस्तक भी निर्धारित नहीं की गई है और इसकी कोई परीक्षा भी नहीं होगी। यह केवल परिचयात्मक है। शिक्षक अपनी सुविधा से बच्चों को उस भाषा वाले राज्य के खान-पान, रहन -सहन, वेश-भूषा, उत्सव और विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं की जानकारी दे सकते हैं। संबंधित भाषा में शैक्षणिक दृष्टि से उपयोगी फिल्म का भी प्रदर्शन किया जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सिर्फ तीन पृष्ठों में कुछ सामान्य जानकारी ओड़िया भाषा और हिन्दी में उसका अनुवाद करके शिक्षकों को संकुल स्तरीय बैठकों में हर महीने होने वाली चर्चा के लिए ई-मेल के जरिये पत्र द्वारा भेजी गई है। इसमें हिन्दी के शब्दों का ओड़िया अनुवाद भी दिया गया है। जिलों को प्रेषित इस पत्र में केवल यह अपेक्षा की गई है कि केन्द्र सरकार के इस कार्यक्रम की मंशा के अनुरूप बच्चों को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि छात्र-छात्राओं में प्रारंभ से राष्ट्रीय एकता की भावना अधिक से अधिक मजबूत और विकसित हो सके।

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