- January 15, 2016
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पोक्सो) अधिनियम, 2012
पेसूका ———————– यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पोक्सो) अधिनियम, 2012 पर आज नई दिल्ली में एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका आयोजन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस सम्मेलन में बच्चों पर होने वाले यौन अपराधों से निपटने के लिए तत्काल अधिनियम के बेहतर क्रियान्वयन तथा कारगर कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया गया। इस सम्मेलन में अन्य लोगों के अलावा पुलिस, कानूनी विशेषज्ञों, सिविल सोसायटी संगठनों, एससीपीसीआर, शैक्षिणिक संगठनों एवं राज्यों के महिला एवं शिशु विकास विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्यक्ष श्रीमती स्तुति केकर ने अपने उद्घाटन भाषण में बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए गहरी प्रतिबद्धता से बैठक में भाग लेने वाले लोगों की सराहना की। श्रीमती केकर ने कहा कि पोस्को अधिनियम को 2012 में लागू किया गया था और अब इसे उचित रूप से क्रियान्वित करने की गंभीर आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों पर यौन उत्पीड़न का गंभीर दुष्परिणाम होता है। क्योंकि ऐसा अपराध बच्चे तथा परिवार के लिए एक बड़ा आघात साबित होता है। श्रीमती स्तुति केकर ने कहा कि लड़कों के प्रति होने वाले यौन उत्पीड़न पर भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
श्रीमती केकर ने सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हालांकि इंटरनेट अपने आप में अपराध का एक माध्यम बन सकता है लेकिन दूसरी तरफ यह निगरानी में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इस माध्यम के जरिए जागरुकता पैदा करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने राज्यों से बच्चों की मदद के लिए ऐसी पहल करने की अपील की। श्रीमती केकर ने कहा कि उन्होंने यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष वार्ड के निर्माण के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा है क्योंकि ऐसे मामलों में गोपनीयता एवं संवेदनशीलता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बैठक में भाग लेने वालों से एक जुट होने तथा सुरक्षित बचपन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के साथ मिलकर काम करने की अपील की।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती रश्मि सक्सेना साहनी ने कहा कि पंजीकृत एवं गैर-पंजीकृत घरों की जांच के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) एवं चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक सर्वे का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सर्वे इन घरों में की जा रही देखभाल के मानदण्डों की भी जांच करेगा।
सम्मेलन के दौरान राज्य सरकारों ने बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के क्षेत्र में उनके द्वारा उठाए गए विशेष कदमों को साझा किया। दिल्ली पुलिस के विशेष कार्यक्रमों “निर्भीक” एवं दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त श्री मुक्तेश चन्द्र द्वारा “साइबर परभक्षण से बच्चों की सुरक्षा” पर प्रस्तुतिकरण भी पेश किए गए। सम्मेलन में भाग लेने वालों ने पोस्को अधिनियम, 2012 के क्रियान्वयन से संबंधित कानूनी चुनौतियों; वैश्विक रुझानों के लिहाज से भारत में बच्चों की सुरक्षा, नए जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम के प्रावधानों तथा भारत में बच्चों के यौन उत्पीड़न के संवेदनशील मुद्दे से निपटने में विभिन्न हितधारकों की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया गया।