- January 2, 2016
कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य :: दिव्यांग बच्चों की शिक्षा :: मछली पालन
दुर्ग (छत्तीसगढ )——-—————चार जनवरी से प्रारंभ हो रहे आंगनबाड़ी गुणवत्ता अभियान के क्रियान्वयन की पूरी तैयारी जिला प्रशासन द्वारा कर लिया गया है। जिले में 13 हजार 500 बाल मित्रों और 1461 आंगनबाड़ी मित्रों ने जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार का बीड़ा उठाया है।
अभियान के सफलता पूर्वक संचालन हेतु जिले में रेडी-टू-ईट निर्माण एवं वितरण में जुड़े स्व-सहायता समूहों के शत्-प्रतिशत् सत्यापन एवं मूल्यांकन किए जाने हेतु परियोजना स्तर पर तीन सदस्यीय दल का गठन किया जा चुका है। इनके द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामवासियों के समक्ष समूहों का सत्यापन कर लिया गया है। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन हेतु बाल विकास परियोजनावार, जोनल एवं सहायक जोनल अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए रेडी-टू-ईट और अन्य पूरक पोषण आहार के निर्माण कार्य में संलग्न महिला स्व-सहायता समूहों की खण्ड स्तरीय बैठकों का आयोजन कर कलेक्टर द्वारा उन्हें अभियान के विषय में विस्तार से जानकारी दे दी गई है। इसी तरह सेक्टर स्तर पर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं को अभियान के उद्देश्यों की जानकारी दी जाकर आवश्यक तैयारियों के निर्देश दिए जा चुके हैं।
जिले के 1461 आंगनबाड़ी केन्द्रों के 13 हजार 500 बच्चों को सुपोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। इन बच्चों को गोद लेने वाले 13 हजार 500 बाल मित्रों का चिन्हांकन भी कर लिया गया है और ऑनलाईन इन्ट्री की जा रही है। पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों, शासकीय कर्मियों, गणमान्य नागरिकों को बालमित्र की भूमिका के लिए चिन्हित किया गया है। ये बाल मित्र कुपोषण से बचाव हेतु परिवार स्तर पर व्यवहार परिवर्तन हेतु प्रेरित करेंगे। स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न सेवाओं का लाभ दिलाने में मदद करेंगे और कुपोषित बच्चों को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराने स्वयं पहल करेंगे।
जिले के 1461 आंगनबाड़ी केन्द्रों के गुणवत्ता उन्नयन के उद्देश्य से 1461 आंगनबाड़ी मित्रों का भी चिन्हांकन कर लिया गया है। आंगनबाड़ी मित्र स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह एवं स्वयंसेवी संस्था को बनाया गया है। आंगनबाड़ी मित्र केन्द्र की गुणवत्ता में सुधार के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक के साथ समन्वय कर केन्द्र में आवश्यकतानुसार खेल सामग्री, किचन गार्डन, केन्द्र की आकर्षक साज-सज्जा, केन्द्र की स्वच्छता के लिए श्रमदान, केन्द्र स्तर पर विभिन्न गतिविधियों के आयोजन एवं केन्द्र की गुणवत्ता उन्नयन संबंधी अन्य गतिविधियों में सहयोग करेंगे।
आंगनबाड़ी केन्द्रों में गुणवत्ता उन्नयन अभियान में स्थानीय औद्योगिक घरानों को भी जोड़ा गया है। एसीसी सीमेंट को 30 आंगनबाड़ी, जे.के. लक्ष्मी सीमेंट को 30 आंगनबाड़ी केन्द्र की संपूर्ण जिम्मेेदारी सौंपी गई है। इनके द्वारा केन्द्र में रंगाई पुताई, खेल सामग्री, वजन मशीन, पूरक पोषण आहार, शौचालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, पंखे की व्यवस्था सहित अन्य जरूरतों की पूर्ति कर आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। भिलाई स्टील प्लांट को भी 30 आंगनबाड़ी केन्द्र को आदर्श के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस हेतु प्रक्रिया प्रारंभ है।
चार जनवरी को आंगनबाड़ी गुणवत्ता अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में बाल मित्रों एवं आंगनबाड़ी मित्रों को संबंधित बच्चे एवं आंगनबाड़ी केन्द्र में सुधार का दायित्व सौंपा जाएगा। चार जनवरी से तेरह जनवरी तक के स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा और 14 जनवरी से 30 जून तक निगरानी की जाएगी। बेहतर परिणाम देने वाले बाल मित्र-आंगनबाड़ी मित्र को 15 अगस्त को सम्मानित किया जाएगा। इसी तरह कुपोषण से मुक्त हुए बच्चों की उपलब्धि के लिए राज्य स्थापना दिवस एक नवम्बर को जिलों को पुरस्कृत किया जाएगा।
महासमुंद ————दिव्यांग बच्चों की शिक्षा—–-नववर्ष पर दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए आज जिला मुख्यालय सहित गांजर गोड़बहाल, गढ़फुलझर और केदुवां में समर्थ शिक्षा केन्द्र का शुभारंभ हुआ है। जिला मुख्यालय के नवापारा स्थित शासकीय उच्च प्राथमिक शाला में समर्थ शिक्षा केन्द्र का नेत्रहीन बालिका कुमारी तास्मीन ने केक काट कर शुभारंभ किया।
इस अवसर पर पार्षद श्रीमती मीना वर्मा, श्रीमती दुर्गेश्वरी चंद्राकर, श्रीमती यशोदा वर्मा, श्री खिलावन बघेल और कलेक्टर श्री उमेश कुमार अग्रवाल ने बच्चों को नव वर्ष के अवसर पर मुह मीठा और तिलक लगाकर स्वागत किया। इन बच्चों को ब्रेललिपि की पुस्तकें तथा ड्राईंग की पुस्तिका वितरित की और बच्चों को अपना प्यार बांटा।
नेत्रहीन बालिका कुमारी तास्मीन ने इस अवसर पर गीत भी प्रस्तुत किया और नववर्ष पर अपनी शुभकामनाएं भी दी। तास्मीन के गीत से प्रभावित होकर कलेक्टर ने समर्थ शिक्षा केन्द्र को एक हार्मोनियम उपलब्ध कराने के लिए आश्वस्त किया।
समर्थ केन्द्र के शुभारंभ अवसर पर पार्षद श्रीमती मीनावर्मा, श्रीमती यशोदा वर्मा, और श्री खिलावन बघेल ने जिला प्रशासन की इस पहल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन बच्चों में भरपूर प्रतिभा है इन्हें केवल प्यार और प्रोत्साहन की जरूरत है। समाज के सभी वर्गों को इन बच्चों के प्रतिभा के विकास में योगदान देना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को समाज के मुख्य धारा में लाने की कड़ी में समर्थ शिक्षा केन्द्र पहली कड़ी है। इन केन्द्रों में बच्चों को पढ़ाई के साथ उनकी प्रतिभा के अनुसार पेंटिंग और संगीत आदि की व्यवस्था की जाएगी। दैनिक व्यवहार भी सिखाए जाएंगे।
इन केन्द्रों के बच्चों को विभिन्न सुविधाए देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव मदद भी दी जाएगी। उन्होंने इस अवसर पर नगरीय क्षेत्र के समाज प्रमुखों गणमान्य व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों से इन बच्चों को भरपूर प्यार और प्रोत्साहन देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि माध्यमिक कक्षाओं के आगे की पढ़ाई के लिए इन बच्चों को अन्य जिले में भी भेजने की व्यवस्था की जाएगी।
जिले में समावेशी शिक्षा केन्द्र में बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए संचालित किए जा रहे केन्द्रों में बच्चों को ब्रेल लिपी की पुस्तकें उपलब्ध करायी गई है। प्रत्येक विकासखंड में एक-एक समावेशी शिक्षा केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। इनमें विकासखंड समावेशी केन्द्रों में दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों के शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। ये शिक्षक अतिरिक्त समय देकर इन बच्चों की पढ़ाई कराएंगे।
समर्थ शिक्षा केन्द्रों में हर शुक्रवार को मध्यान्ह भोजन के उपरांत दोपहर एक बजे से शाम 5 बजे तक दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई होगी। जिला मुख्यालय में प्रारंभ हुए समर्थ शिक्षा केन्द्र नवापारा में 10 बच्चों की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही बागबहारा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला गांजर में 13, शासकीय उच्च प्राथमिक शाला गोड़बहाल, प्राथमिक शाला गढ़फुलझर, शासकीय प्राथमिक शाला केंदुवां में दस-दस बच्चों को प्रवेश देकर शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर जिला शिक्षा अघिकारी श्री राकेश पाण्डेय और जिला मिशन समन्वयक श्री हिमांशु भारती सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
रायगढ ——–मछली पालन —--रायगढ़ शहर से लगभग 8 कि.मी. की दूरी पर केलो नदी पर बना डेम सिंचाई, पेयजल एवं औद्योगिक संस्थानों को जलापूर्ति करने के साथ-साथ 161 मछुआ परिवारों के जीवन-यापन का माध्यम है। केलो डेम में मछली पालन को बढ़ावा देने तथा मछुवारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग रायगढ़ द्वारा 30 दिसम्बर बुधवार को मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों की उपस्थिति में 4 लाख 27 हजार 900 नग भारतीय मेजर कार्प के फिंगरलिंग मछली बीज का संचयन किया गया। केलो डेम कपिल मछुआ सहकारी समिति कसडोल को मत्स्य पालन के लिए शासन द्वारा पट्टे पर दिया गया है। इस समिति से 161 मछुआ परिवार जुड़े है जो गेरवानी, लाखा और कसडोल के रहने वाले है।
सहायक संचालक मत्स्य श्री एस.के.चौधुरी ने बताया कि केलो डेम का जलक्षेत्र 855.785 हेक्टेयर है। यह डेम रायगढ़ एवं तमनार ब्लाक के अंतर्गत आता है। यह डेम मछली पालन के लिए कपिल मछुआ सहकारी समिति कसडोल को पट्टे पर दिया गया है। मत्स्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड योजनान्तर्गत यहां 4 लाख 27 हजार 900 मत्स्य बीज जिसमें रोहू, कतला, मृगल शामिल है, नि:शुल्क संचित किए गए है।
उन्होंने बताया कि 30 दिसम्बर को मॉनिटरिंग समिति के सदस्य तहसीलदार रायगढ़ श्री अतुल शेटे, अनुविभागीय अधिकारी केलो परियोजना निर्माण जे.एस.विरदी, जनपद सदस्य श्रीमती चमेली सिदार तथा कपिल मछुआ सहकारी समिति के सदस्यगणों तथा विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में केलो डेम में मत्स्य बीज का का संचयन किया गया। डेम में डाले गए मत्स्य बीज भारतीय मेजर कार्प के फिंगरलिंग जिनकी साईज 80 से 100 एमएम थी।
श्री चौधुरी ने बताया कि केलो डेम में संचित किए गए कतला मछली बीज एक साल में डेढ़ से पौने दो किलो तथा रोहू एवं मृगल एक साल में एक-एक किलो वजन के हो जायेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि केलो डेम को पट्टे पर मछली पालन के लिए हासिल करने वाली कपिल मछुआ सहकारी समिति में 80 और मछुआ परिवारों को शामिल किए जाने की कार्रवाई विभाग द्वारा की जा रही है।