वित्त मंत्रालय : उपलब्धियां

वित्त मंत्रालय :  उपलब्धियां

पेसूका ०००००००००००००००००००००००००००००चालू वित्‍त वर्ष के दौरान वित्‍त मंत्रालय ने राजस्‍व संग्रह बढ़ाने, कराधान नीति को सरल बनाने, राजकोषीय मजबूती, आर्थि‍क विकास की रफ्तार बढ़ाने और इस तरह राष्‍ट्र निर्माण में योगदान सुनिश्‍चि‍त करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। वित्‍त मंत्रालय की प्रमुख उपलब्‍धि‍यां निम्‍नलिखि‍त हैं :2

आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) 

आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करने तथा अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता सुनिश्‍चि‍त करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। विभाग की प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं-

 मुद्रास्फीति

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) : मुद्रास्फीति दर 2013-14 के 6.0 प्रतिशत से घटकर 2014-15 में 2.0 प्रतिशत और अप्रैल-अकटूबर, 2015 के दौरान मुद्रास्फीति कम होकर -3.5 प्रतिशत रह गई। थोक मूल्य सूचकांक नवंबर 2014 से नकारात्मक राह चल रहा है और यह अक्टूबर 2015 में -3.8 प्रतिशत रहा। थोक मूल्य सूचकांक खाद्यान्न मुद्रास्फीति जनवरी 2015 के 6.0 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर 2015 में 1.7 प्रतिशत रह गई। ईंधन और विद्युत मुद्रास्फीति पिछले महीने के -17.7 प्रतिशत और जनवरी 2015 के -11.0 प्रतिशत की तुलना में अक्टूबर 2015 में -16.3 प्रतिशत हो गई।  निर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति दर जनवरी 2015 के 1.0 प्रतिशत की तुलना में घटकर -1.7 प्रतिशत हो गई।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआई) : 2014-15 के लिए सीपीआई नई श्रृंखला  मुद्रा स्फीति घटकर 5.9 प्रतिशत रह गई। यह 2013-14 में 9.5 प्रतिशत थी। जनवरी 2015 से ही यह दर 5.5 प्रतिशत से नीचे रही है। 2015-16 (अप्रैल-अक्टूबर) के दौरान औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 4.7 प्रतिशत और  अक्टूबर 2015 में 5.0 प्रतिशत रहा। उपभोक्त खाद्यन मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) अक्टूबर 2015 में घटकर 5.2 प्रतिशत रहा गया। यह फरवरी 2015 में 6.9 प्रतिशत की ऊचाई पर था।

 सीपीआई-औद्योगिक कर्मी आधारित मुद्रास्फीति सितंबर 2015 में 5.1 प्रतिशत रही। यह जनवरी 2015 में 7.2 प्रतिशत थी। सीपीआई-कृषि श्रम तथा सीपीआई-ग्रामीण श्रम के आधार पर मुद्रास्फीति सितंबर 2015 में क्रमशः घटकर 3.5 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत रह गई। जनवरी 2015 में यह क्रमशः 6.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रही।

मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम 

वैश्विक तेल भाव और कॉमोडिटी मूल्यों में गिरावट के साथ सरकार द्वारा उठाए गए मुद्रस्फीति नियंत्रित रही है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों  में राज्यों को एपीएमसी अधिनियम की सूची से हटाकर फलों और सब्जियों की मुफ्त आवाजाही के बारे में राज्यों को परामर्श देना सभी दालों (काबली चना तथा आर्गेनिक दालों तथा कुछ मात्रा में मसूर दाल को छोड़कर) के निर्यात पर पाबंदी लगाना, दालों और प्याज आयात शुल्क शून्या करना, आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्याज, दाल, खाद्य तेल तथा खाद्य तिलहन के मामले में स्टॉक की सीमा तय करने के बारे में राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को अधिकार देना, पिछले दो वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को सबल बनाए रखना शामिल है। भारतीय रिजर्वं बैंक की सतर्क मुद्रा नीति तथा सरकार तथा भारतीय रिजर्वं बैंक द्वारा मौद्रिक नीति संरचना समझौता करने से भी मुद्रास्फीति को सीमित बनाए रखने में मदद मिली है।

मौद्रिक नीति

2015 के दौरान नीति (रैपो) दर में 125 आधार अंकों की कटौती की गई है। यह मौद्रिक नीति को सहज बनाने की ओर संकेत करता है। मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट और विकास में तेजी के लिए भारतीय रिजर्वं बैंक ने सितंबर 29, 2015 को दरों में 50 आधार अंक की कटौती कर रैपो दर 6.75 प्रतिशत रखा था।

 भारत सरकार और भारतीय रिजर्वं बैंक ने फरवरी 2015 में मौद्रिक नीति संरचना समझौता पर हस्ताक्षर किया। इसका उद्देश्य विकास लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है। समझौते के अनुसार भारतीय रिजर्वं बैंक नीतिगत ब्याज दरें निर्धारित करेगा और जनवरी 2016 तक मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से नीचे रखने का प्रयास करेगा और 2016-17 और उसके बाद के वर्षों के लिए (+/-) दो प्रतिशत के साथ चार प्रतिशत की सीमा में रखा जाएगा। इस समझौते से बाजार में स्थिरता आई है।

 बैंकिंग

वित्तीय समावेशन में सुधार के लिए पेमेंट बैंक तथा लघु वित्त बैंक स्थापित करने के लिए रिजर्वं बैंक ने स्वीकृति दे दी है। अगस्त 2015 में पेमेंट बैंक स्थापित करने के लिए 11 कंपनियों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई और सितंबर 2015 में 10 कंपनियों को लघु वित्त बैंक स्थापित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। पेमेंट बैंकों के लिए न्यूनतम प्रदत्त इक्विटी पूंजी एक सौ करोड़ रुपए की होगी, जिसमें प्रवर्तक का योगदान कारोबार शुरू करने के पहले पांच वर्षों के लिए प्रदत्त इक्विटी पूंजी का न्यूनतम 40 प्रतिशत होगा।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी की दृष्टि से फिर से मजबूत बनाने के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष में पर्याप्त धन की व्यवस्था की है। वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में किए गए 7,940 करोड़ रुपए के अतिरिक्त संसद द्वारा पारित पूरक मांग में 12,000 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है।
  • सरकार ने अगस्त 2015 में मिशन इंद्रधनुष की घोषणा की। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कायाकल्प करना और गर्वंनेंस दायित्व तथा पूंजी जुटाने संबंधी विषयों सहित उनके प्रदर्शन को प्रभावित करनी वाली समस्याओं का निराकरण करना है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैः 

v     सात सदस्यीय बैंक बोर्ड ब्यूरौं का गठन। यह ब्यूरौं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियुक्ति प्रक्रिया की देखरेख करेगा और परामर्श सेवाए देगा।

v     श्रेष्ठ वैश्विक कार्य व्यवहारों के आधार पर अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक के पद को अलग किया गया। आगे से सीईओ का पद एमडी और सीईओ होगा और एक

अलग व्यक्ति को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गैर-कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।

v    सरकार ने अगले चार वर्षों में पूंजी की दृष्टि से बैंकों को मजबूत बनाने के लिए बजटीय आवंटन में से 70 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है।

v    जोखिम नियंत्रण उपायों तथा एनपीए घोषणा व्यवस्था को मजबूत बनाकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भार कम किया गया है।

v    सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कार्य प्रदर्शन को मापने के लिए नई रूपरेखा।

v    गर्वंनेंस सुधार जारी।

 वित्तीय क्षेत्र

  • 20 हजार करोड़ रुपए का राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) स्थापित करने की स्वीकृति।
  • वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) में विदेशी निवेश को मंजूरी। अब वैकल्पिक निवेश कोषों में निवेश को मंजूरी दी जाएगी। ऐसे कोष पंजीकृत ट्रस्ट, इनकारपोरेटड कंपनी या सीमित दायित्व साझेदारी के रूप में स्थापित किए जाते है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेश के लिए व्यवस्था के उद्देश्य से भारतीय रिजर्वं बैंक ने ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई सीमाओं के लिए न्यूनतम अवधि रूपरेखा (एमटीए) तैयार किया है। अब से ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश के लिए सीमाएं रुपए के संदर्भ में घोषित/निर्धारित की जाएगी। केन्द्र सरकार की प्रतिभूतिओं में एफपीआई निवेश की सीमाए चरणों में मार्च 2018 तक बकाया स्टॉक का 5 प्रतिशत की जाएगी। समग्र दृष्टि से यह मार्च 2018 तक केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों के लिए 1200 बिलियन के अतिरिक्त निवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह सभी सरकारी प्रतिभूतियों के लिए 1535 बिलियन की वर्तमान सीमा से ऊपर होगी। इसके अतिरिक्त राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) में एफपीआई द्वारा निवेश के लिए अतिरिक्त सीमा तय होगी जो मार्च 2018 तक बढाकर बकाया स्टॉक के 2 प्रतिशत कर दी जाएगी। इससे मार्च 2018 तक पांच सौ बिलियन के लगभग अतिरिक्त सीमा तैयार हो जाएगी।
  • कमोडिटी वायदा बाजारों के नियमों को मजबूत बनाने के लिए 28 सितंबर 2015 को वायदा बाजार आयोग (एफएफएमसी) का विलय भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में कर दिया गया। 

कर-मुक्त बॉन्ड

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योमों द्वारा 40 हजार करोड़ रुपए का कर मुक्त बॉंड जारी करने की अनुमति दी है। ऐसे सार्वजनिक उद्योमों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी), आवास तथा शहरी विकास निगम (एचयूडीसीओ), भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीए), विद्युत वित्त निगम लिमिटेड (पीएफसी), ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी), राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) हैं। निम्नलिखित श्रेणी के निवेशक इन बॉंडों को खरीद सकते हैः खुदरा निजी निवेशक (आरआईआई), पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी), कार्पोरेट (वैधानिक कार्पोरेशन सहित), ट्रस्ट, साझेदारी वाली फर्में, सीमित दायित्व की साझेदारी, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा अन्य वैधानिक संस्थान। संस्थानों को अधिनियम तथा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (एनएचआई) का अनुपालन करना होगा। यह बॉंड 10 वर्ष या 15 वर्ष या 20 वर्षों के लिए जारी किए जाते हैं। वित्त वर्ष 2015-16 के लिए कर मुक्त बॉंडों के नियम और शर्तhttp://www.incometaxindia.gov.in/communications/notification/notification59_2015.pdf पर देखे जा सकते है।

 11वां भारत-सऊदी अरब संयुक्त आयोग

भारत-सऊदी अरब संयुक्त आयोग की ग्यारहवीं बैठक 26-28 मई 2015 को नई दिल्ली में हुई। इस बैठक में व्यापार और वाणिज्य, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, संस्कृति और सूचना प्रौद्योगिकी सहित अनेके विषयों पर चर्चा की गई। दोनों पक्षों ने दोनों देशों में निवेश की संभावनाओं को तलाशने की आवश्यकता जताई।

भारत में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के लिए माहौल बनाना 

पीपीपी को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार के कदमः भारत सरकार अवसंरचना सेवाओं के विस्तार के रणनीति के रूप में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के उपयोग पर दृढ़ता से बल देती रही है। पीपीपी के लिए वातावरण बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैः

Ø      परियोजनाओं का शीघ्र मूल्यांकन सुनिश्चित करने, विलंब को खत्म करने, श्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय कार्य व्यवहारों को अपनाने और मूल्यांकन व्यवस्था तथा दिशा निर्देशों में एकरूपता लाने के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी वाली परियोजनाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है।

 Ø      पीपीपी परियोजनाओं के मूल्यांकन के लिए गठित सार्वजनिक निजी साझेदारी मूल्यांकन समिति ने 2015 में अब तक 21817.03 करोड़ रुपए (3636.17 मिलियन डॉलर) टीपीसी के साथ 13 केन्द्रीय परियोजनाओं को स्वीकृती दी है।

 Ø      सरकार ने पीपीपी परियोजनाओं के लिए लाभ अंतर धनपोषण योजना बनाई। अक्सर अवसंरचना परियोजनाएं वाणिज्यिक रूप से लाभकारी नहीं हो पाती, लेकिन ऐसी परियोजनाएं आर्थिक रूप से आवश्यक होती हैं इसीलिए लाभ अंतर धनपोषण योजना तैयार की गई है। इस योजना से सार्वजनिक निजी साझेदारी वाली परियोजनाओं को वाणिज्यिक दृष्टि से लाभकारी बनाने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता के रूप में एक मुश्त या अंतराल पर अनुदान दिए जाते हैं। इस योजना के तहत कुल परियोजना के 20 प्रतिशत तक लाभ अंतर धनपोषण की व्यवस्था है। परियोजना की स्वामित्व वाली सरकारी या वैधानिक कंपनी कुल परियोजना लागत का और 20 प्रतिशत का धनपोषण अपने बजट से करना चाहे तो अतिरिक्त अनुदान के रूप में कर सकती है। चालू कैलेंडर वर्ष 2015 में  901.00 करोड़ (150.16 मिलियन डॉलर) की कुल परियोजना लागत के साथ पांच परियोजनाओं के लिए अधिकृत संस्थान ने सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। इसी तरह अधिकृत संस्थान ने विभिन्न क्षेत्रों में 1119.66 करोड़ (186.61 मिलियन डॉलर) की 9 परियोजनाओं को अंतिम स्वीकृति दी। इसमें 166.7 करोड़ रुपए (27.78 मिलियन डॉलर) का वीजीएफ की व्यवस्था है।

 Ø      म्युनिसिपल उधारी- अवसंरचना परियोजनाओं (सामान्यतः पीपीपी) के वित्त पोषण के लिए पूंजी बाजार से धन उगाही के लिए शहरी निकायों (यूएलबी) की क्षमताओं की रूपरेखा विकसित करने के लिए सरकार ने पायलट परियोजना शुरू किए है। पायलट परियोजना का उद्देश्य दोहराए जाने वाले मॉडल तथा संबंधित दस्तावेज़ विकास और एक शहरी निकाय के लिए सफल पायलट ट्रांजेक्शन के माध्यम से मॉडल को दिखाना है। भारत में म्युनिसिपल बोंड जारी करने के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए गए हैं।

Ø      ज्ञान संसाधन : पीपीपी के बारे में ज्ञान के फैलाव के लिए व्यापाक प्रयासों के हिस्से के रूप में आर्थिक मामलों के विभाग ने पीपीपी मॉडल अपनाने वाले के उपयोग के लिए टूलकीट तथा नॉलेज उत्पाद विकसित किया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैः

1.      ठेका बाद का प्रबंधनः आर्थिक मामलों के विभाग ने राजमार्गों, बंदरगाहों तथा शिक्षा क्षेत्रों के लिए ठेके बाद की प्रबंधन निर्देश सामग्री विकसित की है। इसका उद्देश्य परियोजना अधिकारियों को निर्देश तथा समर्थन देना है। विशेषकर नियमित निगरानी और महत्वपूर्ण जोखिमों का प्रबंधन सुनिश्चित करना। ऐसे जोखिम परियोजनाओं का ठेका देने के बाद उभरते है। मैन्यूअल उपयोग के लिए सहज है इंटररेक्टिव ऑनलाइन टूलकीट्स है जिनका उपयोग परियोजना प्रबंधन गतिविधियों में व्यावहारिक ऐप्लीकेशन सहायता के लिए परियोजना अधिकारी कर सकते है। पीपीपी के लिए निर्देश सामग्री तथा ऑनलाइन टूलकीट विभाग की वेवसाइट www.pppinindia.com. पर उपलब्ध होगा।

 2.      पीपीपी ठेकों के लिए फिर से वार्ता के लिए रूपरेखाः पीपीपी ठेकों के बारे में दोबारा वार्ता की रूपरेखा सुझाने पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें ठेके के बाद परियोजना की ठेका संबंधी तथा संस्थागत प्रबंधन में आवश्यक परिवर्तन पर बल दिया गया है। कन्सेशन समझौते में कानूनी धाराओं की पहचान का काम जारी है। दोबारा वार्ता की रूपरेखा में राष्ट्रीय राजमार्गों तथा प्रमुख बंदरगाह कन्सेशनों के लिए व्यापाक निर्देश दिए गए हैं यह निर्देश अनुसंधान आधारित है। पुनः वार्ता के लिए मॉडल धाराएं तैयार की जा रही हैं।

वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी)

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बनी वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद में वित्तीय क्षेत्र के नियामक प्राधिकारों के प्रमुख तथा संबद्ध विभागों के सचिव और प्रमुख आर्थिक सलाहकार (सीईए) सदस्य होते है। यह परिषद बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था की निगरानी करती है और वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन से संबंधित विषयों सहित अंतर-नियामक समन्वय से संबंधित विषयों का समाधान करता है।

जनवरी 2015 से नवंबर 2015 के बीच परिषद की दो बैठकें- 15 मई 2015 तथा 5 नवंबर 2015 को हुईं। इन बैठकों में वित्तीय स्थिरता तथा अंतर-नियामक समन्वय विकास से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर भी विस्तृत रूप से विचार किया गया। बाहरी क्षेत्र की कमजोरियों, भविष्य के वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर बल, कार्पोरेट बोंड बाजार विकास, बैंकों में धोखाधड़ी पर रोक और उनकी पहचान और कठोर उपाए करने, बढ़ते बैंक एनपीए और कार्पोरेट क्षेत्र बैलेंस शीट भार जैसे प्रमुख विषयों पर विचार किया गया। बैठक में प्रतिभूति बाजार तथा कॉमोडिटी डेरीवेटिव बाजार से संबंधित नियमों में तालमेल पर भी विचार हुआ।

एफएसडीसी की एक उप समिति रिजर्वं बैंक के गर्वनर की अध्यक्षता में बनाई गई। इसकी दो बैठकें हईं। इन बैठकों में वित्तीय संपत्तियों के लिए खाता संग्रहण, वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले  वैश्विक तथा घरेलू प्रभाव, कार्पोरेट बॉंड बाजार विकास, विदेशी खाताटैक्स अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए), व्यापक वित्तीय व्यवस्था विकसित करने पर चर्चा हुई। एफएसडीसी उप समिति के अंतर्गत विभिन्न तकनीकी समूह बनाए गए है। इनमें अंतर-नियामक तकनीकी समूह (आईआरटीजी), वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता पर तकनीकी समूह (टीजीएफआईएल), वित्तीय समूहों पर अंतर नियामक फोरम (आईआरएफ-एफसी) तथा पूर्व चेतावनी समूह (ईडब्ल्यूजी) की बैठकें भी हुईं।

भारत की एफएसबी समकक्ष समीक्षा

एफएसबी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत ने पहली बार 2015 में एफएसबी सामान समूह समीक्षा प्रक्रिया से गुजरने की पेशकश की। इसके संदर्भ को अंतिम रूप दे दिया गया है। समीक्षा के अंतर्गत शामिल किए जाने वाले विषय हैं 1. मैक्रो प्रूडेनशियल नीति रूपरेखा तथा एनबीएफसी का नियमन और निगरानी।

न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापना

चीन के शंघाई में ब्रिक्स देशों द्वारा न्यू डेवलप्मेन्ट बैंक स्थापित किया गया है। यह बैंक ब्रिक्स देशों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं तथा विकासशील देशों में अवसंरचना और विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाएगा। बैंक बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के जारी प्रयासों में भी सहायता देगा। श्री के.वी. कामथ इस बैंक के पहले अध्यक्ष है। एनडीबी अप्रैल 2016 तक पहला ऋण देगा।

ब्रिक्स आकस्मिक आरक्षित व्‍यवस्‍था (सीआरए) की स्थापना

ब्रिक्स देशों द्वारा सीआरए की स्थापना के लिए अधिकतर प्रारंभिक कार्य 2015 में पूरे कर लिए गए है। 4 सितंबर 2015 को गर्वंनिंग काउंसिल की पहली बैठक में गर्वंनिंग काउंसिल प्रक्रिया नियमों तथा स्थायी समिति प्रक्रिया नियमों को मंजूरी दी गई। स्वप्रबंधित आकस्मिक आरक्षित निधि प्रबंधन का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे ब्रिक्स देशों को लघु अवधि के तरलता दबाव को टालने में मदद मिलेगी पारस्परिक समर्थन मिलेगा और वित्तीय स्थिरता अधिक मजबूत होगी। यह वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेट को मजबूत बनाने तथा बनाने में योगदान देगा और वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधों का पूरक बनेगा।

सार्क एवं एसडीएफ बैठकें

1.      19-20 अगस्त 2015 को सार्क वित्त मंत्रियों तथा वित्त सचिवों की सातवीं बैठक हुई। इन बैठकों में भारतीय शीष्टमंडल का नेतृत्व वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने किया। बैठकों में सार्क देशों के बीच मुद्रा अदला-बदली प्रबंधन, अधिक पूंजी प्रवाह में सहायता और सार्क वित्त में क्षेत्र से बाहर का निवेश और विकास पर विचार हुआ।

2.      20 अगस्त 2015 को एसडीएफ गर्वंनिंग काउंसिल की चौथी बैठक हुई। इसमें सार्क विकास कोष को मजबूत बनाने तथा आगे बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हुई।

 3.      अप्रैल और अगस्त 2015 में क्रमशः सार्क विकास कोष की 21वीं और 22वीं बोर्ड बैठकें हुईं।

4.      18 नवंबर 2015 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्क देशों के लिए मुद्रा अदला-बदली प्रबंधन ढ़ाचे की वैधता के विस्तार को नवंबर 2017 तक दो वर्षों के संशोधन के साथ मंजूरी दी।

देश के बाहर बोली लगाने वाली कंपनियों को समर्थन देने की योजना का शुभारंभ

16 सितंबर 2015 को भारत सरकार ने विदेशों में अवसंरचना परियोजनाओं के लिए बोली लगाने वाली भारतीय कंपनियों को समर्थन देने के लिए रियायती वित्त पोषण योजना को मंजूरी दी। यह योजना सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम से जुड़ी है।

 भारत ने एआईआईबी पर हस्ताक्षर किए

29 जून 2015 को भारत ने अन्य देशों के साथ आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट ऑफ द बैंक समझौते पर हस्ताक्षर किया। एआईआईबी बीजिंग में स्थापित किए जाने वाला बहुपक्षीय बैंक होगा। यह सतत आर्थिक विकास तेज करेगा, धन सृजन करेगा और अवसंरचना तथा अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश करके एशिया में अवसंरचना संपर्क में सुधार करेगा। आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट की पुष्टि प्रक्रिया चल रही है।

जी-20 शिखर सम्‍मेलन 2015

तुर्की के अन्तालिया में 15-16 नवंबर को जी-20 शिखर बैठक 2015 हुई। प्रधानमंत्री ने भारत का नेतृत्व किया। यह शिखर बैठक वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, शेरपा डॉं. पनगड़िया और भारत सरकार के प्रतिनिधियों की अंतर-सरकारी बैठकों की लंबी प्रक्रिया समाप्त होने के अवसर पर हुई। जी-20 आर्थिक तथा वित्तीय सहयोग पर बल देता है। अन्तालिया में इस वर्ष की शिखर बैठक में नेताओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, वैश्विक विकास को और अधिक समावेशी बनाने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को बढाने,दीर्घ अवधि विकास में वृद्धि के लिए निवेश जुटाने, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत बनाने और आर्थिक सुधार तथा श्रम बाजारों पर पहले की प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिए संकल्प व्यक्त किया।

 स्वर्ण योजनाएं

स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का शुभारंभ

इस योजना की घोषणा 2015-16 के बजट में की गई थी। इसका उद्देश्य घरों तथा ट्रस्टों के पास अनुत्पादक रूप में पड़े सोने को एकत्रित करके उत्पादक उपयोग में लगाना है। यह योजना 5 नवंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉंच की गई। इस योजना के अंतर्गत छोटे और मझौले स्तर पर काम करने वाले स्वर्ण आभूषण निर्माताओं को सोना उपलब्ध करने से लाभ मिलेगा। इससे सोना जमा कराने वाले साधारण लोगों को भी लाभ होगा।

सार्वभौमिक स्वर्ण बॉंन्‍ड योजना की शुरुआत

लोगों को निवेश का नया वित्तीय उपाय उपलब्ध कराने और सोने की मांग घटाने के लिए 2015-16 के बजट में इस योजना की घोषणा की गई थी। भारत के प्रधानमंत्री ने 5 नवंबर 2015 को यह योजना लॉंच की। इस योजना से दीर्घ अवधि में सोने के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी। 6 नवंबर 2015 से 30 नवंबर 2015 के बीच 250 करोड़ रुपए के स्वर्ण बॉंड जारी किए गए है।

भारतीय स्वर्ण सिक्‍के का शुभारंभ

देश के टकसाल में बनाए गए राष्ट्रीय स्वर्ण सिक्कों को बढ़ावा देने के लिए 2015-16 के बजट में इस योजना की घोषणा की गई थी। यह योजना सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम से जुड़ी है। 5 नवंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री ने इसे लॉंच किया।

राजस्‍व विभाग 

अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह

अक्‍टूबर, 2015 के दौरान अप्रत्‍यक्ष कर राजस्‍व के संग्रह (अनंतिम) में अक्‍टूबर, 2014 की तुलना में 36.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 के दौरान अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह में पिछले वर्ष की समान अवधि में हुए संग्रह के मुकाबले 35.9 फीसदी की वृद्धि आंकी गई है, जबकि वित्‍त वर्ष 2015-16 के लिए लक्षित वृद्धि दर 18.8 फीसदी है। कुल मिलाकर,मौद्रिक दृष्टि से अप्रत्‍यक्ष कर राजस्‍व का संग्रह (अनंतिम) अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 के दौरान बढ़कर 3,82,860 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गया, जबकि अप्रैल-अक्‍टूबर 2014 के दौरान यह राशि 2,81,798 करोड़ रुपये थी। अकेले अक्‍टूबर 2015 के दौरान अप्रत्‍यक्ष कर राजस्‍व का संग्रह (अनंतिम) बढ़कर 58,691 करोड़ रुपये के स्‍तर को छू गया, जबकि अक्‍टूबर 2014 में यह राशि 42,897 करोड़ रुपये थी। अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 के दौरान केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क के मद में राजस्‍व संग्रह अप्रैल-अक्‍टूबर 2014 के 87,588 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,47,685 करोड़ रुपये हो गया और इस तरह इसमें 68.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। जहां तक सेवा कर का सवाल है, इस मद में राजस्‍व संग्रह अप्रैल-अक्‍टूबर 2014 के 89,379 करोड़ रुपये से सुधर कर अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 में 1,12,727 करोड़ रुपये हो गया और इस तरह इस मद में 26.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह सीमा शुल्‍क का संग्रह अप्रैल-अक्‍टूबर 2014 के 1,04,831 करोड़ रुपये से बढ़कर अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 में 1,22,448 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गया और इस तरह इसमें 16.8 फीसदी की बढ़ोतरी आंकी गई है।

इन संग्रहों से अंतर्निहित कर आधार में निरंतर उल्‍लेखनीय वृद्धि होने के संकेत मिलते हैं।

 अप्रत्यक्ष कर संग्रह : अप्रैल-अक्‍टूबर 2015 (करोड़ रुपये में)

कर मद

2015-16 में लक्षित वृद्धि दर (फीसदी में)

राजस्‍व : अप्रैल-अक्‍टूबर

2013-14

2014-15

2015-16

वृद्धि दर (फीसदी में) 2014-15

वृद्धि दर (फीसदी में) 2015-16

सीमा शुल्‍क

10.9

98707

104831

122448

6.2

16.8

केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क

21.2

89444

87588

147685

-2.1

68.6

सेवा कर

24.8

81758

89379

112727

9.3

26.1

कुल

18.8

269909

281798

382860

4.4

35.9

 बजट 2015-16 अप्रत्‍यक्ष कर’ प्रस्‍तावों की अंतर्निहित थीम विकास की बहाली और निवेश व घरेलू विनिर्माण के संवर्धन तथा मेक इन इंडिया’ के जरिए रोजगार सृजनकारोबार करने में ज्‍यादा सुगमता के लिए न्‍यूनतम सरकार एवं अधिकतम शासन’; स्‍वच्‍छ भारत से जुड़ी पहलों के जरिए जीवन की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य में बेहतरी और अर्थव्यवस्था के लिए लाभ को अधिकतम करने के लिए एकल प्रस्‍ताव।

कारोबार करने में सुगमता  

प्रत्‍यक्ष कर

वित्‍त (संख्‍या 2) अधिनियम, 2014 के जरिए उठाए गए कदम 

  • आयकर निपटान आयोग का दायरा बढ़ाया गया। 

वित्‍त विधेयक 2015 के जरिए उठाए गए कदम

करदाताओं पर अनुपालन बोझ कम करने के लिए 2016-17 (आकलन वर्ष) से संपत्‍ति कर वसूलना समाप्‍त कर दिया गया है।

 अप्रत्‍यक्ष कर

 1.      शुल्‍कों की संख्‍या में कमी : उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं पर लगने वाले शिक्षा उपकर और माध्‍यमिक एवं उच्‍च शिक्षा उपकर को मूल उत्‍पाद शुल्‍क में मिला दिया गया है।

2.      दो दिनों में पंजीकरण :  अब से केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क से जुड़े पंजीकरण को महज दो कार्य दिवसों में मंजूरी दी जानी है। पंजीकरण की मंजूरी के बाद दस्‍तावेजों एवं परिसरों के निरीक्षण का काम पूरा किया जाएगा।

3.      डिजिटल हस्‍ताक्षर और रिकॉर्डस को इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍वरूप में संरक्षित करना :  संबंधित कानूनी प्रावधानों को संशोधित किया गया है, जिससे अब कोई भी निर्माता इनवॉयस पर डिजिटल हस्‍ताक्षर का इस्‍तेमाल कर सकता है और रिकॉर्ड्स को इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍वरूप में संरक्षित कर सकता है। यही नहीं, इनवॉयस पर डिजिटल हस्‍ताक्षर और रिकॉर्ड्स को इलेक्‍ट्रॉनिक स्‍वरूप में संरक्षित करने की प्रक्रिया एवं शर्तें निर्धारित करने के लिए एक अधिसूचना और एक निर्देश जारी किया गया।

4. सेनवैट लेने के लिए समय सीमा :  कच्‍चे माल और इनपुट से जुड़ी सेवाओं पर अदा किये गये शुल्‍क/टैक्‍स का सेनवैट क्रेडिट लेने की समय सीमा 6 महीने से बढ़ाकर एक साल कर दी गई है।

व्‍यापार में सुविधा के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण

.      24X7 कस्‍टम क्‍लीयरेंस : 17 हवाई अड्डों और 18 समुद्री बंदरगाहों पर 24X7  कस्‍टम क्‍लीयरेंस की सुविधा मुहैया कराई गई।

2.      एकल खिड़की परियोजना – संदेशों का ऑनलाइन आदान-प्रदान :   एकल खिड़की  एक्जिम व्‍यापार के लिए एक साझा प्‍लेटफॉर्म सुलभ कराती है, ताकि सभी नियामकीय एजेंसियों (जैसे कि पशु संगरोध, पादप संगरोध, दवा नियंत्रक, कपड़ा समिति इत्‍यादि) की जरूरतों को संदेशों के आदान-प्रदान के जरिए पूरा किया जा सके। एकल खिड़की योजना के फायदों में घटी हुई लागतें, कारोबार करने में सुगमता, ज्‍यादा पारदर्शि‍ता, दोहराव रोकना व अनुपालन की लागत और संसाधनों का अधिकतम उपयोग शामिल हैं।

 करदाताओं की दी गई राहत

देश में विकास, निवेश, विनिर्माण और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने के लिए वित्त (नम्बर-2) अधिनियम, 2014 और इसी प्रकार वित्त अधिनियम 2015  के द्वारा अनेक विधायी प्रयास शुरू किये गए हैं। इनसे काम-काज को सरल बनाने, कर नियमों में स्पष्टता लाने और विवादों का समाधान करने में सुधार आने की उम्मीद है।

 करदाताओं पर अनुपालन का बोझ कम करने के लिए मूल्यांकन वर्ष 2016-17 से सम्पदा कर की वसूली को समाप्त कर दिया गया है।

  • वित्त अधिनियम 2015 के द्वारा कराधान के अप्रत्यक्ष  हस्तांतरण में स्पष्टता लाई गई है। इसकी व्यावहरिकता पर उपयुक्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसकी व्यावहरिकता को कम करके प्रतिशत वोटिंग शक्ति, प्रबंधन नियंत्रण और भारतीय परिसंपत्तियों की मात्रा के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा निवेशकों की सुविधा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की समिति सीबीडीटी के अधीन गठित की गई है। जिसे 1 अप्रैल, 2012 से पहली अवधि के लिए किसी नई प्रस्तावित कार्रवाई की जांच करने का अधिकार होगा। 
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से प्रतिभूतियों में हुए लेनदेन से होने वाली आय को पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाएगा। इससे उनकी आय के निरूपण के कारण कराधान में अनिश्चितता दूर होगी और एफआईआई से निधियों के प्रवाह को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत में अब तक यह निधियों की निधि प्रबंधकों के हस्तांतरण की सुविधा के लिए स्थाई प्रतिष्ठान (पीई) मानदंड संशोधित किए गए हैं। 
  • अग्रिम मूल्य अनुबंध (एपीए) शासन में ‘रोल बैक’ का प्रावधान शुरू किया गया है ताकि विशिष्ट परिस्थितियों में पिछले 4 वर्षों में किये गए अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन पर भविष्य में किये गए लेन-देन के लिए एपीए लागू हो। 
  • हस्तांतरण मूल्य विनियमों में न्यूनतम मूल्य निर्धारण मूल्य की रेंज अवधारणा शुरू की गई है। हस्तांतरण मूल्य विनियमों के तहत तुलनात्मक विश्लेषण के लिए कई वर्षों के आंकड़ों के उपयोग की अनुमति दी गई। आवश्यक नियमों को अधिसूचित किया गया है। 
  • निर्दिष्ट हस्तांतरण मूल्य विनियमों की उपयुक्तता के लिए तय सीमा को पांच करोड़ रुपये से बढ़ा कर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 
  • भारतीय प्रतिभूतियां एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विनियमों द्वारा नियंत्रित श्रेणी-1 और श्रेणी-2 की सभी उप-श्रेणियों को स्थिति के माध्यम से ‘पास’ उपलब्ध कराकर वैकल्पिक निवेश निधियों (एआईएफ) की कराधान व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया गया है। 
  • ब्याज भुगतान पर 5 प्रतिशत रियायती ब्याज दर के लिए विदेशी मुद्रा में उधार लेने के लिए पात्र तिथि 30-6-2015 से बढ़ाकर 30-6-2017 कर दी गई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के लिए ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के बॉंन्ड्स के लिए कर प्रोत्साहन बढ़ा दिये गए हैं। कोरपोरेट बॉंन्ड्स और सरकारी प्रतिभूतियों और विदेशी निवेशों (एफआईआई और क्यूएफआई) से होने वाली आय के संबंध में 5 प्रतिशत रियायती कर की दर की अवधि 31-05-2015 से बढ़ाकर 30-06-2017 कर दी गई है। 
  • तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी और शुल्क पर कर की दर 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी गई है। 
  • नए संयंत्र और मशीनरी में एक वर्ष में 25 करोड़ से अधिक निवेश करने वाली विनिर्माण कंपनी को 15 प्रतिशत की दर पर निवेश भत्ता देने की अनुमति दी गई है। निवासी कर दाताओं को ऊपर वर्णित सीमा से अधिक अपनी आयकर देयता के संबंध में अग्रिम व्यवस्था प्राप्त करने की अनुमति दी गई है। 
  • योग को धर्मार्थ उद्देश्य की परिभाषा और वास्तविक धर्मार्थ संगठनों द्वारा व्यापार स्वरूप की गतिविधियों हेतु राहत उपलब्ध कराने के लिए भी  गतिविधि की विशिष्ट श्रेणी के रूप में शामिल किया गया है। बशर्ते की इन गतिविधियों से आय कुल प्राप्तियों की 20 प्रतिशत से कम हो।

 

  • सेबी विनियम 1996 के अनुसार म्यूचुअल फंड के समेकन की योजनाओं की प्रक्रिया के अधीन किसी योजना की इकाइयों के हस्तांतरण पर कर तटस्थता उपलब्ध कराई गई है। जीवन सुरक्षा पॉलिसी की कर योग्य परिपक्वता के धारको द्वारा कर की गैर- कटौती की स्वतः घोषणा फाइल करने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है।

 व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 60 वर्ष के कम आयु के व्यक्तिगत करदाता के मामले में 50 हजार रुपये बढ़ाकर 2 लाख से 2.5 लाख रुपये कर दिया गया है। 60 से 80 वर्ष की आयु सीमा में आने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा 2.5 लाख रूपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है।

  • आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अधीन निवेश सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई है। इससे दीर्घकालीन बचत में घरेलू निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 
  • किसी कर्मचारी द्वारा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में अंशदान के कारण आयकर अधिनियम की 80सीसीडी धारा के तहत कटौती की सीमा बढ़ाकर 1 लाख से 1.5 लाख रुपये कर दी गई है। इस 1.5 लाख की सीमा के अलावा 50,000 रुपये की कटौती को एनपीएस में अंशदान करने वाले व्यक्ति को देने की अनुमति दी गई है। 
  • आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है (वरिष्ठ नागरिक के मामले में 20,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दी गई है)। स्वास्थ्य बीमा के लिए योग्य न होने वाले वरिष्ठ नागरिकों के मामले में इतनी ही राशि के व्यय की कटौती की अनुमति दी गई है। 
  • आयकर अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अधीन किसी निवासी से अचल संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति के लिए कर की कटौती आवश्यक है लेकिन उसके लिए इस प्रकार कटौती किए गए कर को जमा करने के लिए टीएएन प्राप्त करने की जरूरत नहीं है। गैर-निवासी व्यक्ति से अचल संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति के लिए यह सुविधा अधिसूचित करने की शक्ति उपलब्ध कराने के लिए संबंधी प्रावधान को संशोधित किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय भ्रमण के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों को नाविक की निवासीय स्थिति का निर्धारण करने के उद्देश्य के लिए निवास अवधि से संबंधित काफी समय से लंबित मांग के संबंध में स्पष्टीकरण जारी कर दिया गया है। 
  • राजस्व विभाग द्वारा वर्ष दर वर्ष कानून वर्ष के उसी प्रश्न पर करदाता के मामले में अपीलों के दोहराव से मुक्ति के लिए एक कार्य प्रणाली उपलब्ध करायी गई है।

 

II.      घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए निम्‍नलिखि‍त कदम उठाए गए :

  • चीनी पर मूल सीमा शुल्‍क को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया, जिसे बाद में और ज्‍यादा बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया। 
  • चीनी सीजन 2015-।6 अर्थात 1 अक्‍टूबर, 2015 के बाद पेराई किये गए गन्‍ने से प्राप्‍त शीरे से उत्‍पादित एथनॉल को उत्‍पाद शुल्‍क से मुक्‍त कर दिया गया, ताकि पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों जैसे कि भारतीय तेल निगम लिमिटेड, हिन्‍दुस्‍तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड या भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड को इसकी आपूर्ति की जा सके। इसके अलावा, इस तरह से शुल्‍क मुक्‍त एथनॉल के उत्‍पादकों को इनपुट टैक्‍स क्रेडिट सुलभ कराया जा सके। 
  • कच्‍चे खाद्य तेलों (वनस्‍पति मूल) पर मूल सीमा शुल्‍क को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया और रिफाइंड खाद्य तेलों (वनस्‍पति मूल) पर मूल सीमा शुल्‍क को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया। 
  • घी, मक्खन और मक्खन तेल पर मूल सीमा शुल्‍क को 31 मार्च, 2016 तक के लिए 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है। 
  • गेहूं पर 10 फीसदी मूल सीमा शुल्‍क लगाया गया, जिसे 31 मार्च, 2016 तक के लिए बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है। 

IV.   स्‍वच्‍छ भारत से जुड़ी पहलों के जरिए जीवन की गुणवत्‍ता और सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर करने के लिए निम्‍नलिखित कदम उठाए गए हैं :

  • कोयला, लिग्‍नाइट पर स्‍वच्‍छ ऊर्जा उपकर को प्रति टन 100 रुपये से बढ़ाकर प्रति टन 200 रुपये कर दिया गया। 
  • बिजली संचालित वाहनों और हाइब्रिड वाहनों के विशेष कलपुर्जों पर सीमा शुल्‍क एवं उत्‍पाद शुल्‍क की रियायती दरें अब 31 मार्च, 2016 तक मान्‍य होंगी, जबकि पहले यह 31 मार्च, 2015 तक ही मान्‍य थीं। 
  • औद्योगिक इस्‍तेमाल को छोड़ एथिलीन के पॉलिमर्स के बैगों एवं बोरियों पर देय उत्‍पाद शुल्‍क को 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया।
  • सभी अथवा विशेष कर योग्‍य सेवाओं पर 2 फीसदी की दर से स्‍वच्‍छ भारत उपकर लागू करने का अधिकार केन्‍द्र सरकार को देने के लिए एक प्रावधान किया गया था। इस प्रावधान को 15 नवम्‍बर, 2015 से लागू कर दिया गया है और सेवा कर से मुक्‍त अथवा नकारात्‍मक सूची में शामिल सेवाओं को छोड़ अन्‍य सभी सेवाओं पर 0.5 फीसदी की दर से स्‍वच्‍छ भारत उपकर लगाया गया है। इस उपकर से प्राप्‍त होने वाली राशि का इस्‍तेमाल स्‍वच्‍छ भारत संबंधी पहलों में किया जाएगा। 

सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रोत्‍साहन देने के लिए उपाय

65 एमएम तक लम्‍बी सिगरेटों पर उत्‍पाद शुल्‍क में 25 फीसदी की वृद्धि की गई, जबकि अन्‍य लम्‍बाई वाली सिगरेटों पर उत्‍पाद शुल्‍क में 15 फीसदी बढ़ोतरी की गई। इसी तरह की वृद्धि सिगार इत्‍यादि पर भी की गई है।

 विविध उपाय

 प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए कारोबार सुविधा प्रदानकर्ताओं/बिजनेस कॉरस्‍पोंडेंट्स द्वारा मुहैया कराई जाने वाली विशिष्‍ट सेवाओं को सर्विस टैक्‍स से मुक्‍त कर दिया गया है। यह रियायत किसी बैंक की ग्रामीण शाखाओं में प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत बुनियादी (बेसिक) बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाते खोले जाने पर ही दी जाएगी।

संयुक्‍त राष्‍ट महासभा द्वारा 21 जून को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस घोषित किये जाने के मद्देनजर योग को बढ़ावा देने से जुड़ी परोपकारी गतिविधियों को सेवा कर से मुक्‍त कर दिया गया है।

शुल्‍क उत्‍कर्मण की समस्‍या से निपटने के लिए विशेष कच्‍चे माल (इनपुट) पर सीमा शुल्‍क घटा दिया गया

  • उर्वरक उत्‍पादन में उपयोग के लिए सलफ्यूरिक एसिड 

सीमा शुल्‍क में कमी इसलिए भी की गईताकि आगे और विनिर्माण के लिए आवश्‍यक कच्‍चे माल की लागत घटाई जा सके और इस तरह घरेलू मूल्‍य वर्द्धन को बढ़ावा दिया जा सके- 

प्रक्रियाओं के सरलीकरण और बेहतर करदाता सेवाओं के लिए उठाए गए कदम

  • पैन जारी करना : आर्थिक विकास में बढ़ोतरी के साथ-साथ पेन डेटाबेस में काफी प्रगति हुई है। 31 मार्च, 2015 तक कुल मिलाकर  22,32,47,190 पेन आवंटित किए जा चुके हैं। चालू वर्ष के दौरान (31 मार्च, 2015 तक) 1,86,04,948 पेन आवंटित किए गए हैं। ई-बिज मंच के साथ पेन और टेन सेवाओं के लेवल-1 इंट्रीग्रेशन पूरा हो चुका है। 
  • ई-फाइलिंग-आयकर रिटर्न दाखिल करना : 

विभाग का ई-फाइलिंग पोर्टल https://incometaxindiaefiling.gov.in है। 31 अक्टूबर, 2015 के अनुसार ई-फाइलिंग पोर्टल पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 4.86 करोड़ है। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान नेट बैंकिंग के माध्यम से “लॉगिन टु ई-फाइलिंग”, सीपी से संबधित परिवेदनाओं और स्थिति को अद्यतन करने का विकल्प तथा बकाया कर डिमांड के लिए प्रतिक्रिया जमा करना जैसी नई प्रमुख सुविधाओं को शामिल किया गया है। वित्त वर्ष 2014-15 में ई-फाइलिंग के द्वारा 341.7 लाख आयकर रिटर्न प्राप्त हुए जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15.14 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाते हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में 31-10-2015 तक ई-फाइलिंग पोर्टल पर 2.7 करोड़ रिटर्न्स प्राप्त हुए जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 34.35 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्शाते हैं।

  • आयकर रिटर्न के लिए केंद्रीयकृत प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) : यह परियोजना सभी ई-फाइलिंग आयकर रिटर्नों के साथ-साथ कर्नाटक और गोवा की सभी कागजी रिटर्नों की बैंग्लुरू में केंद्रीयकृत प्रोसेसिंग करती है। सीपीसी में 31 मार्च, 2015 तक 9.25 करोड़ से अधिक ई-रिटर्न्स की जांच की है। जबकि प्रारंभिक 5 वर्षों में सीपीसी के लिए 2.7 करोड़ ई-फाइल रिटर्न्स का प्रोसेसिंग लक्ष्य रखा गया था। सीपीसी ने वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 3.07 करोड़ आयकर रिटर्नों की प्रोसेसिंग की। जो वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान की गई 2.44 करोड़ की प्रोसेसिंग की तुलना में 26 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर दर्शाती है। सीपीसी ने प्रतिदर प्रतिदिन 3.77 लाख रिटर्न अधिकतम प्रोसेसिंग क्षमता अर्जित की है। 1 नवम्बर, 2015 के अनुसार केंद्रीय प्रोसेसिंग केंद्र ने 2.40 लाख करोड़ रिटर्नों की प्रोसेसिंग की थी। इन 2.40 करोड़ रिटर्नों में से 1.16 करोड़ वित्तीय वर्ष 2015-16 से संबधित है जिनमें 72 लाख रिफंड मामले शामिल हैं। इन 99 प्रतिशत रिटर्नों की प्रोसेसिंग 90 दिनों के अंदर कर ली गई है। औसत प्रोसेसिंग समय घटकर 22 दिन हो गया है। सीपीसी ने ई-मेल और एसएमएस के द्वारा करदाताओं के साथ संदेश स्थापित करने में प्रगति हासिल की है। आज की तारीख तक सीपीसी ने 24.52 करोड़ डिजिटली हस्ताक्षरित पीडीएफ आधारित सूचनाएं ई-मेल के द्वारा भेजी गई। इसके अलावा लगभग 18.01 करोड़ एसएमएस एलर्ट्स और लगभग 2.26 करोड़ सूचनाएं पूरे देश में स्पीड पोस्ट द्वारा भेजी गई। ई-डिलिवरी के कारण डाक की तुलना में बचत 367 करोड़ रुपये की हुई। बकाया राशि की मांग को निपटाने और अद्यतन करने के मामले के निपटने के लिए सीपीसीएफएएस (वित्तीय लेखा प्रणाली) में बकाया मांग स्थिति सीपीसी एओ पोर्टल के माध्यम से फील्ड एओ को उपलब्ध कराई गई और करदाताओं को ई-फाइलिंग वेबसाइट पर ‘माइ एकाउंट’ के माध्यम से जानकारी दी गई। फील्ड एओ को समर्थ बनाने और करदाताओं के सत्यापन और पुष्टि के लिए सीपीसी पोर्टल/ ई-फाइलिंग वेबसाइट पर रुपये 6,98,776 करोड़ रुपये की बकाया मांगों को दर्शाया गया है। सीपीसी ने करदाताओं को ई-फाइलिंग वेबसाइट के माध्यम से अपनी मांग पर स्वीकृति/अस्वीकृति को वापस भेजने की सुविधा प्रदान की है। सीपीसी और ई-फाइलिंग कार्बन इमप्रिंट को कम करने और ‘गो ग्रीन’ बनाने के लिए विभाग द्वारा किये गए प्रयास के प्रतीक हैं। 

रिफंड बैंकर : रिफंड बैंकर परियोजना ने रिफंडों के निर्धारण, निर्माण, जारी करने, डिस्‍पैच करने तथा उन्‍हें जमा करने के लिए प्रणाली उन्‍मुखी प्रक्रिया को सक्षम बनाया है। जैसे ही रिफंड का निर्धारण होता है, इसीएस के जरिये उन्‍हें सीधे करदाताओं के बैंक खातों में डाल दिया जाता है। इस योजना के तहत इंडिया पोस्‍ट एवं नेशनल सिक्‍यूरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के सहयोग से स्थिति की निगरानी करने तथा उनकी यथास्थिति बताने के लिए एक वेब आधारित जांच प्रणाली उपलब्‍ध है। योजना के जरिये जारी रिफंड की यथास्थिति की जानकारी प्राप्‍त करने के लिए टॉल फ्री नंबर 1800-42-59-760 के साथ कॉल सेन्‍टर सुविधा भी उपलब्‍ध है। रिफंड बैंकर परियोजना के जरिये रिफंडों की संख्‍या और प्रतिशत में निरंतर बढोतरी हुई है। वित्‍त वर्ष 2014-15 के दौरान योजना के जरिये जारी रिफंड का प्रतिशत देश भर में जारी रिफंड का 99.84 प्रतिशत है।

करों की ई-अदायगी : ई-अदायगी परियोजना ने नेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग करते हुए सभी प्रत्‍यक्ष करों की ऑनलाइन अदायगी को सक्षम बनाया है। प्रत्‍यक्ष करों की अदायगी की सुविधा कुछ बैंकों में एटीएम के जरिये शुरू की गई है। वित्‍त वर्ष 2014-15 के दौरान ई-टैक्‍स अदायगी की गणना और राशि क्रमश: 64.20 फीसदी एवं 87.00 फीसदी थी।

परियोजना अंतर्दृष्टि: आय कर विभाग ने कर प्रशासन के सभी क्षेत्रों में सूचना के अनुपालन को बेहतर बनाने तथा कारगर उपयोग के लिए गैर हस्‍तक्षेप सूचना उन्‍मुखी दृष्टिकोण को मजबूत बनाने के लिए डाटा वेयरहाउस एवं बिजनेस इंटेलीजेंस (डीडब्‍ल्‍यू एवं बीआई) मंच पर  ’परियोजना अंतर्दृष्टि’ की शुरूआत की है। यह परियोजना इंटरप्राइज डाटा वेयरहाउस, डाटा माइनिंग, वेब माइनिंग, प्रेडिक्टिव मॉडलिंग, डाटा विनिमय, मास्‍टर डाटा प्रबंधन, केंद्रीकृत प्रोसेसिंग, अनुपालन जोखिम प्रबंधन एवं मामला विश्‍लेषण क्षमताओं को समेकित करेगी। इस परियोजना के तहत उच्‍च कौशल कार्य के लिए आईटीडी के भीतर अधिकतम संसाधन जुटाने तथा संसाधनों से जुडे दुहराव वाले कार्यों के संचालन के लिए एक अनुपालन प्रबंधन केंद्रीकृत प्रोसेसिंग केंद्र ( सीएमसीपीसी) का भी गठन किया जाएगा। इस परियोजना में विदेशी खाता कर अनुपालन ( एफएटीसीए), कॉमन रिपोर्टिंग स्‍टैंडर्ड (सीआरएस) एवं सूचनाओं का स्‍वचालित आदन प्रदान। इस परियोजना का संचालन 2016 से होने की उम्‍मीद है।

आयकर व्‍यवसाय आवेदन (आईटीबीए)

आय कर व्‍यवसाय आवेदन निकट भविष्‍य में विभाग की सभी प्रक्रियाओं के स्‍वचालन के लिए एक प्रमुख योजना है। इस परियोजना में वर्तमान आवेदन को फिर से लिखना, अभी तक अछूती रही प्रक्रियाओं को इसमें जोडने तथा विभाग के मानव संसाधन संबंधित पहलुओं का स्‍वचालन करना शामिल है। जहां तक एकल वेंडर के हार्डवेयर आवेदन एवं इसके प्रदर्शन के लिए जिम्‍मेदार होने का सवाल है और प्रदर्शन सख्‍त सेवा स्‍तरीय समझौतों के खिलाफ जांच करने से संबंधित है, यह परियोजना वि‍शिष्‍ट है। इस परियोजना को चालू वित्‍त वर्ष के दौरान लागू किया जा रहा है। वित्‍त वर्ष 2014-15 के दौरान निम्‍नलिखित उपलब्धियों के मील के पत्‍थर अर्जित किए गए :

1.     डाटा सेंटर में डाटा का अत्‍याधुनिक हार्डवेयर में स्‍थानांतरण विरासत प्रणाली का निर्माण करते हैं।

1.2. नए ईमेल सॉल्‍यूशन का प्रावधान

1.3 कैडर पुनर्गठन के परिणामस्‍वरूप उपयोगकर्ताओं का स्‍थानांतरण

   4. प्रौद्वोगिकी प्रशिक्षण केंद्र के एक हिस्‍से के रूप में विकास

परियोजना का नाम : ओएलटीएएस (ऑनलाइन कर अंकेक्षण प्रणाली)

ओएलटीएएस परियोजना टैक्‍स जमा करने के लिए आय कर विभाग द्वारा रखे गए चल रहे चालू खाता बही के साथ कर दाताओं द्वारा की गई ऑन लाइन कर अदायगी को समेकित करती है। ओएलटीएएस भारतीय रिजर्व बैंक, एजेंसी बैंकों एवं टिन (वर्तमान में एनएसडीएल द्वारा प्रबंधित) के साथ घनिष्‍ठता से जुडकर काम करती है। ओएलटीएएस परियोजना का लक्ष्‍य टैक्‍स जमा करने एवं दस्‍तावेजों के सत्‍यापन के लिए कागजी प्रणाली को समाप्‍त करना है। ओएलटीएएस परियोजना आय कर विभाग द्वारा शुरू की गई ऐतिहासिक पहल रही है। इस परियोजना के तहत बैंकों में की गई सभी अदायगियां टी+3 आधार पर अपलोड की जाती है। नकदी अदायगी का खाका पैन/टिन के साथ एसेसी एवं बैंकों के साथ बनाया जा सकता है चाहे अदायगी का स्‍थान कोई भी रहा हो। 30 एजेंसी बैंकों एवं निजी क्षेत्र के तीन बैंकों समेत उनकी 13,000 शाखाओं के एक देशव्‍यापी नेटवर्क को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ओएलटीएएस के तहत प्रत्‍यक्ष कर अदायगी संग्रह करने के लिए अधिकृत किया जाता है।

परियोजना एएसटी :

एएसटी का अर्थ आय कर विभाग के मौजूदा मूलभूत मापांक से लगाया जाता है और यह ऐसे कामों से संबंधित आकलन से जुडा होता है जिसका संबंध सभी मापांकों के काम काज के लिए अहम जानकारी प्राप्‍त करने के लिए एआईएस (पैन), टीडीएस (स्‍त्रोत पर कर कटौती), ओएलटीएएस (ऑनलाइन कर अंकेक्षण प्रणाली), ई फाइलिंग, सीपीसी-आईटीआर बंगलुरू, सीआईबी (एआईआर समेत) आदि से होता है।

रिटर्न जमा नहीं करने वालों के लिए निगरानी प्रणाली (एनएमएस) :

रिटर्न जमा नहीं करने वालों के लिए निगरानी प्रणाली (एनएमएस)  को संभावित कर बाध्‍यताओं के बावजूद रिटर्न जमा नहीं करने वालों पर कार्रवाई को प्राथमिकता देने की एक प्रायोगिक योजना के रूप में क्रियान्वित किया गया था। रिटर्न जमा नहीं करने वाले ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए, जिनके बारे में विशिष्‍ट सूचना एआईआर, सीआईबी डाटा एवं टीडीएस/टीसीएस रिटर्न में उपलब्‍ध है, डाटा विश्‍लेषण किया गया। इसके परिणाम काफी उत्‍साहवर्धक रहे हैं और प्रायोगिक परियोजना के प्रारंभ होने के बाद कई सारे कर दाताओं ने स्‍व आकलन कर एवं रिटर्न जमा किया है। सीबीडीटी ने वित्‍त वर्ष 2015- 16 के दौरान एक करोड नए करदाताओं को जोडने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है और इसे अर्जित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। 20 सितंबर 2015 तक 26.59 लाख नए कर दाता जोडे जा चुके हैं।

आयकर विभाग के लिए राष्‍ट्रीय वेबसाइट http//incometaxindia.gov.in

आय कर विभाग ने 22.09.2014 को नए राष्‍ट्रीय वेबसाइट (http//incometaxindia.gov.in) के अनावरण के साथ करदाता सेवाओं को बढाने के लिए एक बडा कदम उठाया। यह वेबसाइट एक सरल एवं उपयोग के अनुकूल तरीके से सभी करदाता सेवाओं एवं जानकारी की सुविधा देने के लिए सभी करदाताओं, संभावित कर दाताओं, आम नागरिकों, कर पेशेवरों, अप्रवासियों एवं यहां तक कि छात्रों के लिए एकल सुविधा स्‍थान है।

सेंट्रलाइज्‍ड प्रोसेसिंग सेल-टीडीएस (सीपीसी-टीडीएस)

स्‍त्रोत पर कटौती के लिए सेंट्रलाइज्‍ड प्रोसेसिंग सेल (सीपीसी-टीडीएस) आय कर विभाग का एक प्रौद्वोगिकी उन्‍मुखी पहल है। इस बेहतरीन प्रौद्वोगिकी मंच का उपयोग भारत वर्ष एवं विदेशों में 15 लाख से अधिक डिडक्‍टर यानी कटौतीकर्ता एवं 4 करोड से अधिक करदाताओं तथा आय कर विभाग के 500 अधिकारियों को मूल्‍य संवर्द्वित सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जा रहा है जो देश भर में टीडीएस का संचालन कर रहे हैं।

इलेक्‍ट्रोनिक वेरिफिकेशन कोड (इवीसी):

कर दाताओं को हर संभव सुविधा प्रदान करने तथा सभी प्रकार की सेवाएं देने के लिए सीबीडीटी द्वारा आय के रिटर्न के लिए एक इलेक्‍ट्रोनिक वेरिफिकेशन प्रणाली शुरू की गई है। कोई भी कर दाता अब इंटरनेट बैंकिंग पेार्टल या आधार आधारित प्रमाणीकरण प्रक्रिया के जरिये इलेक्‍ट्रोनिक तरीके से भरे गए अपने रिटर्न की जांच कर सकता है। छोटे कर दाताओं के लिए एक इलेक्‍ट्रोनिक वेरिफिकेशन कोड (इवीसी) आय कर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट के जरिये भी सृजित किया जा सकता है। इस सुविधा का उपयोग करने वालों को सीपीसी बंगलुरू को कागज आधारित आइटीआर-वी जांच प्रारूप जमा करने की जरूरत नहीं होगी। 07.09.2015 तक इवीसी के जरिये करीब 33 लाख ई-रिटर्न की जांच की जा चुकी है। सीबीडीटी द्वारा शिकायतों को निपटाने की एक मुहिम के परिणामस्‍वरूप सीपीजीआरएएमएस के जरिये शिकायतों के निपटान में उल्‍लेखनीय बढोतरी हुई है। 01.04.2014 से 22.07.2015 तक सीपीजीआरएएमएस शिकायतों की समग्र निपटान दर 85 फीसदी रही है।

ई-सहयोग

ई-सहयोग प्रायोगिक परियोजना की शुरूआत कर दाताओं द्वारा आय कर विभाग कार्यालय का भ्रमण करने की जरूरत समाप्‍त करने के लिए आय कर रिटर्न में विषमताओं को दूर करने का एक ऑनलाइन तंत्र है। इस पहल के तहत, आय कर विभाग एसएमएस, ई-मेल का उपयोग कर कर दाताओं को विषमताओं को दूर करने की जानकारी प्रदान करेगा। करदाताओं को केवल अपने यूजर आईडी एवं पासवर्ड का उपयोग कर ई फाइलिंग पोर्टल पर जाने तथा लॉग इन करने की जरूरत होगी जिससे कि वे विषमता संबंधित जानकारियों को देख सकें और इस मुद्वे पर ऑनलाइन रिस्‍पांस जमा कर सकें। कर दाताओं द्वारा जमा ऑनलाइन जबावों की प्रोसेसिंग की जाएगी और अगर रिस्‍पांस एवं अन्‍य जानकारियों को ऑटोमेटेड क्‍लोजर नियमों को संतोषजनक पाया गया तो इस मुद्वे को बंद कर दिया जाएगा।

 काले धन पर अंकुश लगाने के उपाय

  • संसद के माध्यम से भारत की जनता के साथ सरकार द्वारा किए गए वायदे को पूरा करने के लिए काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) कर अधिनियम,2015 के अधिरोपण को अधिनियमित किया गया है। कथित अधिनियम के तहत प्रासंगिक नियमों (काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) की नियमावली, 2015 का अधिरोपण) को लागू किया गया है। 
  • एक मुश्त अनुपालन अवसर- काला धन अधिनियम उस व्यक्ति के लिए सीमित अवधि (1 जुलाई, 2015 से 30 सितम्बर, 2015 तक) के लिए एक मुश्त अनुपालन अवसर भी उपलब्ध कराता है, जिसके पास कोई अघोषित विदेशी संपत्ति है और उसमें आयकर के उद्देश्यों के लिए उस संपत्ति की घोषणा नहीं की है। ऐसे व्यक्तियों को निर्दिष्ट कराधिकारी के समक्ष घोषणा दाखिल करने की अनुमति थी। ऐसी घोषणा करने वालों को 30 प्रतिशत दर से कर और उसके बराबर ही राशि का जुर्माना 31 दिसंबर, 2015 तक जमा करना जरूरी था। ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध नए कर के कठोर प्रावधानों के अनुसार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। एक मुश्त अनुपालन अवसर के अधीन 4147 करोड़ रुपये की अघोषित विदेशी संपत्तियों की घोषणा की गई है।
  • बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम (बीटीपीए) 1988 को संशोधित करने के लिए बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, बिल 2015 लोकसभा में पेश किया गया है। इस नए संशोधित कानून से बेनामी संपत्ति को जब्त करने और मुकदमा चलाने का अधिकार प्राप्त होगा। इस प्रकार प्रमुख राजस्व को, विशेष रूप से रिअल स्टेट में बेनामी संपत्ति के रूप में, काले धन के रूप में लगाए जाने का रास्ता अवरूद्ध होगा।
  • सरकार स्विस सरकार के साथ समन्वय में बैंक खातों की असलियत की पुष्टि के लिए आयकर विभाग द्वारा जांच किए गए मामलों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रही है।
  • एफएटीसीए भारत और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने करों के मामले में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम एफएटीसीए को लागू करने के लिए अंतर सरकारी समझौते (आईजीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह काले धन के खिलाफ भारत की लड़ाई का एक प्रमुख मील का पत्थर है जिसे भारतीय कर अधिकारियों को स्वतः आधार पर विदेशों से भारतवासियों के वित्तीय खातों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
  • काले धन पर एसआईटी ने सरकार के सामने अपनी सिफारिशें पेश की हैं। सरकार इनके विवरण की जांच कर रही है।
  • भारत और जर्मनी वर्तमान अनुबंध के आधार पर आपस में कर संबंधित जानकारी का आदान-प्रदान कर रहे हैं। दोनों देशों में जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ाने की अन्य संभावनाओं का पता लगाने के लिए आपसी सहमति व्यक्त की है। दोनों देश डीटीएए के आंशिक संशोधन पर सहमत हैं ताकि सूचना के आदान-प्रदान से संबंधित आदान-प्रदान को अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर लाया जा सके। 
  • अनेक निरोधात्मक कदम भी उठाए गए हैं। यह भी निर्णय लिया गया है कि 2 लाख रुपये से अधिक की राशि के लेनदेन के लिए पेन का उल्लेख करना जरुरी होगा चाहे भुगतान किसी भी तरह किया गया हो। सरकार ने पेन का उल्लेख करने के लिए अपेक्षित विभिन्न कुछ लेन देन की धन सीमा को बढ़ाया है। ये सीमाएं अब अचल संपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये एक समय भुगतान किए गए होटल या रेस्टोरेंट के बिल के भुगतान के मामले में 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये और गैर- सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों की खरीददारी और बिक्री के लिए 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। जन- धन खाते के लिए पेन संख्या के उल्लेख की जरुरत नहीं होगी। सहकारी बैंकों सहित सभी बैंक खातों को खोलने के लिए पेन संख्या की जरूरत पड़ती है। इन नियमों में परिवर्तन 1 जनवरी, 2016 से लागू होगा।

आयकर सेवा केंद्र : आयकर विभाग के नागरिक मांग पत्र के कार्यान्वयन के लिए यह एक एकल खिड़की प्रणाली तथा जन सेवा की आपूर्ति में उत्कृष्टता अर्जित करने के लिए एक क्रिया- विधि है।

एएसके में प्राप्त सभी सूचनाएं और रिटर्न के लिए समय पर निपटान आवश्यक है जिसकी निगरानी और समीक्षा की जा सकती है। डाक की प्राप्ति, वितरण और निपटान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है और इसकी नियमित अंतराल पर निगरानी की जाती है। 01-04-2014 के 31-03-2015 तक 61 एएसके स्थापित किए गए। 31-03-2015 तक कुल 250 आयकर सेवा केंद्रों की स्थापना की गई। 56 एएसके केंद्रों को आईएसओ: 15700 प्रमाणीकरण दिया गया और अधिक केंद्र इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं।

परिणाम फ्रेमवर्क दस्तावेज (आरएफडी) : विभिन्न योजनाओं के संबंध में प्रगति का पता लगाने के लिए विभाग को उपकरणों से युक्त करने के लिए प्रतिवर्ष परिणाम फ्रेमवर्क दस्तावेज (आरएफडी) का मसौदा तैयार किया जाता है। आरएफडी सीबीडीटी के अध्यक्ष और सीबीडीटी में उत्तरदायित्व केंद्रों के दर्मियान एक समझौता है। जिसके द्वारा मापने योग्य सफलता सूचकों के अनुसार अर्जित किए जाने वाले लक्ष्यों के सैट को निर्धारित किया जाता है। वर्ष 2015-16 के लिए आरएफडी मार्च, 2015 में प्रस्तुत किया गया था। वित्त वर्ष 2014-15 के लिए आरएफडी की वार्षिक समीक्षा मई, 2015 में पूरी हो चुकी है।

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) 

वित्त मंत्रालय के तहत आने वाला वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) देश के बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में एक नोडल विभाग है। चालू वित्तीय वर्ष में वित्तीय सेवा विभाग ने सार्वभौम वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई कदम उठाए हैं और वित्तीय समावेशन तथा सामाजिक सुरक्षा से संबंधित विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।

 मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान विभाग की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार रही हैं:

 1.      प्रधानमंत्री जन-धन योजना  पीएमजेडीवाईः मेरा खाता-भाग्य विधाता

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना की शुरुआत करने की घोषणा की थी। 28 अगस्त 2014 को देश भर में इस योजना की शुरुआत कर दी गई। वित्तीय समायोजन के इस राष्ट्रीय मिशन का एक महत्वाकांक्षी उद्देश्य देश के सभी परिवारों को बैंकिंग सुविधाओं के दायरे में लाना और सभी परिवारों का बैंक खाता खुलवाना है। प्रधानमंत्री द्वारा इस बात पर जोर दिया गया है कि वित्तीय प्रणाली की मुख्यधारा से बाहर छूट गए लोगों को इसमें शामिल करना महत्वपूर्ण है।

सरकार ने ‘बैंकिंग सुविधाओं की सब तक पहुंच’ के लिए पीएमजेडीवाई की शुरुआत की। इस योजना के तहत ‘सामान्य बचत खाता’ खोला गया जिसमें छह माह तक संतोषजनक संचालन के बाद 5000 रुपये तक के ओवरड्राफ्ट की सुविधा है। इसके अलावा खाताधारक को एक रूपे डेबिट कार्ड और एक लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा कवर भी मिलेगा।

 उपलब्धियां

  • 11 नवंबर 2015 तक विभिन्न बैंकों ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 19.21 करोड़ बैंक खाते खोले और इनमें 26,819 करोड़ रुपये की राशि जमा हुई है। 16.51 करोड़ खाताधारकों को रूपे कार्ड जारी किया जा चुका है। 
  • प्रतिदिन दो लाख बैंक खाते खोले गए। 
  • 13 नवंबर 2015 तक 45.98 लाख से ज्यादा खातों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान की गई है। इनमें से 8.86 लाख खाताधारकों ने कुल 124.95 लाख रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाया है। 
  • 13 नवंबर 2015 तक 30,000 रुपये के लाइफ कवर के 1336 दावों और एक लाख रुपये के 333दुर्घटना बीमा दावों का भुगतान किया जा चुका है।

 प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खोले गए जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या में सितंबर 2014 से 11 नवंबर 2015 के बीच कम हुई है। यह 76 प्रतिशत के स्तर से घटकर 36.50 प्रतिशत पर आ गए हैं।

v     देश में बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए 13 नवंबर 2015 तक कुल 159920उप-सेवा क्षेत्रों (एसएसए) में से 126003 एसएसए को निर्धारित जगहों पर बैंक मित्रों और33100 एसएसए को बैंक शाखाओं के जरिए कवर किया गया है। 817 एसएसए कनेक्टिविटी की समस्या के चलते अभी किसी भी दायरे में नहीं आ सके हैं।

v     बैंकिंग तक सब की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए 1.26 लाख से ज्यादा बैंक मित्रों को नियुक्‍त किया गया है। ऑनलाइन डिवाइस से लैस ये बैंक मित्र ई-केवाईसी आधारित बैंक खाते खोलने और बड़ी संख्या में अंतरसक्रियात्मक भुगतान सुविधा उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। जन-धन योजना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिलः वित्तीय समावेशन अभियान के तहत बैंकों द्वारा प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत एक हफ्ते में (23 से 29 अगस्त 2014 के बीच) 18,096,130 बैंक खाते खोलने को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने भी मान्यता दी है।

  • मनरेगा के तहत मजदूरी का भुगतानः जून 2015 तक इन खातों में 4273 करोड़ रुपये से अधिक की मनरेगा की मजदूरी का भुगतान किया गया है। (स्रोतः मनरेगाग्रामीण विकास मंत्रालय) 
  • डीबीटीएल लेनदेनः नवंबर 2014 से 31 जुलाई 2015 के बीच जन-धन खातों में 17446 करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी का भुगतान किया गया है।
  •  ( स्रोतः तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय)
  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना 

(02.12.2015 तक खोले गए खाते)

(सभी आंकड़े करोड़ में)

बैंक का नाम ग्रामीण शहरी कुल रूपे कार्ड की संख्या आधार से जुड़े खातों में बकाया राशि जीरो बैलेंस वाले खातों का प्रतिशत
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 8.39 6.80 15.20 13.46 7.03 21450.31 34.54
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 2.99 0.50 3.49 2.51 0.98 4683.38 32.09
निजी बैंक 0.44 0.29 0.73 0.64 0.23 1149.36 41.10
कुल 11.82 7.60 19.41 16.61 8.24 27283.06 34.31

 2.      प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)  : “वित्‍त से वंचितों को धन सुविधा

2015-16 के आम बजट में वित्त मंत्री ने लघु इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) बैंक बनाने का प्रस्ताव किया था। गैर-कार्पोरेट वाले छोटे व्यापार क्षेत्रों की कर्ज तक औपचारिक उपलब्धता के मकसद से प्रधानमंत्री ने 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की थी। ऐसा कोई भी भारतीय नागरिक जिसके पास व्यापार योजना है और उसे दस लाख रुपये से कम के कर्ज की आवश्यकता है, वह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंक, एमएफआई अथवा एनबीएफसी से संपर्क कर मुद्रा लोन का लाभ पा सकता है। गैर-फार्म क्षेत्र की आय सृजन गतिविधि में उत्पादन, प्रसंस्करण, व्यापार या सेवा क्षेत्र आते हैं।3

 कर्ज की श्रेणियां

v. 50,000 रुपये तक का कर्ज                               शिशु

v     50 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक का कर्ज              किशोर

v     पांच लाख रुपये से अधिक व 10 लाख रुपये तक का कर्ज       तरुण

 मुद्रा कार्ड एक अभिनव यानी इनोवेटिव क्रेडिट उत्पाद है, इसमें कर्ज लेने वाला परेशानी मुक्त होकर और लचीले तरीके से कर्ज का लाभ ले सकते है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये और निजी अथवा विदेशी बैंकों को 30,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया है। आरआरबी को 22,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 के तहत बैंकों के लिए कुल 1,22,000 रुपये के कर्ज वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

उपलब्धियां

  • 25 नवंबर 2015 तक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कुल 45948.28 करोड़ रुपये का वितरण।
  • कर्ज लेने वालों की कुल संख्या- 66,00,241
  • महिला कर्जदार- 23,50,542
  • नए व्यापारी- 32,86,094
  • एस/एसटी/ओबीसी कर्जदार- 22,01,944
  • कुल जारी मुद्रा कार्ड – 1,98,499

  o       शिशु कर्ज श्रेणी में लोन लेने वालो की संख्या करीब छह गुना तक बढ़ गई है (7.2 लाख से 47 लाख तक) और इसके तहत वितरित की गई राशि में 283 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। (1835 करोड़ रुपये से 7046 करोड़ रुपये तक)

o       किशोर कर्ज श्रेणी में कर्ज वितरण में 91 प्रतिशत वृद्धि हुई है। (8156 करोड़ रुपये से 15704 करोड़ रुपये तक)

o       तरुण कर्ज श्रेणी में कर्ज वितरण में 21 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। (7851 करोड़ रुपये से 9501 करोड़ रुपये तक)

 जन-धन से जन सुरक्षा

3.      अटल पेंशन योजना (एपीवाई)

 भारत सरकार ने 01 जून 2015 से अटल पेंशन योजना (एपीवाई) नाम से एक पेंशन योजना की शुरुआत की। सभी भारतीयों विशेषकर गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 2015-16 के बजट में एक सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने की घोषणा की गई थी। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की समग्र प्रशासनिक एवं संस्थागत संरचना के तहत एपीवाई का प्रशासन पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) संभालता है।

 पीवाई का संचालन सीबीएस सुविधा वाले बैंकों के जरिए होता है। अटल पेंशन योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, शीर्ष सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों ने पहले से ही ग्राहकों के संग्रहण और पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

उपलब्धियां

 24 नवंबर, 2015 तक इस योजना के तहत कुल 10.35 लाख लोगों ने अपना पंजीकरण कराया है।

4.      प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई)

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) एक साल की निजी दुर्घटना बीमा योजना है। इसमें वार्षिक नवीनीकरण के जरिए स्थायी अपंगता की स्थिति अथवा मौत हो जाने की स्थिति में दो लाख रुपये तक का कवर मिलता है। वहीं दुर्घटना के दौरान आंशिक अपंगता की स्थिति में एक लाख रुपये का कवर प्राप्त होता है। यह 18 से 70 साल तक की आयु के लोगों के लिए उपलब्ध है।

– सदस्यता सामग्री सभी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।

– डीएफएस द्वारा एक विशेष वेबसाइट www.jansuraksha.gov.in बनाई गई है। इसमें सभी संबंधित सामग्री/सूचना, पूछे जाने वाले प्रश्नों की जानकारी शामिल है।

– ग्राहकों के प्रश्नों का जवाब देने के लिए राज्यवार टोल फ्री नंबर आवंटित किया गया है।

उपलब्धियां

  • पीएमएसबीवाई के तहत 24 नवंबर, 2015 तक कुल 9.16 करोड़ लोगों ने अपना पंजीकरण करवाया है।
  • पीएमएसबीवाई के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (आरआरबी समेत) की हिस्सेदारी 93.2 प्रतिशत है।
  • 23 नवंबर, 2015 तक पीएमएसबीवाई के तहत 1491 दावे दर्ज किए गए। इनमें से 740 को भुगतान किया जा चुका है।

 5.      प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई)

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) एक साल की बीमा योजना है। इसमें एक बार के नवीनीकरण के बाद किसी भी कारण से मृत्यु होने की स्थिति में दो लाख रुपये तक मिलेंगे। यह योजना 18 से 50 वर्ष की आयु के लोगों (इसमें 50 साल की आयु तक पंजीकरण कराने के बाद 55 वर्ष की आयु तक लाइफ कवर मिलता है) के लिए उपलब्ध है।

– सदस्यता सामग्री सभी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।

– डीएफएस द्वारा एक विशेष वेबसाइट www.jansuraksha.gov.in बनाई गई है। इसमें सभी संबंधित सामग्री/सूचना, पूछे जाने वाले प्रश्नों की जानकारी दी गई है।

– ग्राहकों के प्रश्नों का जवाब देने के लिए राज्यवार टोल फ्री नंबर आवंटित किया गया है।

उपलब्धियां

  • पीजेजेएसबीवाई के तहत 24 नवंबर 2015 तक बैंकों में कुल 2.86 करोड़ पंजीकरण हुए  हैं।
  • पीजेजेएसबीवाई में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (आरआरबी समेत) की हिस्सेदारी 91 प्रतिशत है।
  • 23 नवंबर, 2015 तक पीजेजेएसबीवाई के तहत 8558 दावे दर्ज किए गए हैं। इनमें से 5955 का भुगतान कर दिया गया है।

 चालू वित्‍त वर्ष के दौरान विनिवेश विभाग द्वारा शुरू की गई पहलों की मुख्‍य उपलब्धियां इस प्रकार हैं:-

Ø     पूर्व 2014-15 – पूर्व 2014-15 अवधि में विनिवेश का दृष्टिकोण वार्षिक योजना आधार पर स्‍टॉक की पहचान करने पर आधारित थौ। इस‍के कारण अक्‍सर बाजार के दृष्टिकोण,स्‍टॉक के जमा होने और स्‍टॉक के विनिवेश में लचीलेपन के अभाव जैसी समस्‍याएं पैदा हुई।

Ø     2014-15 इन समस्‍याओं के समाधान के लिए वर्ष 2015 के दूसरे तिमाही के दौरान रॉलिंग योजना की पद्धति को अग्रिम तैयारी/योजना, अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाने,गोपनीयता बरतने जैसे कदमों के साथ अपनाया गया ताकि स्‍टॉक में बढ़ोतरी को रोका जा सके और समयबद्ध तथा ध्‍यान केंद्रित रूप से सीपीएसई में भारत सरकार की हिस्‍सेदारियों के विनिवेश को चुकता किया जा सके। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने एक ही वित्‍तीय वर्ष और वह भी वित्‍त वर्ष के पिछले छह महीने के दौरान 24,349 करोड़ रूपये की सर्वाधिक विनिवेश प्राप्तियां हासिल की। यह 2004 से 2014 के दरमियान अर्जित वार्षिक औसत 6593 करोड़ रूपये से कहीं अधिक है।

2015-16 में विनिवेश लक्ष्‍य

2015-16 के दौरान विनिवेश के लिए बजट अनुमान 69,500 करोड़ रूपये है। इसमें केंद्रीय सावर्जनिक उद्यमों (सीपीएसई) के विनिवेश से प्राप्‍त  4100 करोड़ रूपये और रणनीतिक विनिवेश से प्राप्‍त 28,500 करोड़ रूपये

शामिल हैं।

विनिवेश प्रक्रिया में तेजी लाये जाने के उपाय

Ø     वर्ष 2015-16 के लिए विनिवेश के बजटीय लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विनिवेश विभाग ने विनिवेश प्रक्रिया में और तेजी लाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं।

v    वार्षिक योजना के स्थान पर रोलिंग योजनाएं

v    सीपीएससी के लिए प्रस्तावों को सुव्यस्थित करना, जो वर्तमान में अनुमोदन के विभिन्न चरणों में हैं।

v    अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाना।

v    स्टॉक की भरमार रोकने के लिए गोपनीयता बरतना।

v    लेनदेन में तेजी लाने के लिए बिचौलियों को शामिल करने की प्रणाली में बदलाव।

v    केस दर केस आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों – ओएफएस लेनदेन पर 20 प्रतिशत शेयरों को रिजर्व रखने की पद्धति अपनाकर विनिवेश कार्यक्रम को अधिक समावेशी बनाना।

 2015-16 में प्रदर्शन

Ø     इन पहलों के परिणाम स्वरूप विभाग 2015-16 की पहली दो तिमाही के दौरान आरईसी, पीएफसी, डीसीआईएल और आईओसी लिमिटेड के चार ओएफएस के माध्यम से लगभग 12700 करोड़ रुपए जुटाने में समर्थ रहा, जो एक रिकॉर्ड उपलब्धि है। 2009-10 और 2014-15 के मध्य इसी अवधि में जुटाए गए 1458 करोड़ रुपए (अनुमानित) से बहुत अधिक है। यह उपलब्धि पिछले किसी भी वर्ष की इसी अवधि में जुटाई गई राशि से न केवल अधिक है, बल्कि 2000 से 2014 के दरमियान पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान औसत प्राप्ति से भी बहुत अधिक है।

Ø     सरकार के विनिवेश कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की तुलना में बेहतर कार्य किया है। बाजार पूंजी में पीएसयू का हिस्‍सा केवल 12 प्रतिशत है। लेकिन भारतीय बाजार  में जुटाई गई कुल 17,800 करोड़ रूपये की राशि में पीएसयू के विनिवेश का 71 प्रतिशत (12,700 करोड़ रूपये) का योगदान रहा है।

व्‍यय विभाग

विनिवेश विभाग द्वारा चालू वित्‍तीय वर्ष में की गई पहलों की मुख्‍य उपलब्धियां इस प्रकार हैं:-

सहकारी संघवाद

14वें वित्‍तीय आयोग द्वारा निर्धारित निरूपण के अनुसार वर्ष 2015-16 के लिए राज्‍यों की वार्षिक उधार सीमा 378, 903 करोड़ रूपये तय की गई थी जबकि 2014-15 के दौरान यह सीमा 339,989 करोड़ रूपये थी।

वित्‍त मंत्रालय द्वारा निर्धारित सकल उधार सीमा (एनबीसी) के अंतर्गत ही राज्‍यों को सीमित रखने के लिए ही उन्‍हें 299,931 करोड़ रूपये का उधार जुटाने की अनुमति दी गई जिसके परिणामस्वरूप के कारण सकल 35058 की कुल उधार राशि कम हुई।

वर्ष 2015-16 (15.12.2015 तक) के दौरान राज्‍यों को 312,861 करोड़ रूपये (सकल) जुटाने की अनुमति दी गई जबकि 2014-15 की इसी अवधि के दौरान 217,488 करोड़ रूपये की उधा‍री जुटाने की अनुमति दी गई थी।

बहुपक्षीय एजेंसियों से बाह्य ऋण चाहने वाले राज्‍यों द्वारा व्‍यय विभाग की पूर्व सहमति लेने की जरूरत को समाप्‍त कर दिया गया है ताकि कारोबार करने के कार्य को आसान बनाया जा सके।

राज्‍यों को वित्‍त मंत्रालय द्वारा प्रत्‍येक वर्ष निर्धारित उधार सीमा में ही रहना और वित्‍त मंत्रालय निर्धारित जीएसडीपी मानदंडों की राजकोषीय घाटा सीमा और ऋण सीमा में रहना अपेक्षित था। जैसा कि राज्‍यों की  एफआरबीएमए में समाविष्‍ट है। बाहरी ऋण की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए अब यह निर्णय लिया गया है कि ऋण स्थिरता के नजरिए से राज्य सरकार की बाहरी ऋण सहायता के प्रस्तावों की जांच करने की कोई जरूरत नहीं है।

 वित्त आयोग अवार्ड

राज्यों के वित्तीय निष्पादन में सुधार लाने के लिए सार्वजनिक व्यय को युक्तिपूर्ण बनाने के लिए 14वें वित्त आयोग ने पूर्ववर्ती आयोगों की मुख्य विषयों को जारी रखते हुए राज्यों के लिए वित्तीय रोडमैप पर कार्य किया, जो इस प्रकार है-

(1)  राजस्व घाटा – शून्य।

(2)  राजकोषीय घाटा – सकल राज्य घरेलू उत्पादक (जीएसडीपी) का 3 प्रतिशत, दो कारणों से 0.5 प्रतिशत के अतिरिक्त लचीलेपन के साथ।

(ए) 10 प्रतिशत या कम आईपी/ टीआरआर मानदंड को पूरा करने के लिए जीएसडीपी की .25 प्रतिशत

(बी) 25 प्रतिशत या कम आईपी/ टीआरआर मानदंड को पूरा करने के लिए जीएसडीपी की .25 प्रतिशत। यह दोनों विकल्प उन राज्यों को उपलब्ध होंगे, जिनका पिछले दो सालों के दौरान राजस्व घाटा न हो।

(3)  प्रत्येक राज्य का ऋण/जीएसडीपी लक्ष्य उनके द्वारा अर्जित एफडीसी सीमाओं पर अलग-अलग आधारित होगा।

 v    एफएफसी अधीन कुछ पहल इस प्रकार हैं-

Ø     एफएफसी ने अवार्ड अवधि (2015 से 2020) केन्द्र सरकार के करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी वर्तमान 32 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी है, जो आज तक की सर्वाधिक बढ़ोत्तरी है।

Ø     राज्य के आपदा मोचन फंड – एसडीआरएफ को बढ़ाने के लिए राज्यों के राजस्व घाटों को पूरा करने के लिए और स्थानीय निकायों की ग्रांट के लिए एफएफसी ने ग्रांट-इन-एड की सिफारिश की है।

Ø     एफएफसी की सिफारिशों के अनुसार राज्यों को 13वें वित्त आयोग के अवार्ड की तुलना में वास्तविक हस्तांतरण पर 170 प्रतिशत (16,58,355 करोड़ रुपए के सापेक्ष 44,77,472 करोड़ रुपए) से अधिक का लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। इसी प्रकार एफएफसी की अवार्ड अवधि के दौरान राज्यों को ग्रांट-इन-एड में 124 प्रतिशत वृद्धि के साथ 5,29,284 करोड़ रुपए का प्रवाह मिलने की आशा है। 

वित्त आयोग द्वारा सिफारिश किए गए अनुदान जारी करना

Ø      2014-15 के दौरान 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार 61,813 (आवंटन का 96 प्रतिशत) करोड़ रुपए जारी किए गए।

Ø      एफएफसी के अधीन 2015-16 के लिए 87,405 करोड़ रुपए के आवंटन में से अभी तक 53,293 करोड़ रुपए (आवंटन का 61 प्रतिशत) 11 राजस्व घाटे वाले राज्यों और विधिवत गठित स्थानीय निकायों और एसडीआरएफ को 2.11.15 के अनुसार जारी किए गए। 

एफएफसी की अवार्ड के अधीनविशेष सहायता और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) के लिए 2015-16 (10.12.15) तक कुल हस्तांतरण

एफएफसी द्वारा 2015-16 से केन्द्रीय करों के विभाज्य पूल में राज्यों के खातों में हुई सर्वकालीन बढ़ोत्तरी के अधीन राज्यों को अपनी योजनाओं/परियोजनाओं को तैयार करने और उनके वित्त पोषण के लिए अधीक स्वायत्ता प्राप्त हुई। केन्द्रीय योजना के अधीन विशेष सहायता के रूप में राज्यों को केन्द्रीय बजट 2015-16 में 20,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। वित्त आयोग हस्तांतरणों के लिए 3,98,013 करोड़ रुपए (3,36,830 करोड़ रुपए कर हस्तांतरण और 61,183 करोड़ रुपए ग्रांट-इन-एड) की राशि जारी की गई है, जबकि पिछले वर्ष की अवधि के दौरान इसी शीर्ष के अंतर्गत 2,76,952 करोड़ रुपए (2,46,498 करोड़ रुपए कर हस्तांतरण और 30,454 करोड़ रुपए ग्रांट-इन-एड) की राशि जारी की गई थी। राज्यों को ईपीएफ के लिए ऋण सहित कुल 11,228 करोड़ रुपए का हस्तांतरण किया गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 11,130 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।

 अन्य कार्य (बिहार और जम्मू-कश्मीर के लिए पैकेज की घोषणा)

18 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री ने बिहार के विकास के लिए विशेष पैकेज (बिहार पैकेज 2015) की घोषणा की थी, जिसमें किसान कल्याण, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य,बिजली, ग्रामीण सड़क, राजमार्ग, रेलवे, हवाई अड्डे, डिजिटल बिहार, पेट्रोलियम तथा गैस और पर्यटन के क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने के लिए 1,25,003 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई थी। इसके अलावा राज्य में अन्य निवेश के लिए 40,657 करोड़ रुपए की राशि देने पर भी सहमति व्यक्त की गई थी।

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के कारण राहत और दीर्घकालीन पुनर्वास विकास के लिए प्रधानमंत्री ने बाढ़ राहत पुनर्निर्माण बाढ़ प्रबंधन, छोटे व्यापार की सहायता और सड़क एवं राजमार्ग के अधीन विकास परियोजनाओं, विद्युत, नवीन और नवीकरणीय योजना, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, खेल, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन और शहरी विकास,पशमीना बढ़ावा आदि में दी गई सहायता सहित कुल 80,068 करोड़ रुपए की घोषणा की थी। 

विकास व्यय

1 जनवरी, 2015 से 30 नवंबर, 2015 की अवधि के दौरान सचिव व्यय की अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति (ईएफसी) ने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की 4,71,121.96 करोड़ रुपए की लागत की 53 योजना निवेश प्रस्तावों और योजनाओं की सिफारिश की थी। इसके अलावा सचिव व्यय की अध्यक्षता में सार्वजनिक निवेश बोर्ड ने 48,691.18 करोड़ रुपए के 12 प्रस्तावों पर विचार करके अपनी सिफारिशें दी।

क्र.सं. मंत्रालय/विभाग अनुमोदन के लिए सिफारिश की गई परियोजनाओं की संख्या लागत

(करोड़ रुपए में)

 

1. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 05 28501.87
2. शहरी विकास मंत्रालय 01 6928.00
3. विदेश मंत्रालय 01 9375.58
4. विद्युत मंत्रालय 05 3886.56
  योग 12 Rs 48,691.18  करोड़

 7वां केन्द्रीय वेतन आयोग

 7वें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को दे दी है। इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा रहा है। रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार हैं-

लागू करने की तारीख की सिफारिश – 01.01.2016

न्यूनतम वेतन – सरकार में न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए प्रति माह रखने की सिफारिश

अधिकतम वेतन – शीर्ष स्केल के लिए 2,25,000 रुपए और कैबिनेट सचिव और अन्य के लिए वर्तमान में इसी वेतन स्तर पर रूपए 2,50,000

वित्तीय निहितार्थ – वित्त वर्ष 2016-17 में बिजनेस एज यूजुअल सिनेरियो के अनुसार व्यय पर कुल 1,02,100 करोड़ रुपए का वित्तीय भार पड़ने की संभावना। इसमें से वेतन में 39,100 करोड़ रुपए भत्तों में बढ़ोत्तरी पर 29,300 करोड़, पेशन वृद्धि पर 33,700 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी होगी। 1,02,100 करोड़ रुपए की कुल वित्तीय प्रभाव में से 73,650 करोड़ रुपए आम बजट द्वारा और 28,450 करोड़ रुपए रेलवे बजट द्वारा वहन किए जाएंगे।

केन्द्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ)

 वर्ष 2015 में की गई प्रमुख पहलों में इस प्रकार हैं-

 कागज के उपयोग में कमीः डिजिटली हस्ताक्षरित ई-रिविजन अथॉरिटी (पेंशन भुगतान आदेश) को सीपीएओ से चार बैंकों में लागू किया गया है, जिससे परिचालन लागत और दक्षता में सुधार हुआ है। पेंशनरों को आधार नम्बर का लाभ उठाने के लिए इसका उपयोग करने के बारे में जागरूक किया गया है, ताकि सरकार का डिजिटल इंडिया मिशन सफल हो, बैंकों और मीडिया तथा पेंशनरों के संगठनों की सहायता से पेंशनरों को अपनी लाइफ सर्टिफिकेट जमा करते समय अपने फोन नम्बर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। पेंशनरों के लाइफ सर्टिफिकेट के प्रोफॉर्मा को संशोधित किया गया है। पेंशनरों को जानकारी उपलब्ध कराने और सशक्त बनाने के लिए एसएमएस के माध्यम से सूचना देने की सुविधा प्रदान की गई है,जिसके परिणाम स्वरूप पेंशनर अपने पेंशन मामले के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं। सीबीएओ पूरी तरह कार्यरत परिवेदना निवारण प्रणाली चला रहा है, जिसमें पेंशनर अपनी शिकायतों को टेलीफोन, पत्र या ईमेल से दर्ज करा सकते हैं। विभाग ने पेंशन और पेंशनरों के कल्याण के लिए पेंशन ट्रैकिंग की भविष्य प्रणाली उपलब्ध कराई है। 21 दिन के अधिसूचित समय के सापेक्ष सीपीएओ ने नये पीपीओ के लिए औसतन 15 दिन और संशोधन मामलों में औसतन 11 दिन का समय अनुमोदित किया है।

 सूचना प्रौद्योगिकी खंड (आईटीडी और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली)

पीएफएमएस भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के एक हिस्से के रूप में वास्तविक समय विश्वसनीय और सार्थक प्रबंधन सूचना प्रणली और प्रभावी निर्णय सहायता प्रणाली अपने हितधारकों को उपलब्ध कराता है। पीएफएमएस की कार्य क्षमताओं में नवीनतम वृद्धि 2014 में शुरू की गई थी, जिसमें लेखाओं के डिजिटिकरण का पीएफएमएस के माध्यम से अर्जित करने का लक्ष्य रखा गया है। विभिन्न चरणों में पीएफएमएस में अतिरिक्त कार्यक्षमताओं का निर्माण किया जाएगा। पीएफएमएस की बड़ी शक्ति देश के बैंकिंग प्रणाली के साथ इसके एकीकरण में है। इसके परिणामस्वरूप पीएफएमएस के पास किसी लाभार्थी / वेंडर को बटन दबाकर ऑनलाइन भुगतान करने की विशिष्ट योग्यता प्राप्त है। वर्तमान में पीएफएमएस इंटरफेस सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (26), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (54), निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों (9) भारतीय रिजर्व बैंक आदि में कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ पूरा हो चुका है। वर्तमान में वित्तीय प्रबंधन कार्यों को भारत सरकार की योजनाओं के फंड प्रवाह ट्रैकिंग, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), भारत सरकार की सभी योजना और गैर योजना के भुगतान और लेखों की श्रेणियों में विभक्त किया गया है। 

मुख्य सलाहकार लागत का कार्यालय

मुख्य सलाहकार लागत का कार्यालय, लागत और मूल्य, उचित मूल्य निर्धारण के लिए उद्योग स्तर अध्ययन, उपभोक्ता प्रभारों का अध्ययन, केन्द्रीय उत्पादन से संबंधित मामले,परियोजनाओं का लागत लाभ विश्लेषण, लागत घटाने के अध्ययन, लागत दक्षता और भारत सरकार के मंत्रालय, विभागों के लिए लागत और वाणिज्यिक, वित्तीय लेखों के आधुनिक प्रबंधन के अनुप्रयोग और लाभ प्रदता विश्लेषण करता है। वर्ष के दौरान (30 नवंबर, 2015 तक) इस कार्यालय ने कुल 8501 अध्ययन और रिपोर्ट पूरे किए हैं।

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