जल प्रदूषण में कमी के लिए ‘नमामि गंगे’ को मंजूरी पर पहल

जल प्रदूषण में कमी के लिए  ‘नमामि गंगे’ को मंजूरी पर  पहल

पेसूका ००००००००००००००००००००००   जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने जल प्रदूषण में कमी के लिए नीतिगत बदलाव सहित नमामि गंगे को मंजूरी दिलाने के लिए कई पहल की हैं। मंत्रालय ने नदियों को जोड़ने, बाढ़ अनुमान, भूमिगत जल प्रबंधन और विनियमन, जल संरक्षण आदि की दिशा में भी काम करना प्रारंभ कर दिया है। पिछले एक वर्ष के दौरान शुरू की गईं अहम पहल और प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित हैं

जल प्रदूषण में कमी (नमामि गंगे)

1.नमामि गंगे– कैबिनेट ने 20,000 करोड़ रुपये के इस एकीकृत गंगा संरक्षण कार्यक्रम को मंजूरी दी है और इसे 2020 तक लागू किया जाएगा।

2.नमामि गंगे की जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों के लिए आईटीबीपी को 1.25 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बोट की खरीद की अनुमति दी गई है।

3.एसपीएमजी रांची ने झारखंड के साहिबगंज जिले की 13 ग्राम पंचायतों की एक टीम की पहचान की है, जो प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम के लिए एक मॉडल गांव सींचेवाल का दौरा करेगी।

4. पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने व्यापक स्वच्छता कार्यक्रम में शामिल करने और खुले में शौच की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए गंगा से सटी 1,649 ग्राम पंचायतों की पहचान की है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा गंगा ग्राम के रूप में पायलट प्रोजेक्ट को न्यूनतम समय में 66 ग्राम पंचायतों (हर जिले में एक) पूरा किया जाएगा। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को 263 करोड़ रुपए का लेटर ऑफ अथॉरिटी जारी कर दिया गया है।

5.रक्षा मंत्रालय ने सैद्धांतिक तौर पर पूर्व सेवाकर्मियों के साथ टेरीटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) के अंतर्गत गंगा टास्क फोर्स की 4 बटालियन बनाने को मंजूरी दे दी है।

6.इंडो-जर्मन एनुअल निगोशिएशंस 2014 के दौरान जर्मनी ने गंगा के कायाकल्प के लिए 3 मिलियन यूरो की सहायता देने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है।

7.पांच राज्यों से गुजरने वाली गंगा नदी के वनीकरण के लिए फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून एक डीपीआर तैयार कर रहा है, जिस पर जल्द ही अमल किया जाएगा।

8.858 एमएलडी की शोधन क्षमता और 3623.10 किलोमीटर का सीवर नेटवर्क विकसित करने के लिए 7,350.38 करोड़ रुपए की 93 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।

9.पांच राज्यों में गंगा के तट पर विभिन्न जिलों के गांवों की सूची पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सहयोग से एमआईएस वेब पर अपलोड कर दी गई है।

10.एनएमसीजी ने बुलंदशहर, बिजनौर और कानपुर ग्राम पंचायत के सात ग्राम प्रधानों को गंगा नदी के तट पर बसे पंजाब के जालंधर जिले के सींचेवाल गांव का दौरा कराया, जिससे उनके गांवों में अच्छी प्रक्रियाओं को दोहराया जा सके।

 

नदी विकास

1.माननीय मंत्री ने 26.10.2015 को एनआईएच, रुड़की का दौरा किया और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडवांस्ड ग्राउंड वाटर रिसर्च के तौर पर एक प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

2.मंत्रालय ने प्राथमिकता के तौर जोड़ने के लिए नदियों की पहचान की है। ‘केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट’ को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया है। परियोजना के लिए वन; वन्य जीवन और पर्यावरण पर काम की मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।

3.इंटर-स्टेट लिंक परियोजनाएं: बुरही-गंडक-नून-बया-गंगा लिंक प्रोजेक्ट (बिहार) और कोसी-मेची लिंक प्रोजेक्ट (बिहार) की डीपीआर को पूरा कर लिया गया है।

4.आईएलआर परियोजनाओं के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए स्पेशल कमेटी ऑन इंटरलिंकिंग रिवर्स का गठन कर दिया गया है।

5.नदियों को जोड़ने में आने वाली तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए बनाया गया उच्च स्तरीय कार्यबल नियमित तौर पर बैठकें कर रहा है और अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दे रहा है।

6.ईएफसी ने नदी विकास और जल सूचना प्रबंधन के लिए 3,680 करोड़ रुपएको मंजूरी दे दी है।

7.माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा यमुना नदी में जरूरी पर्यावरणीय प्रवाह के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बनाई प्रिंसिपल कमेटी की 22.6.2015 को नई दिल्ली में बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता सचिव (डब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर) ने की थी।

जल संसाधन

1.गोदावरी नदी पर पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी, विशाखापट्टनम, वेस्ट गोदावरी और कृष्णा जिलों में सालाना 4.36 लाख हेक्टेयर सिंचाई की संभावनाएं पैदा होंगी। इसके लिए 250 करोड़ रुपए की धनराशि रिलीज कर दी गई है।

2.विश्व बैंक की सहायता से 2,100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से आगे बढ़ाए जा रहे डैम रिहैबिलाइजेशन एंड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (डीआरआईपी) के लिए पांच राज्यों में पुनरुद्धार के वास्ते 233 डैम की पहचान की गई है। इन स्वीकृत कार्यों को राज्यों के सहयोग से किया जा रहा है।

3. सामुदायिक भागीदारी से जल के उचित इस्तेमाल के वास्ते नेशनल एक्विफायर मैनेजमेंट (एनएक्यूयूआईएम) परियोजना शुरू की गई है। इसके लिए सितंबर 2017 तक 5.89 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की पहचान की जाएगी। आंशिक तौर पर ऐसा नए हेलीबोर्ने सर्वे के माध्यम से किया जाएगा।

4.लखनऊ में मार्च 2015 में गंगा फ्लड कंट्रोल कमीशन का एक क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया, जिसका उद्देश्य गंगा बेसिन के नॉर्थ वेस्टर्न रीजन पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना है।

5.बाढ़ सीजन 2014 में 4,772 बाढ़/इनफ्लो अनुमान जारी किए गए, जिनमें से 4,667 सटीकता की स्वीकृत सीमा के भीतर पाए गए। सटीकता का कुल प्रतिशत 97.80 प्रतिशत रहा।

6.एआईबीपी के अंतर्गत 5 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए 26 बड़ी और मझोली सिंचाई परियोजनाओं के वास्ते 2,610 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई। सीएडीडब्ल्यूएम के अंतर्गत 1.5 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने के वास्ते 50 परियोजनाओं के लिए 200 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई है। आरआरआर ऑफ वाटर बॉडीज के अंतर्गत 1,092 परियोजनाओं के लिए 131 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। 78 बाढ़ सुरक्षा कार्यों के लिए राज्यों को 320.23 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

7.पीएमकेएसवाई योजना लॉन्च कर दी गई है। इसके दायरे में कमांड एरिया विकास और जल प्रबंधन (सीएडीएंडडब्ल्यूएम), रिपेयर, रिनोवेशन और रिस्टोरेशन (आरआरआर), नहर सिंचाई योजना और भूमिगत जल आएंगे। पीएमकेएसवाई से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले शोधित प्रवाह को सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा और प्रस्तावित ‘हर खेत को पानी’ को लागू किया जाएगा। यह संबंधित राज्य सरकारों द्वारा हर सिंचाई क्षेत्र को जल उपलब्ध कराने और ‘मोर क्रॉप पर ड्रॉप’ के वास्ते तैयार की गई जिला सिंचाई योजना और राज्य सिंचाई योजना पर आधारित होगा। पीएमकेएसवाई के अंतर्गत पहले से जारी कार्यों को पूरा करने के लिए 838 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

8.जल क्षेत्र में रिफॉर्म के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली को 320 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, जिसमें रेणुका बांध परियोजना को दिए गए 50 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।

9.इस मंत्रालय द्वारा ओपन गवर्नमेंट डाटा प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराई गई जानकारियों, और उसके इस्तेमाल के आधार पर जल संसाधन, आरडी और गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय को ‘ओपन डाटा चैंपियन’ श्रेणी के अंतर्गत पुरस्कार के लिए चुना गया।

10.केंद्रीय जल आयोग ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से जीआईएस प्लेटफॉर्म पर एक वेब आधारित वाटर रिसोर्सेज इन्फॉर्मेशन सिस्टम तैयार किया गया है। सीडब्ल्यूसी और सीजीडब्ल्यूबी के सभी गैर वर्गीकृत डाटा को अपलोड कर दिया गया है और उसे सार्वजनिक कर दिया गया है। वेब पोर्टल पहले ही कार्यान्वयन एजेंसियों की बीच सहमति बनाने के लिए वैकल्पिक परियोजना प्रस्तावों के विकास के वास्ते इस्तेमाल किया जा रहा है।

11.सेंट्रल वाटर कमीशन ने 878 हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन स्टेशनों को मिलाकर बने डाटा कलेक्शन नेटवर्क के विस्तार और आधुनिकीकरण पर काम किया है। इस नेटवर्क में 155 नए हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन स्टेशनों को जोड़ा गया था और 100 मौजूदा स्टेशनों को अपग्रेड किया गया है, जिसमें अतिरिक्त नदी प्रवाह पैरामीटर का आकलन शामिल है।

12. 23 निर्माणाधीन एआईबीपी (बड़ी और मझोली) परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया गया है।

13. पहली बार विश्व बैंक की मदद से 6,000 करोड़ रुपए की लागत से एकीकृत भूमिगत जल विकास और प्रबंधन योजना तैयार की गई है। इसमें भूमिगत जल विकास के लिए 60 करोड़ रुपए रखे गए हैं।

जल संरक्षण

1.जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ग्राम स्तर पर जल संसाधन की प्लानिंग की समस्या हल करने के वास्ते 485 जिलों में ‘हमारा जल-हमारा जीवन’ का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, जल समुदायों, पंचायती राज संस्थानों, एनजीओ और अन्य स्टेकहोल्डर्स को जोड़ने का प्रयास किया गया।

2.भूमिगत जल निकालने के वास्ते एनओसी जारी करने के लिए एक वेब आधारित ऐप्लीकेशन सिस्मट लॉन्च किया गया।

3.वाटर हार्वेस्टिंग और संरक्षण पर मास्टर प्लान तैयार किया गया और सभी राज्यों को भेजा गया है।

4.सुस्त सीजन में नदियों का प्रवाह बढ़ाने के लिए गंगा और यमुना के तट पर पुराने तालाबों को पुनर्जीवित करना है और नए विकसित किए जाने हैं।

5.नई दिल्ली में 7-8 नवंबर 2014 को भागीदारी सिंचाई प्रबंधन (पीआईएम) पर एक वाटर यूजर एसोसिएशंस (डब्ल्यूयूए) के एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें डब्ल्यूयूए के सामने आ रहीं समस्याओं पर चर्चा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई क्षेत्र के लिए जल उपयोग की कुशलता बढ़ाना था।

6.कई हितधारकों और पंचायती राज संस्थान को जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायत राज के साथ एक समझौते (एमओयू) पर दस्तखत किए गए।

7.सिंचाई के लिए उत्प्रवाहित जल के शोधन जैसे प्रदूषण नियंत्रण के उपाय।

8.माननीय मंत्री (डब्ल्यूआर, आरडी और जीआर) ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, हरियाणा में 21.8.2015 को एक एकदिवसीय सेमिनार-भूजल मंथन का उद्घाटन किया। इस सेमिनार में 2,000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया।

अंतरराष्ट्रीय भागीदारी

1.सांगरीला होटल, नई दिल्ली में 23-24 नवंबर, 2015 को इंडो-यूरोपियन वाटर फोरम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को नेशनल वाटर मिशन ने यूरोपियन यूनियन के सहयोग से आयोजित किया था और इसका उद्घाटन माननीय मंत्री (डब्ल्यूआर, आरडी और जीआर) ने किया था।

2.जल प्रबंधन में भागीदारी के लिए भारत और  इस्राइल के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर विचार चल रहा है।

3.बांग्लादेश में जून 2014 में फरक्का में गंगा के पानी के बंटवारे पर संधि के क्रियान्वयन के लिए एक संयुक्त समिति की 58वीं और 59वीं बैठक का आयोजन किया गया और इस क्रम में जनवरी, 2015 में भारत में भी बैठक हुई।

4.कार्यक्रम के अंतर्गत तकनीक हस्तांतरण के भाग के तौर पर पूर्वी भारत (ब्राह्मणी-वैतरणी) में मझोले आकार के बेसिन के संयुक्त विश्लेषण के साथ ही बेसिन लेवल आकलन और जल प्रबंधन की रणनीतियों का प्रदर्शन किया गया था। अन्य बेसिनों के अध्ययन को लेते हुए कौशल विकास की शुरुआत की गई है।

5.जापान सरकार और भारत सरकार के बीच 27.3.2015 को नई दिल्ली में रीजनल इरीगेशन सपोर्ट, लेफ्ट बैंक कैनाल (एलबीसी)-2, फेस-2, ओडिशा के लिए जापान इंटरनेशन को-ऑपरेशन एजेंसी (जाइका) से 33,959 मिलियन जापानीज येन की कर्ज समझौते पर वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों के विभाग) ने हस्ताक्षर किए।

2015-16 के लिए प्रस्तावित नई पहल-

भागीदारी सिंचाई प्रबंधन को मजबूत बनाना और भूमिगत जल प्रबंधन व बारिश के पानी से हार्वेस्टिंग के लिए जन भागीदारी सुनिश्चित करना

1.यमुना नदी के पुनरुद्धार पर विचार किया जा रहा है

2.पंचेश्वर मल्टीपरपज प्रोजेक्ट और मिडिल सिआंग प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में तेजी लाना

3. ‘जल क्रांति अभियान’ 2015-16 की लॉन्चिंग। जल क्रांति अभियान के तहत नागपुर में 16.10.2015 को ‘जल संरक्षण, जल सुरक्षा और जल गुणवत्ता’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी इस कार्यशाला का हिस्सा रहा।

4. पानी के इस्तेमाल पर पर नियंत्रण और उसके विनियमन के लिए  एक नेशनल ब्यूरो ऑफ वाटर यूज इफीशिएंसी की स्थापना का भी प्रस्ताव है।

5.पोलावरम परियोजना को समय से पूरा करने से हर संभव प्रयास

6. तीनों रिसर्च स्टेशनों सेंट्रल सॉइल एंड मैटेरियल रिसर्च स्टेशन, सेंट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के तौर पर अपग्रेड करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

7.इंडिया वाटर रिसोर्सेज इन्फॉर्मेशन सिस्टम को संस्थागत बनाने के लिए नेशनल वाटर इन्फॉर्मैटिक्स सेंटर की स्थापना की जानी है।

8.सेंट्रल वाटरक कमीशन के फ्लड फोरकास्टिंग नेटवर्क का आधुनिकीकरण और विस्तार

9.इन्यूनडेशन आधारित फ्लड फोरकास्ट सिस्टम का विकास

10.रीयल टाइम बेसिस पर हाइड्रो मीटरोलॉजिकल डाटा के प्रसार के लिए टेलीमेट्री सिस्टम की स्थापना

11. ब्रह्मपुत्र बोर्ड के पुनर्गठन के द्वारा पूर्वोत्‍तर ब्रह्मपुत्र नदी कायाकल्‍प प्राधिकरण की स्थापना

Related post

हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी इमारतों को हिला दिया

हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी…

बीजिंग/काठमांडू 7 जनवरी (रायटर) – चीनी अधिकारियों ने कहा  तिब्बत के सबसे पवित्र शहरों में से…
1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति : सर्वोच्च न्यायालय

1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति…

सर्वोच्च न्यायालय ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई…
यू पीआई के माध्यम से लेनदेन दिसंबर 2024 में रिकॉर्ड 16.73 बिलियन

यू पीआई के माध्यम से लेनदेन दिसंबर 2024 में रिकॉर्ड 16.73 बिलियन

नई दिल्ली: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लोकप्रिय यूनिफाइड पेमेंट्स…

Leave a Reply