- November 17, 2015
कृषि मंत्रालय : समग्र आर्थिक विकास के लिए कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकीय प्रगति बहुत महत्वूपर्ण है – राधा मोहन सिंह
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण विभाग मंत्री के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है :-
आंध्र प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री श्री चंद्र बाबू नायडु गारू, हमारे मंत्रिमंडल के सहयोगी माननीय शहरी विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री वेंकैया नायडु गारू, माननीय नागरिक उड्डयन मंत्री, श्री अशोक गजपति राजू, वाणिज्य एवं उद्योग, वित्त तथा कार्पोरेट मामले मंत्रालय में माननीय राज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन जी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री वाई.एस. चौधरी गारू, माननीय कृषि मंत्री, आंध्र प्रदेश सरकार श्री पी.पुल्लाराव, ताडीकोंडा के विधायक तथा समारोह के अध्यक्ष श्री टी.स्वर्ण कुमार गारू, सचिव, डीएआरआई एवं महानिदेशक, भाकृअनुप, डॉ.एस. अय्यप्पन, माननीय कुलपति डॉ. ए. पदमा राजू तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों, प्रेस तथा मीडिया के सदस्यों, किसानों, छात्रों, देवियों और सज्जनों।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि हमेशा से ही एक मुख्य क्षेत्र रहा है। कृषि से देश की 60 प्रतिशत जनता को रोजगार मिलता है तथा 70 प्रतिशत जनसंख्या की जीविका का यह प्रमुख स्रोत है। इस प्रकार देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए कृषि में प्रौद्योगिकी विकास काफी महत्वपूर्ण है।
हमारे कृषि संस्थानों तथा कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा सृजित कृषि प्रौद्योगिकियों से हम राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुए हैं और आज हम अनेक खाद्य वस्तुओं के विशाल उत्पादकों में शामिल हैं। हाल ही के वर्षों में हमारा खाद्यान्न उत्पादन 260 मिलियन टन, बागवानी उत्पादन लगभग 280 मिलियन टन, दूध 137 मिलियन टन, अंडा 73 बिलियन तथा मछली उत्पादन 98 मिलियन टन से भी अधिक हो गया है। संभावित और वास्तविक कृषि उत्पादन में अभी भी विशाल उत्पादकता का अंतराल कायम है। मुझे विश्वास है कि नई प्रौद्योगिकियों के विकास और अंगीकरण से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और हमारे देश की बढ़ती हुई आहार एवं खाद्यान्न की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
देश में कृषि की वृद्धि और विकास में हमारे उच्चतर कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों की भूमिका अग्रणी है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान प्रणाली है, जिसमें चीन को छोड़कर किसी भी विकासशील देश की तुलना में असंख्य संख्या में वैज्ञानिक कार्मिक कार्यरत हैं। इस अनुसंधान प्रणाली के तहत 30,000 वैज्ञानिक और 1,00,000 से भी अधिक सहायक कार्मिक कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणाली (एनएआरईएस) में मूल रूप से दो मुख्य धाराएं हैं, अर्थात् राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्य स्तर पर कृषि विश्वविद्यालय। वर्तमान में हमारे 73 कृषि विश्वविद्यालय हैं और 101 भाकृअनुप अनुसंधान संस्थान हैं, जो कि कृषक समुदाय को सेवाएं प्रदान करते हैं।
आंध्र प्रदेश में भाकृअनुप ने दो संस्थानों की स्थापना की है, अर्थात् पश्चिमी गोदावरी जिले में भारतीय तेलताड़ अनुसंधान संस्थान, पेडावेगी और राजामुंद्री में तंबाकू अनुसंधान संस्थान। भाकृअनुप ने चार क्षेत्रीय मात्स्यिकी संस्थान केन्द्रों की भी स्थापना की है, जिनमें काकीनाडा में सीआईएफई केन्द्र, विजयवाड़ा में सीआईएफए केंद्र, विशाखापटनम में सीआईएफटी और सीएमएफआरआई तथा 12 कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) शामिल हैं।
• आचार्य एन.जी. रंगा कृषि वि़श्वविद्यालय (एएनजीआरएयू), अनुसंधान और विस्तार में अपेक्षित सेवाएं प्रदान करके कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में समग्र रूप से सुधार लाने के लिए आंध्र प्रदेश के कृषक समुदाय की सेवा कर रहा है।
• चूंकि चावल राज्य की प्रमुख फसल और आहार है, इसलिए आंध्र प्रदेश को भारत के चावल के प्रमुख राज्य के रूप में जाना जाता है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान लगभग एक चौथाई है।
एएनजीआरएयू विश्वविद्यालय ने फील्ड और बागवानी फसलों की 394 उन्नत किस्मों को जारी किया है और विश्वविद्यालय को चावल पर उल्लेखनीय अनुसंधान के लिए जाना जाता है। यह उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत के कुल चावल क्षेत्र का लगभग एक चौथाई क्षेत्र इस विश्वविद्यालय द्वारा विकसित चावल किस्मों के अंतर्गत आता है। 28 वर्ष पूर्व (1986) जारी की गई बीपीटी 5204 अभी भी सर्वश्रेष्ठ किस्म है, जिसके अंतर्गत भारत के कुल चावल क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत क्षेत्र आता है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी किस्में, अर्थात स्वर्णा, एमटीयू-1010, एमटीयू-1001 और बीपीटी 5204 न केवल आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय हैं, बल्कि यह किस्में भारत के 14 अन्य राज्यों तथा 4 अन्य देशों में भी काफी लोकप्रिय हैं।
यह विश्वविद्यालय फील्ड फसलों, वाणिज्यिक फसलों, दलहन एवं तिलहनी फसलों में सुधार लाने वाले अग्रणी विश्वविद्यालयों में प्रमुख है।
• राज्य में बहने वाली दो महत्वपूर्ण नदियां गोदावरी और कृष्णा हैं, जिनसे राज्य में सिंचाई की जाती है। आंध्र प्रदेश देश के उन कुछ राज्यों में से था, जिसमें 1970 के दशक में चावल की खेती में हरित क्रांति आई थी।
• आंध्र प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय ने छह नए विश्वविद्यालय सृजित किए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं – एन.जी रंगा कृषि विश्वविद्यालय (एएनजीआरएयू), श्री वेंकटेश्वर पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय (एसवीवीयू) और वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय (वार्इएसआरएचयू) जो शेष आंध्र प्रदेश राज्य में हैं और प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू), श्री पी.वी. नरसिंहराव तेलंगाना राज्य पशुचिकित्सा, पशुपालन और मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय (एसपीवीएनआरटीएसयूवीएएफएस) तथा कौंडा लक्ष्मण तेलंगाना राज्य बागवानी विश्वविद्यालय (केएलटीएसएचयू) जो तेलंगाना राज्य में हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद शैक्षिक सुविधाओं के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, अवसंरचना तथा संकाय में सुधार के लिए कृषि विश्वविद्यालयों को नियमित रूप से वित्तीय और व्यावसायिक सहायता (विकास अनुदान) प्रदान करती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि शिक्षा के लिए प्रतिभा को आकर्षित करने तथा मानव संसाधन विकास, राष्ट्रीय एकीकरण तथा इन-ब्रीडिंग को कम करने के लिए प्रत्येक वर्ष स्नातक पूर्व छात्रों के लिए राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृत्ति (एनटीएस), स्नातकोत्तर छात्रों के लिए कनिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति और पीएचडी छात्रों के लिए वरिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति (एसआरएफ) जैसी बहुत सी अध्येतावृत्तियां प्रदान करती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने नई और विकसित हो रही नवीनतम प्रौद्योगिकियों में कृषि विश्वविद्यालयों की कार्यनीतिपरक संख्या को बढ़ाने हेतु उत्कृष्टता के विशेष क्षेत्र नामक एक योजना आरंभ की है। इसने स्नातक पूर्व स्तर पर छात्रों को कौशल उन्मुखी व्यवहारिक प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए सभी विश्वविद्यालयों में 434 प्रायोगिक शिक्षण मॉड्यूल्स भी स्थापित किए हैं। अध्यापकों और वैज्ञानिकों में क्षमता निर्माण के लिए, भाकृअनुप नए और उभरते हुए क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने में भी सहायता करती है।
• इस कृषि विश्वविद्यालय ने वर्ष 1979-80 के दौरान देश में पहली बार एक नवाचार शिक्षा कार्यक्रम ‘ग्रामीण कार्य अनुभव कार्यक्रम’ आरम्भ किया है। इस कार्यक्रम की सफलता के आधार पर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में सभी अन्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा इस कार्यक्रम को शुरू करने की सिफारिश की थी। यह कार्यक्रम बी.एससी (कृषि) के अंतिम वर्ष के छात्रों को एक सेमेस्टर के लिए गांवों में ठहराकर, कृषि और ग्रामीण जीवन से संबंधित समस्याओं और कृषि कार्यों को समझने और अनुभव प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करता है।
• अब, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस ‘ग्रामीण कार्य अनुभव कार्यक्रम’ को प्रमुख घटक के रूप में एकीकृत करके स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम आरंभ किया है। स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में 25 जुलाई, 2015 को आरंभ किया गया है और इसे अगले शैक्षिक वर्ष से कार्यान्वित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्रीय सरकार कृषि विज्ञान के सभी स्नातक पूर्व छात्रों छ: माह की अवधि के लिए 3000/- रूपये प्रति मास अध्येतावृत्ति प्रदान करेगी।
विश्वविद्यालय के नए मुख्यालय की आवश्यकता
• अविभाजित आंध्र प्रदेश राज्य में, आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय (एएनजीआरएयू), जिसका मुख्यालय हैदराबाद में था, पूरे राज्य की आवश्कताओं को पूरा कर रहा था।
• आंध्र प्रदेश के बंटवारे के दौरान, शेष आंध्र प्रदेश राज्य में कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 की धारा 93 (13वीं अनुसूची) में उपयुक्त प्रावधान किया गया था।
• तदनुसार, 10 जुलाई, 2014 को लोकसभा में प्रस्तुत बजट (2014-15) के दौरान माननीय केन्द्रीय वित्त मंत्री ने राजस्थान में एक और कृषि विश्वविद्यालय तथा तेलंगाना और हरियाणा में बागवानी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ शेष आंध्र प्रदेश राज्य में कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया था।
• इस संबंध में जब सभी चारों मुख्य मंत्रियों को पत्र भेजे गए तो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सबसे पहले इस उद्देश्य के लिए शेष आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिला के लाम गांव में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपेक्षित भूमि की पहचान कर उचित कार्रवाई की।
• जवाब प्राप्त होने के बाद तत्काल वित्तीय वर्ष 2014-15 में एएनजीआरएयू को 10.00 करोड़ रूपये जारी किए गए। वित्तीय वर्ष 2015-16 में 75.00 करोड़ रूपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है।
• आंध्र प्रदेश में, एएनजीआरएयू के पास 5 कृषि कॉलेज, 2 कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज, 2 खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कॉलेज, एक गृह विज्ञान कॉलेज, 14 कृषि पॉलीटेक्निक कॉलेज, एक बीज प्रौद्योगिकीय पॉलीटेक्निक, 2 कृषि इंजीनियरी पॉलीटेक्निक, 6 कृषि-जलवायु संबंधी क्षेत्रों में स्थित 6 क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र सहित 33 कृषि अनुसंधान केन्द्र हैं।
• आंध्र प्रदेश में प्रमुख कृषि शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की आवश्यकता है, क्योंकि शेष राज्य बंटवारे के कारण अनेक शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों से वंचित है। आंध्र प्रदेश के र राज्य में सभी छात्रों और किसानों को गुणवत्ता कृषि शिक्षा और अनुसंधान के लिए बराबर का अवसर सुनिश्चित करने हेतु लाम, गुंटूर में नए कृषि विश्वविद्यालय मुख्यालय में उच्चतर स्नातकोत्तर केन्द्रों, अनुसंधान में उत्कृष्टता के केन्द्रो, प्रशासनिक कार्यालय, केन्द्रीय पुस्तकालय, केन्द्रीय कम्प्यूटर केन्द्र और किसान प्रशिक्षण केन्द्रों को स्थापित किए जाने की जरूरत है।
हम आशा करते हैं कि लाम, गुंटूर में इस विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही इस क्षेत्र में कृषि के विकास को अति आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा और इससे इस क्षेत्र में मजबूत कृषि के युग की शुरूआत होगी और क्षेत्र का कृषक समुदाय ज्ञान सम्पन्न तथा समृद्ध होगा।