- January 29, 2021
9 जिलों में मिशन इंद्रधनुष—बूस्टर डोज दिलाकर उसे 7 तरह के खतरनाक वायरस से बचाएं
पटना —- बच्चों को टीके की बूस्टर डोज दिलाकर उसे 7 तरह के खतरनाक वायरस से बचाएं। आपके बच्चों की इम्यूनिटी वायरस से लड़ने के लिए कमजोर नहीं पड़े इसके लिए एक बार फिर मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की जा रही है।
इस विशेष अभियान से बच्चों में होने वाली बीमारियों के वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने का काम किया जाएगा। इंद्रधनुष अभियान से बच्चों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जाएगी। राज्य स्वास्थ्य समिति ने बिहार के 9 जिलों का चयन इसके लिए किया है। इसी क्रम में 31 जनवरी से पल्स पोलियो अभियान की भी शुरुआत की जा रही है।
2014 से चल रहा है अभियान
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की थी। मिशन इंद्रधनुष एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो टीकाकरण का कवरेज अधिक करने के लिए चिन्हित जिलों में चलाया जाता है।
पटना सहित 9 जिलों में अभियान
बिहार में राज्य स्वास्थ्य समिति ने 9 जिलों में इसकी शुरुआत करने जा रहा है। मिशन इंद्रधनुष के तहत बच्चों का नियमित टीकाकरण अभियान चलाए जाने का निर्देश दिया गया है। अभियान को दो चरण में चलाया जाएगा। पहला चरण 8 से 18 फरवरी तक का होगा जबकि दूसरा मिशन 8 से 18 मार्च के बीच चलेगा। इसकी तैयारी तेज कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के आदेश के बाद संबंधित जिलों में इस विशेष वैक्सीनेशन को लेकर जागरुकता कार्यक्रम की भी तैयारी की जा रही है।
जहां नियमित टीकाकरण नहीं है, वहां होगा टारगेट
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मिशन इंद्रधनुष विशेष टारगेट पर काम करेगा। यह ऐसे क्षेत्रों में कारगर होगा जहां नियमित टीकाकरण नहीं होता है। इसमें उन गांव और टोलों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां नियमित टीकाकरण नहीं हुआ है।
9 जिलों में मिशन इंद्रधनुष
भोजपुर,पश्चिम चंपारण,दरभंगा,कटिहार,मधुबनी,मुजफ्फरपुर,पटना,समस्तीपुर,शिवहर
डीएम की निगरानी में चलेगा अभियान
राज्य स्वास्थ्य समिति ने बिहार के 9 जिलों के DM को इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। भोजपुर, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पटना, समस्तीपुर और शिवहर के जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मिशन इंद्रधनुष की सफलता पर जोर दिया जाए। इन 9 जिलों के डीएम को मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत नियमित टीकाकरण शुरू करने का निर्देश भी दिया गया है।
भारत में मिशन के तहत ‘टीकाकरण कार्यक्रम’ की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी, जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक था, इसका उद्देश्य देश के सभी ज़िलों को 90% तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था। लेकिन इस मंशा में बाधा आई है जिससे वैक्सीनेशन का प्रतिशत कम हुआ है। नतीजा केवल 65 से 70 % बच्चों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले रोगों से पूरी तरह से सुरक्षित करा पाया गया। इस कारण से ही 25 दिसंबर 2014 को ‘मिशन इन्द्रधनुष’ की शुरुआत हुई। इसका असर भी व्यापक तौर पर देखने को मिला।
मिशन इंद्रधनुष 7 बीमारियों से बच्चे को बचाने में होगा सहायक
मिशन इंद्रधनुष से बच्चों में होने वाली 7 प्रमुख बीमारियों तपेदिक , पोलियोमाइलाइटिस , हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया , पर्टुसिस, टेटनस और खसरा का खतरा कम होगा। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि टीकों की संख्या 12 होती है। इसमें खसरा रूबेला, रोटावायरस, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी और पोलियो के खिलाफ टीकों को शामिल करने के बाद इन टीकों की संख्या 12 हो गई है।