87,422 करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्‍व का सकल संग्रह

87,422 करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्‍व का सकल संग्रह

नई दिल्ली —– जुलाई, 2020 में सकल जीएसटी (वस्‍तु एवं सेवा कर) राजस्‍व संग्रह 87,422 करोड़ रुपये का हुआ जिसमें सीजीएसटी 16,147 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 21,418 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 42,592 करोड़ रुपये (वस्‍तुओं के आयात पर संग्रहीत 20,324 करोड़ रुपये सहित) और उपकर (सेस) 7,265 करोड़ रुपये (वस्‍तुओं के आयात पर संग्रहीत 807 करोड़ रुपये सहित) हैं।

सरकार ने नियमित निपटान के रूप में आईजीएसटी से सीजीएसटी के लिए 23,320 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 18,838 करोड़ रुपये का निपटान किया है। जुलाई, 2020 में नियमित निपटान के बाद केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्‍व सीजीएसटी के लिए 39,467 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 40,256 करोड़ रुपये है।

उपर्युक्‍त माह में राजस्व पिछले साल के इसी महीने में संग्रहीत हुए जीएसटी राजस्व का 86% है। उपर्युक्‍त माह के दौरान वस्‍तुओं के आयात से प्राप्‍त राजस्व और घरेलू लेन-देन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्‍त राजस्व पिछले साल के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से हासिल किए गए राजस्व का क्रमश: 84% एवं 96% था।

इससे पिछले महीने का राजस्व संग्रह उपर्युक्‍त माह की तुलना में अधिक था। हालांकि, यहां पर इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि इससे पिछले महीने के दौरान बड़ी संख्या में करदाताओं ने कोविड-19 के मद्देनजर दी गई राहत की वजह से फरवरी, मार्च और अप्रैल 2020 से संबंधित करों का भी भुगतान किया था।

यह भी उल्लेखनीय है कि 5 करोड़ रुपये से कम के कारोबार (टर्नओवर) वाले करदाता सितंबर 2020 तक रिटर्न दाखिल करने में मिली छूट का निरंतर लाभ उठा रहे हैं।

निम्‍नलिखित चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व के रुझान को दर्शाता है। निम्‍नलिखित तालिका जुलाई, 2019 की तुलना में जुलाई 2020 के दौरान के साथ-साथ पूरे वर्ष के दौरान भी प्रत्येक राज्य में संग्रहीत जीएसटी के राज्य-वार आंकड़ों को दर्शाती है।

Related post

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…
और सब बढ़िया…..!   अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

और सब बढ़िया…..! अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

अतुल मलिकराम ——– सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर…
भाग्यशाली मैं ….  – अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

भाग्यशाली मैं …. – अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार)

(व्यंग लेख ) अतुल मलिकराम  :-   आज कल जीवन जीने का ढंग किसी राजा महाराजा जैसा…

Leave a Reply