63 लाख से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण

63 लाख से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण

भोपाल : (सुनीता दुबे)——–राज्य शासन द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की रोकथाम के लिये पिछले साल से शुरू हुए दस्तक अभियान से बाल स्वास्थ्य में सामान्य तौर पर सुधार हुआ है।

वर्ष 2017-18 में दस्तक अभियान का दूसरा चरण 18 दिसम्बर से 27 जनवरी के मध्य हुआ। इसमें आशा, एएनएम और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के संयुक्त दल द्वारा घर-घर दस्तक दी गई।

मुख्य बिन्दु

द्वितीय चरण 18 दिसम्बर से 27 जनवरी तक।

5 वर्ष तक के बच्चों का हुआ गहन स्वास्थ्य परीक्षण।

आशा, एएनएम, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता पहुँचीं घर-घर।

5 वर्ष तक के 63 लाख 40 हजार 183 बच्चों की हुई सक्रिय स्क्रीनिंग।

गंभीर कुपोषित 23 हजार 9 बच्चों का चिन्हांकन।

चिकित्सकीय जटिलता वाले 8,883 बच्चे विभिन्न पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती के लिये रेफर।

गंभीर एनीमिया से ग्रसित 6,560 बच्चों का चिन्हांकन।

1206 बच्चों को खून चढ़ाया गया।

निमोनिया के संभावित लक्षणों के 1213 बच्चों का प्राथमिक उपचार।

54 लाख 61 हजार 465 बच्चों को ओआरएस पैकेट वितरित।

दस्त रोग से पीड़ित 1412 बच्चों का हुआ उपचार।

53 लाख 66 हजार 447 बच्चों को पिलाई विटामिन-ए की खुराक।

शिशु बाल स्वास्थ्य के लिये 25 लाख 58 हजार 868 परिवारों को समझाइश।

जन्मजात विकृति वाले 1684 और अन्य बीमारियों के 2455 बच्चों की पहचान और उपचार।

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री रुस्तम सिंह ने बताया कि अभियान के दूसरे चरण में 63 लाख 40 हजार 183 बच्चों की सक्रिय स्क्रीनिंग और 23 हजार 9 बच्चों का चिन्हांकन किया गया। इनमें से 8 हजार 883 चिकित्सकीय जटिलता वाले गंभीर कुपोषित बच्चों को प्रदेश के विभिन्न पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती के लिये रेफर किया गया।

गंभीर एनीमिया से ग्रसित 6560 बच्चे मिले, जिनमें से 1206 बच्चों को खून चढ़ाया गया। इसी तरह 1213 बच्चों में संभावित निमोनिया के लक्षणों को देखते हुए प्राथमिक उपचार और प्रबंधन सुनिश्चित किया गया।

अभियान के दौरान 54 लाख 61 हजार 465 बच्चों को ओआरएस पैकेट का वितरण और दस्त रोग से पीड़ित 1412 बच्चों का उचित उपचार एवं प्रबंधन सुनिश्चित किया गया।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 9 माह से 5 वर्ष आयु वर्ग के 53 लाख 66 हजार 447 बच्चों को घर-घर जाकर विटामिन-ए की खुराक पिलाई गई। 25 लाख 58 हजार 868 परिवारों को शिशु और बाल आहार पूर्ति, हाथ धुलाई, दस्त रोग की रोकथाम आदि की समझाइश भी दी गई।

जन्मजात विकृति वाले 1684 बच्चों तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित 2455 बच्चों की पहचान कर उपचार एवं उचित प्रबंधन किया गया।

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