62 लाख 40 हजार से अधिक जाति प्रमाण-पत्र

62 लाख 40 हजार से अधिक जाति प्रमाण-पत्र

राज्य शासन द्वारा प्रदेश के स्कूलों में जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर वितरित करने के विशेष अभियान में अब तक 62 लाख 40 हजार से अधिक जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं। जाति प्रमाण-पत्र बनाने का कार्य नये शिक्षण सत्र के साथ ही पुन: प्रारंभ किया गया है। जाति प्रमाण-पत्र डिजिटल हस्ताक्षर के साथ डिजिटल रिपॉजिटरी में भी सुरक्षित रखे जा रहे हैं। इससे भविष्य में जब चाहें इसकी इलेक्ट्रॉनिक प्रति ऑनलाइन उपलब्ध हो सके। साथ ही इसे डाउनलोड भी किया जा सकेगा।

ऑनलाइन जाति प्रमाण-पत्र हर जिले में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा निर्देशित पेपर क्वालिटी और प्रिंटिंग के साथ मुद्रित किये जा रहे हैं। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश संभवत: देश का पहला राज्य है। प्रदेश में अभी तक अनुसूचित-जाति के 12 लाख 27 हजार 136, अनुसूचित जनजाति के 20 लाख 58 हजार 368, अन्य पिछड़ा वर्ग के 29 लाख 39 हजार 249, विमुक्त जाति के 14 हजार 745 और घुमक्कड़ एवं अर्द्ध-घुमक्कड़ जाति के 560 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं।

भोपाल संभाग में चार लाख 79 हजार 159 प्रमाण-पत्र बनें। इनमें भोपाल जिले में 36 हजार 755, राजगढ़ में एक लाख 32 हजार 356, विदिशा में 95 हजार 303, सीहोर में एक लाख 23 हजार 398 और रायसेन जिले में 91 हजार 347 जाति प्रमाण-पत्र के आवेदनों का निराकरण किया गया। ग्वालियर संभाग में चार लाख 54 हजार 589 प्रमाण-पत्र बने। जिला ग्वालियर में 94 हजार 761, दतिया में 26 हजार 79, शिवपुरी में एक लाख 39 हजार 498, गुना में 97 हजार 940 और अशोकनगर जिले में 96 हजार 311 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।

इंदौर संभाग में 14 लाख चार हजार 633 जाति प्रमाण-पत्र बने हैं। इनमें इंदौर जिले में एक लाख 85 हजार 76, धार में एक लाख 94 हजार 843, खरगोन में दो लाख 89 हजार 436, बड़वानी में एक लाख 34 हजार 62, झाबुआ में एक लाख 93 हजार 187, अलीराजपुर में 90 हजार 625, खण्डवा में 2 लाख चार हजार 19 और बुरहानपुर जिले में एक लाख 13 हजार 385 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।

जबलपुर संभाग में 13 लाख 18 हजार 771 प्रमाण-पत्र बने। इनमें जबलपुर जिले में एक लाख 78 हजार 665, कटनी में एक लाख चार हजार 184, नरसिंहपुर में एक लाख 30 हजार 187, मंडला में एक लाख 52 हजार 731, छिन्दवाड़ा में 2 लाख 603, सिवनी में एक लाख 67 हजार 680, बालाघाट में 2 लाख 83 हजार 191 और डिण्डोरी जिले में एक लाख एक हजार 530 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।

उज्जैन संभाग में 8 लाख 83 हजार 374 प्रमाण-पत्र बनवाये गये। इनमें उज्जैन जिले में 56 हजार 992, नीमच में एक लाख 14 हजार 538, मंदसौर में 2 लाख 12 हजार 298, रतलाम में एक लाख 55 हजार 709, शाजापुर में एक लाख आठ हजार 992, देवास में एक लाख 46 हजार 417 और आगर-मालवा जिले में 88 हजार 428 जाति प्रमाण-पत्र बने है। सागर संभाग में 6 लाख 29 हजार 544 जाति प्रमाण-पत्र बने। इनमें सागर जिले में एक लाख 46 हजार 718, टीकमगढ़ में 90 हजार 246, छतरपुर में एक लाख 49 हजार 173, पन्ना में एक लाख एक हजार 60 और दमोह जिले में एक लाख 42 हजार 347 प्रमाण-पत्र बनाये गये।

रीवा संभाग में कुल चार लाख एक लाख 477 प्रमाण-पत्र बने। इनमें रीवा जिले में एक लाख 22 हजार 436, सतना में 89 हजार 404, सीधी में एक लाख 22 हजार 734 और सिंगरोली जिले में 66 हजार 903 आवेदन का निराकरण किया गया है। नर्मदापुरम संभाग में दो लाख 61 हजार 538 जाति प्रमाण-पत्र बने हैं। इनमें बैतूल जिले में 69 हजार 861, हरदा में 75 हजार 213 और होशंगाबाद जिले में एक लाख 16 हजार 464 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।

चम्बल संभाग में दो लाख 20 हजार 502 जाति प्रमाण-पत्र बने हैं। इनमें श्योपुर जिले में 59 हजार 253, मुरैना में एक लाख 8 हजार 531 और भिण्ड जिले में 52 हजार 718 आवेदन का निराकरण किया गया।

शहडोल संभाग में एक लाख 86 हजार 471 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये। उमरिया जिले में 46 हजार 227, अनूपपुर में 63 हजार 249 और शहडोल जिले में 76 हजार 995 आवेदन का निराकरण किया गया।

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