• August 27, 2020

469.73 करोड़ रुपये की लागत की 30 विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण

469.73 करोड़ रुपये की लागत की 30 विभिन्न योजनाओं का  उद्घाटन, लोकार्पण

पटना:——– मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जल संसाधन विभाग की 1469.73 करोड़ रुपये की लागत की 30 विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण, षिलान्यास एवं कार्यारंभ किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संसाधन विभाग को आज के इस उद्घाटन, लोकार्पण, शिलान्यास एवं कार्यारंभ कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि आज जल संसाधन विभाग की लगभग 1,470 करोड़ रुपये की लागत की सिंचाई एवं बाढ़ प्रक्षेत्र की 30 विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण, शिलान्यास एवं कार्यारंभ किया गया है। इसमें 1,082 करोड़ रुपये की 23 योजनाओं का उद्घाटन तथा 388 करोड़ रुपये लागत की 7 योजनाओं का शिलान्यास किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में पूर्व के 3 जल संसाधन मंत्री भी शामिल हुए हैं जिन्होंने इस विभाग में विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया है। आज के दिन स्व0 रामाश्रय बाबू द्वारा भी इस विभाग में किये गये कार्य याद आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार बड़ी आबादी वाला राज्य है जिसकी जनसंख्या का घनत्व काफी अधिक है। यहां की 89 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है और यहां की 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है।

राज्य में कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की स्थिति बनी रहती है। ऐसी स्थिति में जल संसाधन विभाग की जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से बिहार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है। यहां की 68 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित है जो कि बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06 प्रतिशत है। पूरे देश का 400 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है और पूरे देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 17.2 प्रतिशत क्षेत्र बिहार का है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1990 से 2005 के बीच 2 लाख 65 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया, जबकि वर्ष 2006 से 2020 के बीच 4 लाख 6 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित की गई। साथ ही 17 लाख 25 हजार हेक्टेयर हृासित सिंचाई क्षमता को पुनस्र्थापित किया गया।

उन्होंने कहा कि 2016 में जल संसाधन विभाग के कार्यो के विश्लेषण से यह बात सामने आयी कि इस विभाग का ज्यादा समय बाढ़ प्रबंधन में ही लगा रहता है, जिससे सिंचाई संबंधित योजनाएं ससमय पूर्ण नहीं हो पाती हंै। जल संसाधन विभाग में वर्ष 2016 में बाढ़ के नियंत्रण और सिंचाई क्षमता के सृजन हेतु दो अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया। इससे बाढ़ के नियंत्रण में भी सहूलियत हुई और इरिगेशन प्रोजेक्ट भी समय पर पूर्ण होने लगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में बिहार के 22 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए, वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी आयी, वर्ष 2016, वर्ष 2017, वर्ष 2019 में भी बाढ़ की स्थिति बनी। इस वर्ष भी नेपाल के तराई क्षेत्रों में भारी वर्षा और राज्य के उत्तरी भाग में भारी बारिश के कारण सूबे के 16 जिले के 130 प्रखंड के 1,333 पंचायत के 83 लाख 62 हजार की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित हुई।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के 5 लाख से अधिक की जनसंख्या निष्क्रमित की गई। लोगों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था की गई। सामुदायिक किचेन चलाये गये, जहां प्रतिदिन 10 लाख से अधिक लोग भोजन करते थे। राहत शिविरों में भी लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की गई। एयर ड्रापिंग के माध्यम से राहत पैकेट वितरित किये गए। अब बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति में सुधार हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों का शुरू से मानना रहा है कि सरकार के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। वर्ष 2007 में बाढ प्रभावित क्षेत्रों में प्रति परिवार 1 क्विंटल अनाज वितरित किया गया और बाद में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए नगद राशि के रुप में 3 हजार रुपये अनाज के लिए तथा 3 हजार रुपये बर्तन एवं कपड़ा के लिए यानि प्रति परिवार को 6,000 रुपये की ग्रैचुट्स रिलीफ दी जाने लगी।

वर्ष 2017 में 2400 करोड़ रुपये, वर्ष 2019 में 2100 करोड़ रुपये तथा इस वर्ष अभी तक 10 लाख 48 हजार बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच 629 करोड़ रुपये की ग्रैचुट्स रिलीफ की राशि उनके खाते में भेजी जा चुकी है। शेष बचे परिवारों के खाते में जल्द से जल्द राशि भेज दी जायेगी। इसके साथ ही जिनकी फसल बर्बाद हुयी है उनको भी सहायता दी जा रही है। अभी आगे कुछ दिनों तक बाढ़ की संभावना को देखते हुए पूरी तैयारी की गई है। इसको लेकर विभाग पूरी तरह मुस्तैद और सतर्क है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की स्थिति की बेहतर प्रबंधन के लिए कई कार्य किये गये हैं। 10 फरवरी 2018 को पटना में गणितीय प्रतिमान केंद्र की स्थापना की गई। इस केंद्र में मॉडल स्टडीज एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर 90 प्रतिशत से अधिक एकुरैसी का आंकलन हो पाता है, जिससे सभी प्रमुख नदियों के 72 घंटे पूर्व ही जलस्तर एवं जलश्राव का पूर्वानुमान, रियल टाइम रेनफॉल तथा डिस्चार्ज से संबंधित जानकारी विभागीय अभियंताओं, आपदा प्रबंधन विभाग एवं जिला प्रशासन को उपलब्ध हो जाती है। इससे तटबंधों की निगरानी करने एवं उन्हें सुरक्षित रखने में पर्याप्त सहायता मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास के लिए एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना के उद्देश्य से फिजिकल मॉडलिंग सेंटर का आज वीरपुर में शिलान्यास किया गया है। पहले सिंचाई योजनाओं के वेरीफिकेशन के लिए पुणे जाना पड़ता था। वीरपुर में फिजिकल मॉडलिंग सेंटर की स्थापना से बिहार के अलावा उत्तरी भारत के अन्य राज्यों को बाढ़ प्रबंधन के अध्ययन में काफी सहायता मिलेगी। मेरा आग्रह है कि इस योजना को ससमय पूर्ण करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए 13 जुलाई 2019 को सभी दलों के विधायकों एवं विधान पार्षदों के साथ लंबी बैठक के पश्चात जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में चलाने का निर्णय लिया गया। जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है कि जल और हरियाली के बीच जीवन सुरक्षित है। इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है। इसमें 7 अंश जल संरक्षण से संबंधित है, एक अंश हरियाली से, एक अंश सौर ऊर्जा से एक अंश मौसम अनुकूल कृषि से संबंधित है और एक अंश में जागरुकता अभियान शामिल किया गया है। जल संरक्षण के लिए तालाब, आहर, पईन, पोखर का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। हाल ही में लघु जल संसाधन विभाग द्वारा 1093 योजनाओं को पूर्ण कर उद्घाटन कराया गया है, जिसमें 708 योजनाएं तालाब, पोखर से, 366 आहर, पईन से, 18 चेकडैम तथा 1 उद्वह सिंचाई योजना से संबंधित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गया में कैबिनेट की बैठक में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत गंगा उद्वह योजना की स्वीकृति दी गई। इस योजना के अंतर्गत मॉनसून के महीने में गंगा नदी के जल को लिफ्ट कर संग्रहित किया जायेगा और उसे शुद्ध पेयजल के रुप में गया, बोधगया, राजगीर तथा नवादा शहरों में पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जायेगा।

छोटी-छोटी नदियों के नदी जोड़ योजना के तहत नदियों की धारा को पुनर्जीवित किया जा रहा है। छोटी-छोटी नदियों एवं जंगली पहाड़ी नदियों में चेकडैम का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नदी जोड़ योजना के तहत कोसी- मेची लिंक योजना को राष्ट्रीय योजना के रुप में शामिल करने से 2 लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कृषकों को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि टाल क्षेत्र में भी जल के बेहतर प्रबंधन के लिए काम किये जा रहे हैं। पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के कार्यो का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है। पुनपुन नदी के बायें एवं दायें तटबंध पर पक्कीकरण का कार्य पूर्ण किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति भी लोगों में काफी जागृति आयी है। बिहार पृथ्वी दिवस 9 अगस्त के दिन तक 2 करोड़ 51 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य से अधिक 3 करोड़ 47 लाख पौधारोपण किया गया। 19 जनवरी 2020 को जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने 18 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी मानव श्रृंखला बनाई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले वर्ष 2005 तक बजट का आकार 23 हजार करोड़ रुपये का ही होता था जो अब बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। हमलोगों के लिए विकास कार्य प्रमुख है और सभी योजनाएं महत्वपूर्ण है। सिंचाई के क्षेत्र में भी कई उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। खेती के अलग से किसानों के बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है।

हमलोगों का उद्देश्य है कि जो भी योजनाएं चल रही है उसकी पूरी तौर पर निगरानी हो, बेहतर कार्यान्वयन हो। जल संसाधन विभाग ने इस वर्ष कोरोना संक्रमण एवं बाढ़ के दौरान 300 से ज्यादा जगहों पर मरम्मती/सुदृढ़ीकरण का कार्य किया है। जिन योजनाओं का आज शिलान्यास कराया गया है उससे ससमय पूर्ण करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों का सपना है कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाएं। हमलोग सपने को साकार करने में लगे रहते हैं। अगली बार मौका मिला तो हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचायेंगे।
ढाढर अपसरण योजना से लाभान्वित सोहजना गांव के श्री राज कुमार सिंह, राम बालक पासवान तथा पश्चिमी कोसी नहर योजना से लाभान्वित झंझारपुर, मधुबनी के श्री भूपेन्द्र झा तथा कमला तटबंध का ब्रीज क्लोजर कार्य से लाभान्वित कैथवार दरभंगा के श्री शकुन चैधरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया एवं खुशी जाहिर की।

जल संसाधन विभाग द्वारा गंगा जल उद्वह योजना तथा विभाग के द्वारा किये गये अभिनव प्रयोगों पर आधारित एक-एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार चैधरी, ऊर्जा, मद्य निषेद उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, जल संसाधन मंत्री श्री संजय झा, पूर्व जल संसाधन मंत्री सह सांसद श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, सचिव जल संसाधन श्री संजीव हंस ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, योजना एवं विकास विभाग के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह मौजूद थे जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय, नगर एवं विकास मंत्री श्री सुरेश शर्मा, योजना एवं विकास मंत्री श्री महेश्वर हजारी, परिवहन मंत्री श्री संतोष कुमार निराला, अन्य जन प्रतिनिधिगण, बैंकाक से एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर डॉ0 मंजुल हजारिका, 16 जिलों के जिलाधिकारी, अभियंता प्रमुख मुख्यालय, जल संसाधन विभाग श्री रविन्द्र कुमार शंकर सहित अन्य पदाधिकारीगण, अभियंता एवं गणमान्य व्यक्ति जुड़े हुए थे।

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