• September 13, 2018

4000 करोड़ रुपये के कुण्डलिया डेम का लोकार्पण

4000 करोड़ रुपये के कुण्डलिया डेम का लोकार्पण

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज आगर-मालवा तहसील के कुण्डलिया गाँव में कहा कि प्रदेश में सामाजिक समरसता की परम्परा को कायम रखना जरूरी है। प्रत्येक प्रदेशवासी की यह नैतिक जिम्मेदारी भी है।

उन्होंने कहा कि राज्य शासन की सभी योजनाएँ सभी धर्मों और जाति के लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिये लागू की गई हैं। श्री चौहान ने 4000 करोड़ रुपये के कुण्डलिया डेम का लोकार्पण और सूक्ष्म सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करते हुए यह बात कही।

श्री चौहान ने आम जनता की माँग पर कुण्डलिया डेम का नाम अटल सागर बाँध करने की घोषणा की। सिंचाई, कृषि और संबल योजना के क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि स्व-प्रेरणा से आगे आयें और योजनाओं का लाभ लेकर अपने जीवन को खुशहाल बनायें।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कुण्डलिया डेम से राजगढ़ तथा आगर-मालवा जिले में 535 गाँव की 3 लाख 25 हजार एकड़ खेतिहर भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इस योजना से आसपास के शहरों में पीने का पानी भी आसानी से सुलभ होगा। उन्होंने कहा कि कुण्डलिया डेम बनने से जो गाँव टापू बन गये हैं, उन गाँव का सर्वे किया जायेगा। जहाँ मुआवजा देना बाकी है, वहाँ मुआवजे के प्रकरण यथाशीघ्र निराकृत किये जायेंगे।

सोयाबीन रु. 3400 प्रति क्विंटल से कम नहीं बिकेगा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों को आश्वस्त किया कि उनका सोयाबीन 3400 रुपये प्रति क्विंटल से कम भाव पर नहीं बिकने दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि 22 सितम्बर को आगर-मालवा, राजगढ़ और शाजापुर जिले के लहसुन-प्याज उत्पादक किसानों को भावांतर भुगतान की राशि प्रदान की जायेगी।

इस मौके पर सांसद श्री मनोहर ऊँटवाल और श्री रोडमल नागर, विधायक श्री मुरलीधर पाटीदार, श्री गोपाल परमार, श्री हजारी लाल दांगी, श्री कुँवर कोठार, आगर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कलाबाई गुहाटिया, अन्य जन-प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण और किसान मौजूद थे।

Related post

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

  कल्पना पाण्डे———प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके…
साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…

Leave a Reply