- May 13, 2022
29 प्रतिशत बच्चों में माइल्ड एनीमिया और 36 प्रतिशत बच्चों में मॉडरेट एनीमिया
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि भारत में एनीमिया से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ गई है.
क्या बच्चे, क्या वयस्क, क्या महिलाएं और क्या पुरुष, सभी में एनीमिया बढ़ता जा रहा है.
एनएफएचएस के मुताबिक एनीमिया या रक्तहीनता आबादी के कई हिस्सों में बढ़ रही है. इनमें पांच साल से कम उम्र के बच्चे, किशोर लड़के और लड़कियां और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. इसमें खून में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर कम हो जाता है.
बच्चों में गंभीर स्थिति
छह महीनों से पांच साल तक की उम्र के 67 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया पाया गया. चार साल पहले सर्वेक्षण के पिछले दौर में यह प्रतिशत 58.6 था. यानी छोटे बच्चों में एनीमिया बढ़ रहा है.
दो प्रतिशत बच्चों को गंभीर एनीमिया
29 प्रतिशत बच्चों में माइल्ड एनीमिया और 36 प्रतिशत बच्चों में मॉडरेट एनीमिया पाया गया. दो प्रतिशत बच्चे गंभीर एनीमिया से पीड़ित पाए गए.
तीन साल तक के बच्चों में सबसे ज्यादा
थोड़े बड़े बच्चों के मुकाबले 35 महीनों से कम उम्र के ज्यादा बच्चों में एनीमिया पाया गया. 12 से 17 महीनों तक की उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए. इस श्रेणी में तो 80 प्रतिशत बच्चे पीड़ित पाए गए.
गुजरात सबसे ज्यादा प्रभावित
चाह महीनों से 59 महीनों की उम्र के बच्चों में एनीमिया की स्थिति को राज्यवार देखें तो सबसे बुरे हालात गुजरात (80 प्रतिशत) में पाए गए. गुजरात के बाद नंबर रहा मध्य प्रदेश (73 प्रतिशत), राजस्थान (72 प्रतिशत) और पंजाब (71 प्रतिशत) का.
केरल में सबसे कम
केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख में इस श्रेणी में 94 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली और दमन और दिउ में 76 प्रतिशत और जम्मू और कश्मीर में 73 प्रतिशत एनीमिया पाया गया. कम एनीमिया वाले राज्यों में सबसे आगे रहा केरल (39 प्रतिशत), उसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (40 प्रतिशत), नागालैंड (43 प्रतिशत) और मणिपुर (43 प्रतिशत).
पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाएं पीड़ित
15 से 49 साल की उम्र में जहां 25 प्रतिशत पुरुष एनीमिया से पीड़ित पाए गए, वहीं महिलाओं में यह प्रतिशत 57 पाया गया. लगभग हर उम्र की महिलाओं में 50 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ित पाई गईं. पुरुषों में यह प्रतिशत 20 से ऊपर है.
सर्वेक्षण के पिछले दौर के मुकाबले अब चार प्रतिशत ज्यादा महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो गई हैं. पुरुषों में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
भारत सरकार के ‘एनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम के तहत 2018 से 2022 के बीच बच्चों और 20 से 49 साल के किशोरों और महिलाओं के बीच एनीमिया के फैलाव में तीन प्रतिशत गिरावट लाने का लक्ष्य था.