- October 5, 2018
28 करोड़ रू0 की लागत से नेशनल डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर की योजना– -सुशील कुमार मोदी
पटना ——– राष्ट्रीय डाॅल्फिन दिवस के अवसर पर संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 28 करोड़ रू0 की लागत से नेशनल डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर का निर्माण पटना विश्वविद्यालय परिसर में 2 एकड़ भू-खण्ड पर किया जायेगा तथा शीघ्र ही इसका शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री द्वारा किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि डाॅल्फिन की आबादी एवं उपलब्धता की जानकारी हेतु चैसा से साहेबगंज तक सर्वे का काम 42.728 लाख रू. की लागत से तीन प्रतिष्ठित विशेषज्ञ संस्थानों द्वारा 15 नवम्बर से 15 दिसम्बर, 2018 के बीच कराया जायेगा।
मुंगेर में एक आॅब्जरबेटरी का निर्माण कराया जा रहा है जहां से डाॅल्फिन देखा जा सकता है। गंगा नदी में जाकर डाॅल्फिन देखने की व्यवस्था शीघ्र कराई जायेगी। 10 लाख रू0 की लागत से डाॅल्फिन पर फिल्म भी बनाया जा रहा है तथा डाॅल्फिन बचाने वाले लोगों को पुरस्कृत करने हेतु डाॅल्फिन प्रतिरक्षण-सह-प्रोत्साहन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। विगत एक वर्ष में डाॅल्फिन के मारे जाने की कोई भी घटना सामने नहीं आई है। उन्होंने लोगों से डाॅल्फिन को बचाने की अपील की।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार में प्राकृतिक वनों का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा वन्य प्राणी आश्रयणियों के रूप में संरक्षित है। बाल्मीकी टाइगर रिजर्व के विकास के लिए प्रतिवर्ष लगभग 15 करोड़ रू. खर्च किये जा रहे हैं। वहाँ वर्ष 2007 में 8-10 बाघ थे जो वर्ष 2018 में बढ़कर 35 से अधिक हो गये हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटकीय सुविधाये उपलब्ध करा दी गई हैं और आमजन वहाँ जाकर बाघ देख सकते हैं।
कहा कि बक्सर जिला में स्थानीय लोगों के सहयोग से कृष्ण मृग (ठसंबा ठनबाद्ध का संरक्षण किया जा रहा है। भागलपुर के गंगा दियारा क्षेत्र में गरूढ़ पक्षी के संरक्षण हेतु 10.75 लाख रू0 तथा नवादा, गया एवं जमुई जिले में भालू, चीतल आदि वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु 88 लाख रू. की योजना की स्वीकृति दी गई है। अभी तक गरूड़ के संरक्षण से इसकी संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि 5 करोड़ रू0 के लागत से भीम बांध में पर्यटकीय सुविधाओं का विकास किया जा रहा जहां गर्म पानी के कुंड का आंनद लिया जा सकता है।