24 सूखा प्रभावित जिलों के 257 प्रखडों की व्यवस्था से अवगत

24 सूखा प्रभावित जिलों के 257 प्रखडों  की व्यवस्था से अवगत

पटना———-:- अध्यक्ष शासी निकाय सह मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार विकास मिशन के शासी निकाय की पंचम बैठक (तृतीय चरण) का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में आयोजित हुई इस समीक्षा बैठक में कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष वर्ष 2008 से लेकर अबतक कृषि रोड मैप अवधि में चावल गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल आदि के उत्पादन, उत्पादकता, बीज विस्थापन दर एवं बीज वितरण की अद्यतन स्थिति के संबंध में प्रस्तुतिकरण दी गयी।

कृषि रोड मैप अवधि में बागवानी मिशन, राज्य के 24 सूखा प्रभावित जिलों के 257 प्रखंडों में डीजल अनुदान, कृषि इनपुट अनुदान (आपदा सहाय्य), तृतीय कृषि रोड मैप अंतर्गत शुरू की गई नई योजनाएं और पहल- जैविक खेती के लिए कृषि इनपुट अनुदान योजना, जैविक कॉरिडोर योजना, किसानों का कौशल प्रशिक्षण, बीज टीका अभियान इत्यादि के संदर्भ में कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर कुमार ने वर्तमान वस्तु स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

कृषि विभाग के प्रस्तुतिकरण को देखने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव कृषि को कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि इनपुट सब्सिडी वितरण का काम अविलंब शुरू करें, इसमे देर नही होनी चाहिये ताकि समय पर जरूरतमंद किसानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि पटना और नालंदा में अधिकांश किसान अपने खेतों से फसल काटने के बाद उसके अवशेष में आग लगा रहे जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इसपर हर सूरते हाल में रोक लगनी चाहिये क्योकि पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा अपने खेतों में आग लगाए जाने के कारण ही आज दिल्ली की यह दुर्गति हुई है। इसके लिए अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इस तरह की सलाह जो किसानों को दे रहें हैं उन्हें भी चिन्हित करिये नही तो पूरे बिहार में भयावह स्थिति उतपन्न हो जाएगी।

कृषि विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो मौसम में बदलाव आए है उसको देखते हुए फसल चक्र में भी परिवर्तन करना होगी, इसलिए फसल चक्र पर फोकस करते हुए लोगों को जागरूक करिये। उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता को ध्यान में रखते हुए गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम एक्सपर्ट से परामर्श लेकर जल्दी कराएं ताकि सीवरेज का पानी गंगा में प्रवाहित करने की बजाय उसका सिंचाई में उपयोग किया जा सके। मधुमक्खी पालन का आकलन और अध्ययन कराने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को दिया।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा बिहार के सूखाग्रस्त घोषित 257 प्रखंडों में पेयजल की व्यवस्था हेतु की जा रही विभागीय कार्रवाई, सूखा प्रभावित जिलों में भू-जल स्तर, बंद चापाकलों की मरम्मति कर चालू करने की स्थिति, सुखाड़ घोषित होने (15 अक्टूबर 2018) के उपरान्त चालू किये गये चापाकल, पशुओं के पेयजल हेतु निर्माण की स्थिति आदि विषयों पर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया गया।

भू-जल स्तर की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए मुख्यमंत्री ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों से कहा कि जिलावार और प्रखंड वार इसे स्पेसिफिक तौर पर गंभीरता से जाॅच कराइये क्योकि कई जिलों का फिगर चिंताजनक है। जल स्तर के अनुरूप विभागीय तौर पर आकलन करके आवश्यकतानुसार चापाकलों को लगवायंे ताकि पेयजल की समस्या लोगों के समक्ष उत्पन्न न हो सके। सही जगह पर चापाकल लग सके इसके लिए विभागीय अधिकारियों और जिलाधिकारी का फीडबैक भी अवश्य लें।

मुख्यमंत्री के समक्ष पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव श्रीमती एन. विजय लक्ष्मी ने प्रेजेंटेशन के जरिये कृषि रोड मैप की अवधि में दूध, अंडा, मांस, मछली जैसे पशु जनित उत्पाद की आवश्यकता एवं उपलब्धता, टीकाकरण कार्यक्रम, कृत्रिम गर्भाधान, गोशाला विकास, पशुधन विकास केंद्र, मोबाइल एम्बुलेट्री वैन, प्रशिक्षण, लेयर पोल्ट्री फार्म, बायलर पोल्ट्री फार्म, जीविका के माध्यम से बकरी/मुर्गी वितरण की प्रगति रिपोर्ट एवं विभागीय उपलब्धि प्रस्तुत की।

प्रेजेंटेशन देखने के बाद विभागीय अधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गोशाला पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि गाय के गोबर और मूत्र का आर्गेनिक फार्मिंग में ज्यादा यूज है। दूध की अपेक्षा गोबर और मूत्र से ज्यादा आमदनी होगी इसलिए गोशाला के माध्यम से इसे प्रमोट कराया जाए।

उन्होंने कहा कि सड़कों पर जो आवारा पशु विचरण करते हैं उसे भी गोशाला तक पहुंचाने का प्रबंध करिये ताकि उसके गोबर और मूत्र का उपयोग किया जा सके। इससे वर्मी कम्पोस्ट को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जीविका के माध्यम से जो बकरी और मुर्गी का वितरण हो रहा है उसे और अधिक प्रमोट कराइए क्योकि गरीब लोग ही बकरी और मुर्गी का पालन करते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि बकरी का दूध डेंगू में सबसे अधिक फायदेमंद होता है।

इस बैठक में सहकारिता विभाग द्वारा अनाज की भंडारण क्षमता, किसान क्रेडिट कार्ड, चावल मिल सह गैसीफायर, ड्रायर सहित चावल मिल की स्थापना, जैविक सब्जी उत्पादन, विपणन एवं प्रसंस्करण, बिहार राज्य फसल सहायता योजना, मुख्यमंत्री हरित कृषि योजना के संबंध मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया गया।

सहकारिता विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि बिहार में उत्पादित होनेवाली सब्जी का करीब 30 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है जिसको देखते हुए सहकारी समिति बनाने का फैसला लिया गया ताकि बर्बाद होने वाली सब्जियों को बचाकर उसे बाजार उपलब्ध कराया जाय।

जल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई क्षमता का सृजन, ह्रासित सिंचाई क्षमता का पुनस्र्थापन, जल निस्सरण की योजना, कमांड क्षेत्र विकास, अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन जबकि लघु जल संसाधन विभाग द्वारा नव निर्मित सिंचाई क्षमता का सृजन, पुनः स्थापना एवं भू-गर्भ जल प्रबंधन के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया गया।

जल संसाधन विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के क्रम में मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि जहाँ भूमि अधिग्रहण की समस्या नहीं है वहां के लिए अनुसंशित की गयी धनराशि का इस्तेमाल करके काम तेजी से पूरा किया जाय।

लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में बिहार की स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में वर्ष 2013 में निजी नलकूप शताब्दी योजना शुरू की गयी। इसको लेकर जो भी आवेदन प्राप्त हुए हैं उसकी पूरी पड़ताल करके इसका लाभ लोगों को दीजिये क्योकि निजी नलकूप योजना की कई योजनायें आई लेकिन उसका फायदा लोग उठा नहीं सके।

उन्होंने कहा कि निजी नलकूप से ही ज्यादा सिंचाई का काम होता है।

मुख्यमंत्री के समक्ष पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हरित आच्छादन, वेटलैंड क्षेत्र का संरक्षण एवं विकास, जलवायु परिवर्तन हेतु कार्ययोजना, प्रदुषण नियंत्रण (वायु, ध्वनि एवं जल) की अद्यतन स्थिति, एस०टी०पी० अधिष्ठापन, पार्को का विकास एवं राजगीर जू सफारी के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। पर्यवारण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किशनगंज में जो इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर कॉलेज बना है वहां इको टूरिज्म का एक अच्छा केंद्र बन सकता है।

ध्वनि प्रदुषण को नियंत्रित करने हेतु मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक और परिवहन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि एम्बुलेंस को छोड़कर सभी वाहनों से हूटर और सायरन को हटवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि बेवजह भी आजकल वाहन चालक हॉर्न बजाते रहते हैं, इस दिशा में परिवहन विभाग को कार्रवाई करने के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने की दिशा में भी काम करने की आवश्यकता है।

बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा विशेष सर्वेक्षण अधिनियम (2011) अंतर्गत सर्वेक्षण कार्य, ऑनलाइन दाखिल खारिज, ऑनलाइन भू-लगान भुगतान, डिजिटल सर्वे मानचित्र, अभियान बसेरा, ऑपरेशन दखल दहानी, आधुनिक अभिलेखागार जबकि खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा राशन कार्ड का आधार सीडिंग, नया राशन कार्ड निर्गत एवं रद्दीकरण, खाद्यान उठाव, राज्य के सभी जन वितरण दुकानों का आधुनिकीकरण, अनुश्रवन सॉफ्टवेयर एवं विकेंद्रीकृत अधिप्राप्ति के सन्दर्भ में प्रस्तुतिकरण मुख्यमंत्री के समक्ष दिया गया।

बैठक के अंत में विभागीय अधिकारियों ने 4.12.2018 को हुई बैठक में लिए गये निर्णय बिन्दु के अनुपालन पर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया।

बैठक में राज्य मंत्रिमंडल के मंत्रीगण, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, पुलिस महानिदेशक श्री के0एस0 द्विवेदी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मिशन निदेशक बिहार विकास मिशन श्री विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव सहित अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

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