- October 16, 2018
23 जिलों के 206 प्रखण्ड सूखाग्रस्त घोषित
तीन पैमाने निर्धारित
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** एक खेत की मौलिक स्थिति, दूसरा फसलों के मुरझाने की स्थिति और तीसरा ऊपज में 33 प्रतिषत से कम उत्पादन
*** कृषि से संबंधित शुल्क की वसूली वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए स्थगित
*** फसल सहायता योजना का लाभ लेने के लिये 31 अक्टूबर तक निबंधन अनिवार्य
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पटना——— 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने राज्य में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की।
मुख्यमंत्री के समक्ष कृषि, पषु एवं मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने सूखे से उत्पन्न परिस्थितियों के संबंध में अद्यतन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
प्रधान सचिव कृषि ने बताया कि सूखे की स्थिति के लिये तीन पैमाने निर्धारित किये गये है जिसमें एक खेत की मौलिक स्थिति, दूसरा फसलों के मुरझाने की स्थिति और तीसरा ऊपज में 33 प्रतिषत से कम उत्पादन को आधार बनाया गया है। ऐसी स्थिति में राज्य में कोई एक पैमाने पर राज्य के 23 जिलों के 206 प्रखण्ड प्रभावित हैं।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में सभी प्रतिवेदनों की समीक्षा के उपरांत राज्य के निम्न 23 जिले एवं 206 प्रखण्डों को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया गया।
सहकारिता ऋण, राजस्व लगान एवं सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क जो सीधे कृषि से संबंधित हो, की वसूली वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए स्थगित रहेगी। प्रभावित जिलों में फसल को बचाने, वैकल्पिक कृषि कार्य की व्यवस्था करने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने, पशु संसाधनों का सही रख-रखाव करने, इत्यादि, के लिए आवश्यकतानुसार साहाय्य कार्य चलाने, आदि की व्यवस्था की जाएगी।
कृषि विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार फसल की सुरक्षा एवं बचाव के लिए कृषि इनपुट के रूप में डीजल, बीज आदि पर सब्सिडी की व्यवस्था की जायेगी तथा वैकल्पिक फसल योजना तैयार कर उसके सफल क्रियान्वयन हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलवाने हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। इसके अन्तर्गत फसल बीमा से आच्छादित किसानों को कृषि इनपुट सब्सिडी का लाभ भी दिया जायेगा। किसानों को फसल सहायता योजना का लाभ दिया जायेगा। कृषि इनपुट सब्सिडी का लाभ आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा दिया जायेगा। इसके लिए कृषकों को अधिकतम 2 हेक्टेयर की अधिसीमा तक कृषि इनपुट सब्सिडी, एस0डी0आर0एफ0/एन0डी0आर0एफ0 मानदर के अनुरूप अनुमान्य होगा।
जलापूर्ति की व्यवस्था लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा की जाएगी। सूखागस्त क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति हेतु पूर्व में लगाये गये चापाकलों की मरम्मति की जाएगी। आवश्कतानुसार आकलन कर पुराने चापाकलों को और गहरे स्तर तक गाड़े जाने की आवश्यकता होगी। जरूरत के अनुसार नये चापाकल भी लगाये जायेंगे। प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था की जाएगी।
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि जिलों में पर्याप्त खाद्यान्न का भंडारण है तथा खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत सभी पात्र परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध हो।
सुखाड़ के कारण पशुचारा की तत्कालिक कमी नहीं है, परन्तु कालान्तर में कृषि फसल अवशेष की लगातार कमी के कारण इसके दीर्घकालीन प्रभाव अवश्यंभावी है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग पशुचारा की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगा।
सुखाड़ की स्थिति में जलाशय सूख रहे हैं जिसके कारण पशुओं के लिए पेयजल की नितांत कमी हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग से समन्वय स्थापित कर स्थिति का आकलन कर स्थल का चयन किया जाएगा तथा इन चयनित स्थलों को शिविर के रूप में चिन्हित किया जा सकेगा। इन चिन्हित स्थलों पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा जल की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर सोलर पंप के द्वारा जल की व्यवस्था शामिल होगा।
सुखाड़ के कारण पशुओं में इफिमेरल फीवर, हीट स्ट्रोक, न्यूमोनिया, दस्त जैसी सामान्य पशु रोगों की बहुतायत होती है। इन हेतु पशु चिकित्सालयों में दवा का भंडारण कर लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त रोजगार सृजन के लिये सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि कार्य की कमी के कारण मजदूरों के समक्ष रोजीरोटी का संकट उत्पन्न होगा। अतएव ग्रामीण विकास विभाग द्वारा रोजगारोन्मुख कार्यक्रमों के कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण में गतिशीलता लायी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सृजन हेतु मनरेगा के अन्तर्गत स्वीकृत योजनाओं की सूची तैयार रखी जाएगी जिसमें जल संरक्षण की योजना यथा- तालाब, आहर एवं पाइन उड़ाही, चेक डैम, डगबेल, वृक्षारोपण इत्यादि की परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रत्येक पंचायत में जल संरक्षण की न्यूनतम दो-दो योजनाएॅ संचालित की जाएगी।
अन्य संबंधित विभाग यथा ग्रामीण कार्य विभाग एवं पंचायती राज विभाग भी सूखे से उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार रोजगारोन्मुख परियोजनाओं का कार्यान्वयन करेंगे। ऊर्जा विभाग द्वारा कृषि एवं अन्य कार्यों हेतु सुखाड़ से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी के नेतृत्व में सुखाड़ साहाय्य कार्य चलाए जायेंगे। सुखाड़ के अनुश्रवण हेतु जिला स्तर पर 24 घंटे क्रियाशील नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाएगी। इसकी दूरभाष संख्या को आम जनता की जानकारी हेतु समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया जाएगा। नियंत्रण कक्ष में रोस्टर में सिविल पदाधिकारियों के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सेवाओं के पदाधिकारी भी प्रतिनियुक्त किये जाएंगे।
जिला पदाधिकारी के अधीन गठित टाॅस्कफोर्स सुखाड़ से उत्पन्न स्थिति एवं इसके निवारण हेतु किये जा रहे प्रयासों का साप्ताहिक अनुश्रवण करेगा। राज्य मुख्यालय में आपदा प्रबंधन विभाग में राहत कार्य के अनुश्रवण हेतु गठित नियंत्रण कक्ष निरंतर क्रियाशील रहेगा। ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जाएंगे जो निरंतर क्रियाशील रहेंगे। राज्य स्तर पर गठित आपातकालीन प्रबंधन समूह निरंतर क्रियाशील रहेगा तथा सुखाड़ग्रस्त जिलों में राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का सतत् अनुश्रवण करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक के प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर जो कृषि विभाग ने सूखे की स्थिति के लिये तीन पैमाना निर्धारित किया है, उसमें से कोई एक भी पैमाना फुलफिल करने वाले 23 जिलों के 206 प्रखण्डों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। आगे इस पैमाने के आधार पर जो रिपोर्ट आयेगी, उस पर निगरानी रखते हुये अन्य जिलों एवं प्रखण्डों के संबंध में उचित निर्णय लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल सहायता योजना का लाभ लेने के लिये 31 अक्टूबर तक किसान अपना निबंधन करवा लें। इनपुट सबसिडी का लाभ लेने के लिये 15 नवम्बर तक किसान अपना निबंधन करवा लें। उन्होंने कहा कि इसका प्रचार-प्रसार किसानों तक हो ताकि जल्द से जल्द इन्हें जानकारी मिल सके और निबंधन करवा सकें। पहले से ही धान पर 5, गेहूॅ पर 4 एवं मक्का पर 3 डीजल सब्सिडी एवं विद्युत आपूर्ति के माध्यम से किसानों को फसल के पटवन कार्य में राज्य सरकार सहयोग कर रही है।
बैठक में ऊर्जा मंत्री श्री बिेजेन्द्र प्रसाद यादव, जल संसाधन मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, कृषि मंत्री श्री प्रेम कुमार, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री श्री बिनोद नारायण झा, आपदा प्रबंधन मंत्री श्री दिनेष चन्द्र यादव, सहकारिता मंत्री श्री राणा रंधीर सिंह, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, विकास आयुक्त श्री अरूण कुमार सिंह, प्रधान सचिव जल संसाधन श्री त्रिपुरारी शरण, प्रधान सचिव कृषि श्री सुधीर कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, प्रधान सचिव ऊर्जा एवं आपदा प्रबंधन श्री प्रत्यय अमृत, सचिव पषु एवं मत्स्य संसाधन डाॅ0 एन0 विजय लक्ष्मी, सचिव ग्रामीण विकास श्री अरविन्द चैधरी, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सचिव लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण श्री जितेंद्र श्रीवास्तव, निदेषक कृषि श्री आदेष तितरमारे, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित संबंधित विभागों के अन्य वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।