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नेटवर्क के बिना विकसित भारत की कल्पना नहीं : कुमारी रितिका  

चोरसौ, गरुड़,  बागेश्वर, उत्तराखंड ———–आजादी के बाद से देश में संचार ने नई क्रांति ला दी है, वहीं देश के
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कितना मुमकिन है सभी के लिए स्वस्थ परिवेश उपलब्ध कराना ? : हरीश कुमार

पुंछ, जम्मू ————-कहते हैं कि स्वास्थ्य ही जीवन है. वास्तव में प्रथम सुख ही निरोगी काया को कहा गया है.
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शारीरिक रूप से अक्षम को शैक्षिक रूप से सक्षम बनाना ज़रूरी है : रेहाना कौसर

पुंछ, जम्मू ————-हमारे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो किसी न किसी प्रकार से दिव्यांग हैं. केंद्र की
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नहीं बदली है माहवारी से जुड़ी अवधारणाएं: नैना सुहानी

मुजफ्फरपुर, बिहार——   मासिक धर्म एक ऐसा विषय है जिस से ग्रामीण इलाकों में अनगिनत अंधविश्वास और पुरानी सोच जुड़ी हुई
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कौन सुनेगा श्रमिक महिलाओं का दर्द ? वंदना कुमारी

मुजफ्फरपुर, बिहार——–  भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड खेती-किसानी और मजदूरी है. यदि खेती नहीं हो, तो आदमी खाएगा क्या? आर्थिक
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राजस्थानी को कब हासिल होगा निज भाषा का गौरव ? : देवेन्द्रराज सुथार

जालौर, राजस्थान——————–  मातृभाषा किसी भी देश या क्षेत्र की संस्कृति और अस्मिता की संवाहक होती है. इसके बिना मौलिक चिंतन
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आत्मनिर्भरता से ही सशक्तिकरण संभव है :- अर्चना किशोर

छपरा, बिहार ————- आजकल महिलाएं वह सब कुछ कर रही हैं जिस पर वर्षों से पुरुषों का एकाधिकार था. लेकिन
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