श्रीकृष्ण की धर्म नीति — डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र
लोक जीवन में ‘धर्म’ शब्द जितना अधिक सुपरिचित है उसका अर्थ-बोध उतना ही अधिक व्यापक एवं गूढ़ है। अर्थ-विस्तार की
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