लोक नाट्य कलाकारों का दर्द, बिना पैसे जिंदगी बन गई तमाशा — शिरीष खरे
पुणे (महाराष्ट्र) — “मैं अपने दोनों पैरों में पांच-पांच किलो के घुंघरू बांधता था और गले में ढोलकी लटकाकर जब
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