भारतीय संस्कृति के अतित पर भारी पड़ रहा है वर्तमान का बलात्कार ! — मुरली
बलात्कार, जिसे सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सुनकर हैवानियत मानों किसी अबला के दर्द का ऐहसास कराने लगता
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