- January 6, 2015
1977 के बाद देश की सबसे बड़ी औद्योगिक हड़ताल
भारत में कोयला श्रमिक आज से पांच दिन की हड़ताल पर हैं. 1977 के बाद से यह देश की सबसे बड़ी औद्योगिक हड़ताल है. सर्दी के मौसम में लोगों को बिजली की भारी कटौती का सामना करना पड़ सकता है.
हड़ताल का आह्वान नरेंद्र मोदी की सत्ताधारी बीजेपी के मजहूर संगठन बीएमएस के अलावा भारत के अन्य प्रमुख चार मजदूर संगठनों इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस ने किया है. ये संगठन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के विनिवेश और पुनर्गठन के खिलाफ हैं. उनकी शिकायत है कि यह “कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक मिल्कियत को खत्म करने की प्रक्रिया” है. जल रही है झरिया (झारखंड)
कोल इंडिया के अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने हाल ही में कार्यभार संभाला है. इस मुश्किल परिस्थिति के बारे में उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि आपसी बातचीत से हम कोई हल निकाल लेंगे. हड़ताल का सही असर तो बाद में ही पता चल सकेगा और अभी से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.” हालांकि माना जा रहा है कि हड़ताल के कारण प्रतिदिन 15 लाख टन तक कोयला उत्पादन प्रभावित होगा और खास तौर से उन बिजली संयंत्रों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है, जो पहले से इंधन की कमी से जूझ रहे हैं.
सुतीर्थ भट्टाचार्य ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मजदूरों ने अंतिम तिमाही में हड़ताल का निर्णय लिया है क्योंकि, “उत्पादन अंतिम तिमाही में जोर पकड़ता है, जब वित्तीय वर्ष खत्म होने जा रहा होता है. मजदूर संगठनों का हड़ताल का आह्वान दुर्भाग्यपूर्ण है. हमने राष्ट्र हित में उनसे हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया है और अभी भी हम उन्हें हड़ताल पर ना जाने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं.”
अखिल भारतीय कोयला मजदूर संघ के नेता जिबोन रॉय ने एक बयान में कहा है कि सात लाख मजदूर हड़ताल से जुड़ चुके हैं. सरकार ने अपनी कोशिशों के तहत सभी पांच संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाई है. इससे पहले बुलाई दो बैठकों का ट्रेड यूनियन बहिष्कार कर चुकी हैं. हड़ताल इसलिए अहम है क्योंकि देश की 50 फीसदी ऊर्जा आपूर्ति कोयले से ही होती है. चीन और अमेरिका के बाद भारत कोयले का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है.
(ड्यूडी.काम)