- August 11, 2018
18 पौधों से बलिदानी अमर शहीद खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि
झज्जर———–18 पौधे लगाकर जंग-ए-आजादी के लिए मात्र 18 वर्ष की आयु में फांसी पर चढ़कर शहीद होने वाला प्रथम बलिदानी अमर शहीद खुदीराम बोस को दी भावभीनी श्रद्धांजलि ।
झज्जर जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसे वीरों की देवभूमि कहे जाने वाले धारौली गांव की सामाजिक संस्था द्वारा मां-मातृभूमि सेवा समिति की ओर से भारतीय जंग-ए-आजादी के लिए मात्र 18 वर्ष की आयु में हंसते-हंसते फांसी पर चढ़कर शहीद होने वाला प्रथम बलिदानी अमर शहीद खुदीराम बोस के 111वें शहादत दिवस पर धारौली में 18 पौधे लगाकर भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अब तक 12 बार रक्तदान कर चुके श्री जितेंद्र शर्मा धारौली ने अपने हाथों से वृश्चोपण कर शुभारंभ किया । श्री जितेंद्र शर्मा धारौली ने कहा कि हमारे देश को अंग्रेजो की दासता से मुक्त कराने के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपनी जान भारत माँ के नाम कुर्बान करी थी।
अग्रवाड़ी कार्यकर्ता सुनीता देवी लांबा तथा हरियाणा पुलिस से सेवानिवृत्त एएसआई प्रेम लाम्बा ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की ।
हरियाणा पुलिस से सेवानिवृत्त एएसआई प्रेम लाम्बा ने कहा कि पर्यावरण पर मंडरा रहे खतरे व बढ़ते प्रदूषण से बचाव और अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण देने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक पौधा जरूर लगाना चाहिए ।
अग्रवाड़ी कार्यकर्ता सुनीता देवी लांबा ने कहा कि हम सभी का फर्ज है कि हम वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए आस-पास छायादार पौधे लगाएं। हमें पर्यावरण को बचाने के लिए खुद शुरुआत करनी चाहिए । पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को पहल करनी चाहिए। ग्लोबल वार्मिग को कम करने के लिए पौधारोपण जरूरी है।
अब तक 9 बार रक्तदान कर चुके है युद्धवीर सिंह लाम्बा, अध्यक्ष “मां-मातृभूमि सेवा समिति” वीरों की देवभूमि धारौली, झज्जर ने कार्यक्रम अध्यक्षता की ।
मां-मातृभूमि सेवा समिति के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह लांबा ने कहा कि प्रसिद्ध क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसम्बर 1889 को पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ था । अंग्रेजी हुकूमत ने बिहार के मुजफ्फरपुर जेल में 11 अगस्त 1908 को शहीद खुदीराम बोस को फांसी पर लटका दिया।
शहीद खुदीराम बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी पहली शहादत से पुरे देश के नौजवानों में क्रान्ति की लहर पैदा कर दी। देश के लिए शहादत देने के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था।
इस अवसर पर सुखराज लांबा,सोमबीर लांबा, रतनी देवी लांबा, नरेंद्र लांबा, मंजीत लांबा संजय लांबा मौजूद थे।
संपर्क—
युद्धवीर लंबा,
मां मातृभूमि सेवा समिति
धरौली ,मो०- 9466676211