• November 26, 2014

18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन : ‘आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए भारत प्रतिबद्ध’- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन : ‘आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए भारत प्रतिबद्ध’- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

काठमांडू : मुंबई हमलों की छठी बरसी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों का आह्वान किया। 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान अधिकतर दक्षेस नेताओं द्वारा आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों को एक बड़ी चुनौती बताया गया।

मुंबई आतंकी हमलों के 166 मृतकों और सैंकड़ों घायलों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हम गंवाई जा चुकी जिंदगियों की अनंत पीड़ा महसूस करते हैं। आइए आतंकवाद और अंतरदेशीय अपराधों से निपटने के लिए हमने जो संकल्प किए उन्हें पूरा करने के लिए हम सब मिलकर काम करें। शिखर सम्मेलन में अपने लगभग 30 मिनट के संबोधन में मोदी ने अफगानिस्तान और श्रीलंका के राष्ट्रपतियों के इन विचारों का समर्थन किया कि आतंकवाद का खतरा क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की मूलभूत चुनौती है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि मई 2009 में श्रीलंका में आतंकी समूहों को निष्क्रिय करने से क्षेत्र का माहौल व्यापक स्तर पर बदल गया।saarc

मोदी ने कहा, लेकिन मुझे हमारी असीम क्षमताओं में बड़ा भरोसा और विश्वास है-यह भरोसा हमारे अपने देशों में नवोन्मेष और नयी पहल की विभिन्न प्रेरक कहानियों से आता है। उन्होंने कहा, यद्यपि दक्षेस 30 साल पहले गठित हुआ था, लेकिन जब हम दक्षेस की बात करते हैं तो हम आम तौर पर निराशावादी और संशयवादी दो तरह की प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलती है। प्रधानमंत्री ने दक्षेस नेताओं से कहा, हमें निराशावाद को आशावाद में बदलने के लिए काम करना चाहिए। हमें दक्षिण एशिया को शांति एवं संपन्नता के समृद्ध क्षेत्र में परिवर्तित करने की उम्मीद को कुसुमित करने के लिए काम करना चाहिए। मोदी ने अफसोस जताया कि दक्षेस देशों के बीच का आपसी व्यापार इस क्षेत्र के वैश्विक व्यापार का पांच प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने कहा, अभी आपस में जो व्यापार हो रहा है उसका 10 प्रतिशत से कम दक्षेस मुक्त व्यापार क्षेत्र व्यवस्था के अंतर्गत होता है। मोदी ने उल्लेख किया कि भारतीय कंपनियां विदेशों में अरबों का निवेश कर रही हैं, लेकिन इस क्षेत्र के देशों में उनका निवेश एक प्रतिशत से भी कम है।

प्रधानमंत्री ने कहा, बैंकाक या सिंगापुर के मुकाबले हमारे क्षेत्र में यात्रा करना अब भी कठिन है, और, एक-दूसरे से बात करना अधिक खर्चीला है। उन्होंने पूछा, हमने अपनी प्राकृतिक संपदा को साझा संपत्ति में बदलने या अपनी सीमाओं को साझा भविष्य में तब्दील करने हेतु मोर्चा बनाने के लिए दक्षेस में क्या किया है।

आतंकवाद पर रोकथाम के लिए एकीकृत प्रयास की जरूरत पर जोर देते हुए अहमदजई ने सभी दक्षेस नेताओं से इस समस्या को खत्म करने के लिए गंभीरता से काम करने की अपील की और भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान अपने किसी भी पड़ोसी देश के खिलाफ अपनी जमीन का इसतेमाल नही होने देगा। हम किसी को भी अपनी जमीन से छद्म युद्ध करने की मंजूरी नहीं देंगे। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की मांग की।

हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने विवादों से मुक्त दक्षिण एशिया के बारे में बात की जहां आपस में लड़ने की बजाए देश गरीबी और दूसरे सामाजिक समस्याओं से लड़ें लेकिन उनके करीब 15 मिनट के भाषण में आतंकवाद का कोई जिक्र नहीं था।

मोदी ने दक्षेस क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य, विज्ञान, वीजा नीति और संपर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई पहलों को रेखांकित किया और सामूहिक प्रयासों से दक्षिण एशिया को शांति एवं खुशहाली की एक समृद्ध जमीं में बदलने की उम्मीद को बढ़ावा देने’ का आह्वान किया और कहा कि दुनिया में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत दक्षिण एशिया में है।

मोदी ने कहा कि भारत ने पांच दक्षिण एशियाई देशों के 99.7 प्रतिशत माल को भारत में शुल्क मुक्त प्रवेश की सुविधा दे रखी है और उनकी सरकार ऐसे और भी कदम उठाने को तैयार है । उन्होंने कहा, दक्षिण एशिया के देशों के लिए एक दशक में करीब आठ अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध कराना भारत का सौभाग्य रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, आधारभूत ढांचा हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी है और यह सबसे बड़ी अत्यावश्यक भी है। जब मैंने सड़क मार्ग से काठमांडो आने के बारे में सोचा तो इससे भारत में कई अधिकारी घबरा गए। (यह घबराहट) सीमा पर सड़कों की हालत की वजह से थी।  उन्होंने कहा कि आधारभूत ढांचा भारत में मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

मोदी ने कहा, हमारे इस क्षेत्र में अवसंरचना परियोजनाओं को वित्तीय मदद देने के लिए मैं भारत में एक विशेष प्रयोजनीय सुविधा स्थापित करना चाहता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा, हम भारत में व्यवसाय को आसान करने की बात करते हैं। हमें अपने इस पूरे क्षेत्र में इसका विस्तारित करने की आवश्यकता है। मैं वायदा करता हूं कि सीमाओं पर हमारी सुविधाओं से व्यापार में तेजी सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि भारत अब दक्षेस के लिए 3..5 वर्ष के लिए व्यवसाय वीजा देगा। प्रधानमंत्री ने दक्षेस व्यवसाय यात्री कार्ड के जरिए इसे व्यवसायियों के आवागामन को आसान बनाने का प्रस्ताव किया। यह उल्लेख करते हुए कि भारत का दक्षेस देशों के साथ विशाल व्यापार अधिशेष है, उन्होंने कहा कि यह न तो ठीक और न ही दीर्घकाल तक चलने वाला है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम आपकी चिंताओं का समाधान करेंगे और आपको भारत में बराबर का मौका देंगे। लेकिन, मैं आपको भारतीय बाजार हेतु उत्पादन करने के लिए और आपके युवाओं के लिए नौकरियां पैदा करने के वास्ते भारतीय निवेश आकषिर्त करने को प्रोत्साहित करता हूं। उन्होंने कहा, हमें अपनी साझा विरासत और विविधता की शक्ति का उपयोग अपने क्षेत्र के अंदर पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए करना चाहिए और दक्षिण एशिया को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हम बौद्ध सर्किट के पर्याटन से इसकी शुरआत कर सकते हैं लेकिन हमें केवल इसी पर रकना नहीं है। मोदी ने कहा कि टीबी और एचआईवी के लिए दक्षेस क्षेत्रीय वृहद संदर्भ प्रयोगशाला की स्थापना के लिए कोष की कमी को पूरा करेगा।

पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हम दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए एक में ही पांच तरह के टीको वाली वैक्सीन की पेशकश करते हैं। हम पोलियो मुक्त देशों की निगरानी और सर्वेक्षण में सहायता करेंगे और यदि कहीं पोलियो फिर से प्रकट हुआ तो वहां के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, और, चिकित्सा उपचार के लिए आने वाले रोगियों और उसके एक तीमारदार के लिए मेडिकल वीजा उपलब्ध कराएगा। उन्होंने दक्षेस क्षेत्र के लिए एक उपग्रह प्रक्षेपित करने की भी बात कही। उन्होंने कहा, इससे हम सभी को शिक्षा, टेलीमेडिसिन, आपदा प्रबंध, संसाधन प्रबंधन, मौसम भविष्वाणी और संचार में लाभ मिलेगा।

(जी न्यूज )

 

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