शुद्ध कर राजस्व संग्रह 4.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान

शुद्ध कर राजस्व संग्रह 4.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान

बिजनेस स्टैंडर्ड —- सरकार ने फरवरी 2020 के बजट अनुमान में राजस्व और व्यय को लेकर जो अनुमान पेश किए थे उनमें किस हद तक विचलन आ सकता है? इस प्रश्न का उत्तर केंद्र सरकार के व्यय और राजस्व के प्रारंभिक वास्तविक आंकड़ों में निहित है जो 2020-21 की पहली छमाही के लिए उपलब्ध हैं।

इन आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार का शुद्ध कर राजस्व संग्रह 4.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो पूरे वर्ष के लक्ष्य का 28 प्रतिशत है। गैर कर राजस्व और विनिवेश प्राप्तियां सालाना लक्ष्य के क्रमश: 24 प्रतिशत और 3 प्रतिशत के साथ बुरी स्थिति में हैं। सरकारी वित्त में व्यय पक्ष पहली छमाही में काफी प्रभावशाली रहा है। 14.8 लाख करोड़ रुपये के साथ यह सालाना लक्ष्य का 49 फीसदी रहा।

साफ कहें तो राजस्व के मोर्चे पर कमजोर प्रदर्शन वर्ष 2020-21 की शुरुआती दो तिमाहियों में देश की आर्थिक वृद्धि का रुझान दर्शाता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुमान जताया था कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में 24 फीसदी की गिरावट आई।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अब जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि के अग्रिम अनुमान पेश किए हैं। उसके मुताबिक अर्थव्यवस्था में 8.6 फीसदी की गिरावट आ सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो 2020-21 की पहली छमाही में 16 फीसदी से थोड़ी अधिक गिरावट देखने को मिल सकती है।

बड़ा सवाल यह है कि क्या आरबीआई द्वारा 2020-21 की दूसरी छमाही में सुधार के अनुमान के बाद राजस्व की स्थिति बेहतर होगी। केंद्रीय बैंक ने नवंबर बुलेटिन में कहा है कि अक्टूबर-दिसंबर 2020 में आर्थिक वृद्धि वापस आ सकती है। यह अनुमान पहले से एक तिमाही बेहतर है। यह अनुमान आर्थिक गतिविधियों में निरंतर सुधार पर आधारित है। चाहे जो भी हो यह मानना उचित होगा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। जाहिर है राजस्व संग्रह में भी बेहतरी आएगी।

परंतु बड़ा सवाल यह है कि दूसरी छमाही में कितनी वृद्धि होगी? बीते तीन वर्ष के रुझान इस दिशा में मददगार हो सकते हैं।

वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में केंद्र सरकार का शुद्ध कर राजस्व संग्रह पहली छमाही के संग्रह से 23 फीसदी अधिक था। 2018-19 में यह 26 फीसदी और 2017-18 में 29 फीसदी अधिक था। मोदी सरकार के शुरुआती तीन बजट में दूसरी छमाही में एकत्रित शुद्ध कर राजस्व पहली छमाही के राजस्व से और भी ज्यादा था। परंतु विगत तीन वर्ष से यह 23 से 29 फीसदी के बीच स्थिर है।

यह बात भी ध्यान देने लायक है कि बीते तीन वर्ष में दूसरी छमाही में पहली छमाही की तुलना में वृद्धि में कोई उल्लेखनीय उछाल नहीं आई। पिछले तीन में से दो वर्ष में दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पहली छमाही से कम रहा।

2019-20 की दूसरी छमाही में यह 3.6 फीसदी रहा जबकि पहली छमाही में यह 4.8 फीसदी था। इसी प्रकार 2018-19 की दूसरी छमाही में जीडीपी 5.65 फीसदी की दर से बढ़ा जबकि पहली छमाही में यह 6.65 फीसदी था। सन 2017-18 की दूसरी छमाही में जीडीपी में 7.9 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली जबकि पहली छमाही में यह केवल 6.4 फीसदी थी।

इसके बावजूद बीते तीन वर्ष के दौरान दूसरी छमाही में केंद्र का शुद्ध कर राजस्व पहली छमाही की तुलना में 23 से 26 फीसदी अधिक रहा। चूंकि 2020-21 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में वृद्धि देखने को मिल सकती है और पारंपरिक तौर पर दूसरी छमाही में कर संग्रह में उछाल देखने को मिलती है इसलिए अक्टूबर-मार्च 2020-21 में शुद्ध कर राजस्व चालू वर्ष की पहली छमाही की तुलना में काफी अधिक हो सकता है।

परंतु किसी भी तरह कर राजस्व वृद्धि 16.36 लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकेगी। पुराने रुझान को देखें तो शुद्ध कर राजस्व लक्ष्य से 5.85 लाख करोड़ रुपये से 6.12 लाख करोड़ रुपये तक कम रह सकता है। यदि दूसरी छमाही का कर राजस्व संग्रह पहली छमाही से 55 फीसदी अधिक रहता है तो कर राजस्व में कमी घटकर 4.65 लाख करोड़ रुपये तक रह सकती है।

विनिवेश प्राप्तियों और गैर कर राजस्व के रुझान और चिंतित करने वाले हैं। विनिवेश प्राप्तियों में आमतौर पर दूसरी छमाही में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलती है लेकिन इसे ध्यान में रखने के बावजूद इस वर्ष विनिवेश प्राप्तियां 2.1 लाख करोड़ रुपये के तय लक्ष्य से कम रहेंगी। ऐसा तब है जब हम यह मानकर चल रहे हैं कि इस वर्ष बीपीसीएल के शेयरों की बिक्री होगी और एलआईसी की सार्वजनिक निर्गम पेशकश अगले वर्ष तक टाली जा सकती है।

सन 2020-21 का गैर कर राजस्व काफी हद तक दूरसंचार स्पेक्ट्रम शुल्क पर निर्भर है। कुल अनुमानित गैर कर राजस्व का एक तिहाई से अधिक यानी 3.85 लाख करोड़ रुपये दूरसंचार सेवाओं से आना है। परंतु हालिया अदालती निर्णयों के बाद यह मुश्किल नजर आता है। सरकारी कंपनियों को हाल में कहा गया कि कि वे उच्च लाभांश स्थानांतरित करें। इससे कुछ राहत अवश्य मिल सकती है। इसके बावजूद विनिवेश और गैर कर राजस्व में क्रमश 1.5 से 1.8 लाख करोड़ रुपये और 1.6 से 1.8 लाख करोड़ रुपये तक की कमी देखने को मिल सकती है।

सरकारी व्यय बड़ी समस्या नहीं होगा क्योंकि यह पहली छमाही में नियंत्रण में रहा है। 14.79 लाख करोड़ रुपये के साथ यह पिछले वर्ष की समान अवधि से कम है। सरकार दूसरी छमाही में व्यय कटौती को लेकर दृढ़ है। बीते तीन वर्ष में दूसरी छमाही का व्यय पहली छमाही के व्यय से 14 से 22 फीसदी कम रहा है। चालू वर्ष में ऐसी बचत भ्रामक साबित हो सकती है क्योंकि प्रोत्साहन पैकेज ने पहले ही अतिरिक्त राजकोषीय लागत बढ़ा दी है। बहरहाल व्यय में यह फिसलन ज्यादा नहीं होगी।

सरकार के सामने दूसरी छमाही में असल चुनौती होगी राजस्व संग्रह बढ़ाना। अतीत के दूसरी छमाही के संग्रह का रुझान और आर्थिक उत्पादन में सुधार को देखें तो शुद्ध कर राजस्व में अधिकतम 6 लाख करोड़ रुपये और न्यूनतम 4.65 लाख करोड़ रुपये तक की कमी हो सकती है। यदि विनिवेश प्राप्तियों और गैर कर राजस्व में 3.1 से 3.6 लाख करोड़ रुपये की कमी को शामिल किया जाए तो कुल राजस्व अंतराल 8 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है।

जाहिर है सरकार की 4.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी कमी को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होगी। कुल मिलाकर सरकार को अतिरिक्त उधारी लेनी ही होगी। ऐसे में सरकार अतिरिक्त उधारी और व्यय प्रबंधन के मिश्रण को भी आजमा सकती है। वह अतीत में भी ऐसा कर चुकी है।

(ए के भट्टाचार्य )

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