प्रत्येक सेवा / उत्पाद का रूप , आपके अनुरूप (कस्ट्माइज़्ड)

प्रत्येक सेवा / उत्पाद का रूप , आपके अनुरूप (कस्ट्माइज़्ड)

सुमित कुमार —- पर्यावरणीय जन-जागृति-षिविर, शैक्षणिक संगोष्ठी, प्रषिक्षण इत्यादि में मार्गदर्षक, हरित नवाचारी, रिसोर्स-पर्सन, अभिप्रेरक(मोटिवेटर), प्रषिक्षक(ट्रैनर) इत्यादि रूपों में मेरे प्रस्ताव व आपके उद्देष्यों की पूर्ति; मेरी निम्नांकित सेवाओं को आप अपने अधिकार-क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक परिसर/भवन, छत, स्थान, प्राँगण, रुचियों, आवष्यकताओं, उद्देष्यों इत्यादि से जोड़कर देखें; स्थायी स्थापनाएँ एवं पाक्षिक/साप्ताहिक/दैनिक रूप से संचालित किये जा सकने वाले सत्र/प्रषिक्षण-षिविर, कार्यषाला(वर्कषाॅप) इत्यादि हर कार्य/सेवा को आपसे जुड़े विषयों से सहसम्बद्ध करते हुए विषय-आधारित, अभूतपूर्व, अनुपम, नवोन्मेषी, वैष्विक प्रेरणास्पद/दर्षनीय, आकर्षक/सुन्दर/डिज़्ाायनर एवं सकारात्मक रूप में क्रियान्वयित किया जायेगा; अपने अधिकार-क्षेत्र के इण्डोर व आउटडोर के भी अनुसार स्वयं विषयों/सेवाओं/सामग्रियों को चयन/चिह्नांकित करें अथवा/एवं आपकी इच्छानुसार मैं वहाँ आकर स्वयं भी सटीक निर्धारण कर सकूँगाः-

1. सर्वप्रथम आपके उद्देष्यों को साकार करने की दिषा में ऐसे छोटे-बड़े कागज व काष्ठादि-निर्मित सूचना-पटल आप अपने अधिकार-क्षेत्रों में लगा सकते हैं ताकि हर व्यक्ति/आगंतुक स्वयं मुझसे सम्पर्क कर सके एवं सकारात्मकता में तीव्रता आये जिनमें लिखा होगाः ”अपनी जन्म-कुण्डली, चिकित्सात्मक जाँचनिष्कर्ष इत्यादि आधारित विषेषीकृत(कस्ट्माइज़्ड) वृक्षारोपण मार्गदर्षन एवं सैकड़ों धार्मिक, वास्तु, वर्ण(रंग) इत्यादि विषय-आधारित उपवन छोटे-बड़े पैमाने पर स्थापित कर सम्बन्धित परिदृष्य-सृजन, परिचय-पटल, अनन्य बाँसादि निर्मित घौंसलों द्वारा अपने स्थान को अपनी हरित पहचान एवं सबके लिये अभिनव वैष्विक प्रेरणास्रोत बनाने हेतु सम्पर्कः 9425605432 हरित नवाचारी“; हर स्थान पर ऐसा न्यूनतम एक प्रेरक संदेष अवष्य हो।

2. धार्मिक, वैज्ञानिक व अन्य विषयों से जुड़े वृक्ष जिनके साथ में उन वृक्षों का महत्त्व लिखा नाम-पटल हो एवं विषय-अनुरूप सम्पूर्ण परिदृष्य-सृजन भी, व्यक्ति चाहे तो अपनी भूमि पर (थीम-बेस्ड) उद्यान सरलता से स्थापित कर सकता है जिसके लिये मेरे पास सैकड़ों विषय हैं, जैसे कि वर्णमाला-वन (यथा ‘अ’ से अनार, ‘आ’ से आम, ……. एवं ‘क’ से कदम्ब,

‘ख’ से ‘खम्हार ……) अथवा ध्यान को एकाग्र करने व तन-मन को शान्त करने वाली वनस्पतियों

से सुसज्जित ‘प्रषान्तक वन’ की स्थापना; इस प्रकार वह स्थान उस व्यक्ति की बन जायेगा।

3. विशेषीकृत वृक्षारोपण पथप्रदर्षन(कस्ट्माइज़्ड ट्री-प्लाण्टेषन काउन्स्लिंग)ः इस नाम से संलग्न विवरण देखें जिसमें उल्लेख है कि समूह/व्यक्ति की षिक्षा, आजीविका, आवष्यकता, इच्छा,

जन्म-कुण्डली, चिकित्सात्मक जाँच-निष्कर्ष-आधारित वृक्षारोपण कैसे सम्भव; प्रत्येक व्यक्ति से कम से कम 5-10 प्रजातियाँ प्रत्यक्ष रूप से आजीवन जुड़ी रहती हैं।

4. मिट्टी, बेंत, काष्ठ, बाँसादि के सुन्दर आउटडोर घौंसले, विभिन्न डिज़्ाायनर सकोरे, बर्डस्डैण्ड्स एवं डिटेचेबल वृक्ष-सुरक्षा-कवच, सँभालने में सरल पहियायुक्त गतिषील अथवा बिना पहिये के विभिन्न आकार-प्रकार के विषेष डिज़्ाायनर गमले जिनके बाहर आपके विषय से सम्बन्धित सूक्ति, सामाजिक संदेष इत्यादि लिखा होगा तथा पुष्टे/खोखे/गत्ते के इण्डोर घौंसले एवं उपहार इत्यादि के रूप में स्पीडपोस्ट/कूरियर करने में अधिक सुविधाजनक कड़क कागज़/पुष्टे, कपड़ों की कतरनों से तैयार सादे फ़ोल्डेबल घौंसले (निर्माण व विक्रय सहित स्थापन हेतु प्रषिक्षण व बौद्धिक सहयोग)।

5. सम्पूर्ण पक्षी/गिलहरी भोजन-पान-आवास स्तम्भ (दीवार/छत/आँगन में लटकाकर अथवा भूमि में 4 मीटर्स का डिज़्ाायनर अथवा सादा बाँसादि लगाकर सबसे ऊपर एक घौंसला एवं मध्यभाग में भोजन व जल का एक-एक सकोरा); हर परिसर के आँगन व छत इत्यादि में ऐसे अधिकाधिक स्तम्भ अवष्य हों।

6. हर द्वार, दीवार व खिड़की के भीतर व बाहर प्रेरणास्पद रोचक वैज्ञानिक तथ्य व आध्यात्मिक
आदर्ष-वचन जिन्हें पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से सजाया गया हो

7. संसार की प्रथमविषय-विषिष्ट पौध-रोपणी स्थापना हेतु विभिन्न विषय-विषिष्ट प्रजातियों को
एकत्र कर लाना (जिसके लिये सम्बन्धितों से चर्चा करते हुए मैं स्वयं सतपुड़ा, विंध्याचल इत्यादि
विभिन्न अँचलों में जाने व वनों में स्थानीय जनों से भेंट कर एकत्रण एवं विभिन्न राज्यादि की
शासकीय-अषासकीय रोपणियों से स्वयं वृक्षों के चयन हेतु तत्पर हूँ, प्रस्ताव में उल्लिखित अन्य
सेवाओं के लिये भी मैं स्वयं चलने को भी सुलभ रहूँगा); इस प्रकार ज्योतिषीय, हिन्दू, मुस्लिम,
सिक्ख, ईसाई, जैन व बौद्ध वृक्षों एवं सुगंध व वर्णचिकित्सादि बहुसंख्य विषयों से जुड़े पौधों से
मानवीय-वानस्पतिक सहसम्बन्ध(जुड़ाव) उजागर करने से व्यक्तिविषेष को उन प्रजातियों से लगाव
हो जायेगा जिससे वृक्षारोपण-क्रान्ति का सूत्रपात होगा।

8.प्रकृति-संरक्षण के प्रयासों में सर्वेन्द्रिय-ग्राहिता लाना, जैसे कि भवनों के भी भीतर-बाहर समस्त
पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियाँ लगवाना, जैसे कि नैसर्गिक इंटीरियर सृजन में इण्डोर में प्रेरणास्पद
इंटीरियर, उदाहरणार्थ कागज़ की रंगीन तितलियाँ, खजूर/ताड़, खस, पटसन, सूत इत्यादि के
थीम-बेस्ड पेन-पेन्सिल/टूथब्रष इत्यादि स्टैण्ड्स; प्रत्येक व्यक्ति (उसकी व्यक्तिगत पहचान बना
देने हेतु) के लिये खादी व अन्य स्वदेषी रेषों से बनाये व प्राकृतिक आकृतियों की कढ़ाई किये
हुए रुमाल, कपास/सूत, पटसन/जूट व कुष सहित पुराने व सर्वथा अनुपयोगी अथवा नवीन
बिन-सिले कपड़ों के वाॅषेबल डिज़्ाायनर झोले (जैसे कि पुष्पों, पत्तियों इत्यादि रूपरंगों का कलेवर
प्रदान कर) जिन पर किसी पशु-पक्षी व वनस्पति की पहचान-मूलक कढ़ाई हो, जैसे कि हरे रंग
में सप्तपर्णी (सात भागों में विभक्त संरचनायुक्त पर्ण वाली वनस्पति) की कढ़ाई एवं नाम(सप्तपर्णी)

9.विभिन्न आयुवर्गों,सामाजिक-आर्थिक इत्यादि पृष्ठभूमियों के व्यक्तियों, विषेषतः युवा-ऊर्जा के
सतत् सार्थक उपयोगीकरण तथा समग्र रूप से सर्वसाधारण-जनजागरण हेतु सकारात्मक इण्डोर
व आउटडोर गतिविधियों का नियमबद्ध नियोजन व संचालन, उदाहरणार्थ वृक्षों की जड़ व तनों
को सीमेण्ट/क्रांक्रीट/तार-कीलों से मुक्त करने की गतिविधि सहित प्लाॅगिंग; पनपने हेतु अनुपयुक्त स्थानों (जैसे स्मारक व अन्य भवनादि) पर उग आये पौधों को ठीक से उखाड़कर उपयुक्त स्थानों में ससम्मान लगाना; सुनकर पहचानें प्रजाति; डिजिटल डिटाॅक्सः तथाकथित स्मार्टफ़ोन/सोष्यल मीडिया/इण्टर्नेट इत्यादि से दूरी; जोख़िम-रहित षिक्षाप्रद साहसिक(एडवेन्चर) गतिविधियाँ; रोचक सहभागिता-प्रेरण; समाधान-मूलक सर्वेक्षण/प्रष्नोत्तरी अथवा प्राकृतिक प्रेरणास्पद प्रतियोगिताएँ व शृंखला-मूलक पुरस्कार तथा विविध सामाजिक व पर्यावरणीय समाधान।

सहित षिक्षा को रोचक करने हेतु व कार्यालय को कार्य-योग्य बनाने हेतु उसमें विविध कार्यकलापों का निरूपण करते हुए षिक्षार्थी व कर्मचारी-प्रोत्साहन की दिषा में फ़्लो-चार्ट, माॅडल, रेखाचित्रों से अलंकृत किये जाने को शैक्षणिक व कार्यालयीन कार्यों, प्रोजेक्ट/ड््यूटी, फ़ील्ड-वर्क, होम-वर्क, पर्फ़ोर्मेन्स-मूल्यांकन, स्कोर-निर्धारण इत्यादि से जोड़ना; प्राचीन सांस्कृतिक पुनर्जागरण एवं सतत् सक्रिय प्रकृति-संवर्द्धन हेतु स्थानीयजनों को एकजुट कर अनौपचारिक समूहों का गठन व नेतृत्व…

10. प्रत्येक दिवस के लिये विविध स्थानीय, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों/तीज-त्यौहारों का परिणाम-केन्द्रित आयोजन, उदाहरणार्थ आगामी 13 जनवरी को गणेष चतुर्थी व लोहड़ी उत्सव है जिसके लिये गणेष-विग्रहसम्बन्धी आकृतियों (जैसे कि लड्डू) के घौंसलों के निर्माण व दीवारों के भीतर-बाहर इत्यादि में स्थायी स्थापनादि सहित इन्हीं आकृतियों के पर्यावरण-अनुकूल झोलों के निर्माण व विक्रय हेतु भव्य अथवा सीधे-सादे आयोजन की अग्रिम तैयारी की जा सकती है तथा साथ में श्रीगणेषसम्बन्धी प्रजातियों (कबीट, सिन्दूर इत्यादि) की उपलब्धता सहित लीलाचित्रण द्वारा इनके महत्त्व को उजागर करने सहित लोहड़ी के उपलक्ष्य में 10 सिक्ख-गुरुओं के दस विषेष वृक्षों को कलेवर में रोपित करने हेतु एक सार्थक समारोह सम्भव है।

11. भारतीय संस्कृति व विविध सम्प्रदायों की सर्वकल्याणकारी बातों/नैतिक व आध्यात्मिक सिद्धान्तों एवं प्रकृति-संरक्षी सहित वैज्ञानिक अनुसंधान-निष्कर्षों के उल्लेखों की वैज्ञानिक व धार्मिक व्याख्या द्वारा जीवन में उनका सहर्ष समावेष

12. तितली/पक्षी/गिलहरी उपवन
13. दर्षनीय श्वेत मूषक अथवा बत्तख केन्द्र

14. ‘प्लास्टिक-काँच व अन्य सांष्लेषक(सिंथेटिक) वस्तुओं को जीवन से कैसे हटायें/वैकल्पिक प्राकृतिक पदार्थों को अपनायें’ः अल्पतम 2 से 4 घण्टों का एक परिणामोन्मुख निरूपण(डेमोन्स्टेªषन) जागृति-सत्र

15. लताकुँज-निर्माण (मुख्यद्वारों, छत व अन्य निज अथवा सामुदायिक स्थलों में भोजन अथवा बैठक हेतु बेलाओं के छायायुक्त सुन्दर झुरमुट का निर्माण)

16. यथासम्भव रसायन-रहित दिनचर्या/पर्यावरण-अनुकूल जीवन-षैली निर्माणः कार्बन फ़ूटप्रिण्ट मिनिमाइज़ेषन से लेकर ज़ीरो वेस्ट स्थिति तक एवं आगे भी

17. जन्तुवसा-रहित(एनिमल-फ़ैटलेस), पशु-पक्षियों पर प्रयोग/परीक्षणविहीन जैविक/हर्बल उत्पाद प्रदर्षनी(स्थायी) व प्रोत्साहन

18. सबके (प्रत्येक घर/कक्षा/कार्यालय इत्यादि हेतु) लिये दैनिक सूक्ति-लेखन तथा सार्वजनिक स्थानों पर स्थायी प्रेरक नारा व सूत्रवाक्य-लेखन में सहयोग

19. संकल्प/षपथ ग्रहण अभियान

20. हृदय-परिवर्तन एवं मस्तिष्क प्रत्यारोपण

21. दसों दिषाओं में शैक्षणिक व सामाजिक प्राकृतिक पर्यटन

22. स्पीड पोस्ट बक्सा (अन्य क्षेत्रों में भेजने के लिये पर्यावरण-संरक्षण के संदेष को लक्ष्यबद्ध करते हुए तैयार करवायी गयीं स्थानीय कलाकृतियाँ तथा पर्यावरण-सुधार-संवाद इत्यादि)

23. वृक्ष व पशु फ़ष्र्ट-एड मेडिकल किट निर्माण व प्रषिक्षण

24. अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों इत्यादि में नेचर-ट्रॅक व वाइल्डलाइफ़ सफ़ारी (अभूतपूर्व) में नेतृत्व

25. वृक्ष व पशु गोद अभियानः स्थानीयजनों को प्रेरित कर भावनात्मक नुक्कड़ नाटक-प्रेरण सहित
26. भीतियाँ(फ़ोबिया) घटायेंः पशुप्रेम बढ़ायें

27. शिक्षा/अध्याय/पाठ का व्यावहारिक अनुप्रयोग/उपयोगी सीखें

28. बीज बोकेः प्रकृति का होके चलें (दैनिक प्रयोग हेतु औसतन डेढ़ सौ ग्रॅम्स किट का निर्माण)
29. बीज-संग्रहण-सह-प्रदर्षनी-सह-विक्रय (स्थायी)

30. स्थानीय आजीविका-सृजन अथवा कौषल-विकास के लिये मेरे द्वारा वहाँ सूत, नारियल की बूँछों, बाँसादि की कलाकृतियों को तैयार करने में, जैविक खेती-प्रोत्साहन तथा बाल, किषोर, प्रौढ़ व वृद्ध व्यक्तियों के भी मनोवैज्ञानिक स्वरुचि-परीक्षण व परिष्कार में भी रिसाॅर्स-पर्सन व पथ-प्रदर्षक की भूमिका निभायी जा सकती है, इच्छुकों में आत्मविष्वास भी लाया जा सकता है।

31. प्रकृति-प्रत्यक्षीकरण दृष्य-श्रव्य संग्रहालय

32. विष्व-कीर्तिमान वृक्ष-वैविध्य रेखा (पटरी/सड़क-किनारे/नदीतट इत्यादि पर जहाँ कोई प्रजाति मीलों तक दोहरायी न गयी हो इस प्रकार का वृक्षारोपण)

33. आपके स्थान को अत्यधिक सघन वृक्षारोपण-क्षेत्र बनाना अथवा/एवं जन्तुजात्(फ़ॅउना) अभिवृद्धि

34. स्थानादि विषेषानुसार प्रदूषण-मुक्ति की तत्कालप्रभावी युक्ति का क्रियान्वयन

35. अन्य और भी बहुत सारे विषय/बिन्दु/प्रसंग हो सकते हैं, संलग्न विज़िटिंग कार्ड देखकर व अलिखित विषयों में विचार करके बतायें, हो सकता है कि उन विषयों में भी मेरे द्वारा कुछ सार्थक किया जा सकता हो।

1. इच्छुक आप/व्यक्ति/समूह द्वारा मुझसे विचार-विमर्ष तथा निर्धारित क्रियान्वयन-विषयों की आवष्यकतानुरूप मेरे कहे अनुसार व मेरे पर्यवेक्षण में वहाँ पर उसके द्वारा उपयुक्त सामग्रियों/संसाधनों इत्यादि की उपलब्धता अथवा उसके द्वारा ‘पूर्ण अग्रिम भुगतान’ (फ़ुल एड्वान्स पेमेण्ट) के उपरान्त मेरे द्वारा उपरोक्त की उपलब्धता

2. प्राथमिक स्थान-भेंट एवं यदि उसे वहाँ मेरी आवष्यकता व उसकी गम्भीरता हुई (एवं मुझे सब ठीक लगा) तो वहाँ मेरा ठहरना/रहना/नियमित आगमन (उसके द्वारा सम्पूर्ण व्यवस्थापन किये जाने पर) सम्भव

3. मार्गदर्षन-षुल्क इत्यादि का निर्धारण मेरी भूमिकाओं इत्यादि के अनुसार समय-समय पर एवं वृद्धिषील रूप से किया जा सकेगा तत्काल क्रियान्वयन का श्रीगणेष करते हैंः शुभस्य शीघ्रम्

सुमित कुमार,
विविध विषयों में मार्गदर्शक
नवोन्मेषी, स्वतन्त्र अनूदक
Mo- 9425605432

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