- July 19, 2021
161 साल पुरानी IPC को खत्म करने की मांग
एक राष्ट्र एक दंड संहिता’ (One Nation One Penal Code) की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल की गई है.
ये याचिका BJP के वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है.
161 साल पुरानी IPC को खत्म करने की मांग भी की गई है. अर्जी में केंद्र सरकार को न्यायिक आयोग का गठन करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि न्यायिक आयोग भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित सभी आंतरिक कानून का परीक्षण करे और एक राष्ट्र एक दंड संहिता का मसौदा तैयार करे, जिसके ज़रिए कानून का शासन और समान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
केंद्र को दिया जाए न्यायिक पैनल गठन का निर्देश
याचिका में कहा गया है कि केंद्र को न्यायिक पैनल या विशेषज्ञों का एक निकाय गठन करने का निर्देश दिया जाए जो कानून का शासन और समानता को सुनिश्चित करने और भारतीय दंड संहिता 1860 सहित मौजूदा कानून का परीक्षण करने के बाद एक व्यापक और कड़े दंड संहिता संगीता का मसौदा तैयार करे.
याचिका में बताया गया क्यों जरूरी है नई IPC
इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि संविधान का संरक्षक और मौलिक अधिकारों का रक्षक होने के नाते भारत के विधि आयोग को भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित आतंरिक कानूनों का परीक्षण करने और 6 महीने के अंदर कठोर भारतीय दंड संहिता का मसौदा तैयार करने का निर्देश दे सकती है. याचिका में भी ये भी कहा गया है कि अगर ये IPC थोड़ी भी प्रभावी होती तो स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं बल्कि कई अंग्रेजों को सजा मिलती.
इसमें ये भी कहा गया है कि 1857 जैसे आंदोलन को रोकने के लिए आईपीसी 1860 और पुलिस एक्ट 1861 बनाया गया था. ऑनर किलिंग, मॉब लिचिंग और गुंडा एक्ट से जुड़े कानून IPC में नहीं है. फिलहाल विभिन्न राज्यों में एक ही अपराध के लिए सजा अलग है, इसलिए सजा को एकसमान बनाने के लिए नई आईपीसी जरूरी है.