- February 12, 2021
14 फरवरी तक बिहार के 32 जिलों में रैंडमली एंटी बॉडी जांच–इम्यूनिटी पर अध्ययन —बिना सहमति के किसी का नमूना नहीं
पटना — बिहार सरकार आपकी इम्यूनिटी पर अध्ययन करने जा रही है। 14 फरवरी तक पटना सहित बिहार के 32 जिलों में रैंडमली एंटी बॉडी जांच की जाएगी। इसके लिए किसी को भी रोक कर उनसे जांच कराने का आग्रह किया जाएगा। पटना के RMRI और IGIMS में इसकी जांच होगी, जिसके बाद कोरोना से जुड़ा कोई बड़ा आंकड़ा सामने आ सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विभाग ने इस विशेष स्टडी की तैयारी कर ली है। बिहार सरकार की इस सेरो स्टडी में स्वास्थ्य विभाग के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी लगाया गया है।
WHO के मेडिकल अफसर डॉक्टर SM त्रिपाठी ने बताया कि इस अध्ययन के लिए चयनित जिलों में 5-5 ब्लॉक का चयन किया जाएगा।
हर ब्लॉक में दो-दो एरिया सेलेक्ट किए जाएंगे, जहां से 40-40 नमूना लिया जाना है। हर ब्लॉक से 80 और हर जिले से 400 नमूना लेकर जांच किया जाना है। पटना के 5 ब्लॉक में जांच हो रही है। इसमें फुलवारीशरीफ, पटना शहरी, मसौढ़ी, दानापुर और बाढ़ शामिल हैं।
RMRI और IGIMS में जांच
बिहार के 32 जिलों से आने वाले 12800 लोगों की जांच पटना के RMRI और IGIMS में होगी। हर जिले के लिए जांच सेंटर तय किए गए हैं। इसके लिए 14 फरवरी तक का समय दिया गया है। इस बीच में नमूना लेने के साथ ही जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को देनी है।
पहले 6 जिलों में हुई थी जांच
पूर्व में भी सरकार ने इस तरह की स्टडी कराई थी, जिसमें बिहार के 6 जिलों को शामिल किया गया था। इसमें अरवल, बेगूसराय, बक्सर, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, पूर्णिया शामिल थे। इस बार इन 6 जिलों को छोड़कर ही जांच कराई जा रही है। इन जिलों में दो शिफ्ट में जांच हुई। पहले में 7 प्रतिशत लोगों में एंटी बॉडी मिली थी फिर 25 प्रतिशत लोगों में एंटी बॉडी पाई गई थी।
18 साल से अधिक उम्र वालों की जांच
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि जांच रैंडम करनी है। इसमें ध्यान रखना है कि नमूना लेने वाले की उम्र 18 से अधिक हो। इसमें कोई भी हो सकता है। जिसे कोविड हुआ हो या फिर कोई वैक्सीन भी लिया हो, उसका भी नमूना रैंडम लिया जा सकता है। नमूना लेने के लिए 5 हेल्थ वर्करों की टीम होगी, जो स्थानीय होंगे।
हर टीम में एक एक्सपर्ट को भी रखा जाएगा। नमूना उसी का लेना है, जो इस अध्ययन का हिस्सा बनने को तैयार हो जाएं। बिना सहमति के किसी का नमूना नहीं लेना है। डॉ त्रिपाठी के मुताबिक सेरो स्टडी से यह जाना जा सकेगा कि बिहार में कैसे कोरोना को मात दिया गया है।