13 शिल्पी विश्वकर्मा और 11 बुनकर कबीर पुरस्कार से सम्मानित

13 शिल्पी विश्वकर्मा और 11 बुनकर कबीर पुरस्कार से सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कुटीर एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग करने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार तो बढ़ेगा ही बिना किसी दुष्प्रभाव के शुद्ध एवं प्रामाणिक उत्पाद भी मिलेंगे। श्री चौहान आज यहाँ गौहर महल में कबीर और विश्वकर्मा पुरस्कार वितरित कर रहे थे।

 

पुरस्कार विजेता

  • वर्ष 2011-12 का राज्य स्तरीय कबीर बुनकर प्रथम पुरस्कार श्री राजेश श्रवणेकर, द्वितीय पुरस्कार श्री मोहम्मद दिलशाद, तृतीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) श्री नारायणदास लालमणि एवं श्री जाहिर मोहम्मद को मिला।

  • वर्ष 2011-12 का राज्य स्तरीय विश्वकर्मा प्रथम पुरस्कार श्री पन्नालाल सोनी टीकमगढ़, द्वितीय पुरस्कार कुमारी रूकमणी सिलावट, सेमरा, भोपाल, तृतीय पुरस्कार श्रीमती हज्जानी रशीदा खत्री, बाग-धार को प्रदान किया गया।

  • वर्ष 2012-13 का राज्य स्तरीय विश्वकर्मा प्रथम पुरस्कार श्री भगवानदास विश्वकर्मा, ग्वालियर, द्वितीय श्री हेमंत प्रजापति, सोहागपुर, तृतीय पुरस्कार श्री रविकुमार नर्मदा प्रसाद तेकाम, भोपाल को प्रदान किया गया।

  • वर्ष 2013-14 का राज्य स्तरीय कबीर बुनकर का प्रथम पुरस्कार श्री अकील अंसारी, द्वितीय पुरस्कार (संयुक्त रूप से) श्री सलीम खाँ एवं श्रीमती संगीता श्रवणेकर, तृतीय पुरस्कार श्री नजीब मोहम्मद को प्रदान किया गया।

  • वर्ष 2013-14 का राज्य स्तरीय विश्वकर्मा प्रथम पुरस्कार श्रीमती हज्जानी हसीना खत्री बाग-धार, द्वितीय श्रीमती हज्जानी रशीदा खत्री बाग-धार, तृतीय पुरस्कार श्री नंदराम चेलाजी अहिरवार, इंदौर

  • वर्ष 2014-15 का राज्य स्तरीय कबीर बुनकर का प्रथम पुरस्कार श्री अता मोहम्मद, द्वितीय पुरस्कार श्री नेक मोहम्मद के पुत्र को, तृतीय पुरस्कार श्री मोहम्मद नईम को प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कबीर और विश्वकर्मा पुरस्कार संबंधित वर्ष में ही दिये जायें। उन्होंने कहा कि ग्रामोद्योग उत्पादों की मार्केटिंग के साथ ही उनके उपयोग को बढ़ावा देने के सभी संभव प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि खादी वस्त्रों की ब्रांड कबीरा का वे स्वयं प्रचार करेंगे। शासकीय कार्यक्रमों में पेकेज्ड जल में विंध्या वेली के जल का ही उपयोग किया जाये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शिल्पी, कारीगरों और बुनकरों की आजीविका को बेहतर बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। आगे भी किये जाएंगे। बुनकर पंचायत बुलाकर बुनकरों के सहयोग और समस्याओं के समाधान की रीति-नीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिल्पियों, कारीगरों और बुनकरों के हाथ का जादू पूरी दुनिया देखे। इसके लिये प्रचार-प्रसार कार्य में कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के अन्य देश आदिम तरीके से जीवन यापन कर रहे थे। भारत में कपास और सूती वस्त्रों का उपयोग हो रहा था। भारतीय कारीगरों ने ऐसा कपड़ा ‘मलमल’ बनाया था जो एक अंगूठी से निकल जाता था।

कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने कहा कि लोक कलाओं और लोक क्षमताओं को संरक्षण और बढ़ावा देने प्रदेश सरकार संकल्पित है। उन्होंने कहा कि शिल्पी और बुनकर अपने घर पर ही उत्पादन करें। उनके उत्पाद देश-विदेश में बिकें, इसके प्रयास विभाग द्वारा किये जा रहे हैं।

अपर मुख्य सचिव श्री राकेश अग्रवाल ने बताया कि कबीरा ब्रांड की डिजायनिंग के लिये राष्ट्रीय फैशन टेक्नालॉजी संस्थान का सहयोग लिया गया है। लोक कलाओं से संबंधित जानकारियों के दस्तावेजीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। प्रदेश में लघु उद्योगों से संबंधित जानकारियों का ‘विरासत’ नामक पुस्तक में संकलन किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मेले में प्रदेश के बुनकरों और शिल्पियों के नवीनतम उत्पाद रखे गये हैं।

प्रारंभ में अतिथियों ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। रेशम विभाग द्वारा तैयार पुस्तिका ‘विरासत’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में कबीर और विश्वकर्मा पुरस्कार विजेताओं को शॉल, श्रीफल और सम्मान-पत्र भेंट किये गये। कुटीर एवं ग्रामोद्योग उत्पादों की 10 दिवसीय प्रदर्शनी ‘सृजन’ का उदघाटन हुआ। विभाग की खादी वस्त्रों की ब्रांड कबीरा, ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट और विंध्या वेली के 17 नये उत्पाद का भी लोकार्पण हुआ।

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