13 अखाड़ों की धर्मध्वजा : नीलगिरि की लकड़ी उज्जैन
सिंहस्थ-2016 में साधु-संतों द्वारा पूजा के बाद 13 अखाड़ों की धर्मध्वजा के लिए नीलगिरि की लकड़ी उज्जैन पहुँच गई है। चार अखाड़े 76-76 फीट और शेष अखाड़े 52 हाथ (लगभग 65 फीट) की ऊँची धर्मध्वजा लगाते हैं। वन विभाग नीलगिरि की विशालकाय बल्लियाँ तैयार करने में जुटा हुआ है। तैयार होने के बाद प्रत्येक अखाड़ा को नि:शुल्क बल्लियाँ उपलब्ध करवाई जायेगी।
सिंहस्थ के लिए वन विभाग के सहयोग से साधु-संत पहले वनों में जाकर ध्वजा के लिए नीलगिरी लकड़ी का चयन करते हैं। इस बार संतों ने देवास जिले के काँटापुर परिक्षेत्र के सेमली वन समिति से लकड़ी का चयन किया है। उज्जैन आने से पूर्व स्थल पर साधु-संत ने विधि-विधान के साथ लकड़ी की पूजन की। रास्ते में पड़ने वाले गाँव के लोग भी लकड़ी की पूजा करते हैं। अनेक स्थान पर पूजा के बाद अन्ततोगत्वा यह लकड़ी वन विभाग के उज्जैन डिपो पहुँच गई है जहाँ इसकी फिनिशिंग जारी है। फिनिशिंग के दौरान लकड़ी की पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
धर्मध्वजा लकड़ी पूजा में कन्नौद विधायक श्री आशीष शर्मा भी उपस्थित थे। श्री शर्मा ने कहा कि क्षेत्र का सौभाग्य है कि सिंहस्थ धर्मध्वजा के लिए सेमली वन क्षेत्र की लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है। विभिन्न अखाड़ों के साधु संतों ने दिसंबर में ध्वजा के लिए यहाँ आकर लकड़ी का चयन किया था। धर्मध्वजा लगने के बाद ही सिंहस्थ प्रारम्भ माना जाता है।
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सुनीता दुबे |