• December 16, 2021

12 निलंबित भाजपा विधायक : महाराष्ट्र विधानसभा और राज्य सरकार को भी नोटिस—- सुप्रीम कोर्ट

12 निलंबित भाजपा विधायक : महाराष्ट्र विधानसभा और राज्य सरकार को भी नोटिस—- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के 12 निलंबित भाजपा विधायकों की याचिका पर सुनवाई की है। इन विधायकों को 1 साल के लिए निलंबित किया गया था। सभी सांसदों ने अपने निलंबन के खिलाफ याचिका दायर की थी। इन सभी पर पीठासीन अधिकारी के साथ बदसलूकी का आरोप लगा है।

जस्टिस ए एम खानविल्कर और सी टी रविकुमार की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा और राज्य सरकार को भी नोटिस भेजा है। अदालत ने इसपर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस मामले में जो मुद्दे उठाए गए हैं और याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से जो दलीलें दी गई हैं उनपर चर्चा की जा सकती है और उसपर सोच-विचार की जरुरत है। अदालत ने कहा कि इसी लिए इस मामले में हमने नोटिस भेजा है

और 11 जनवरी 2022 तक जवाब मांगा है। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार 22 दिसंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुला सकती है। यह सत्र 28 दिसंबर तक चलेगा।

एक वर्ष के लिए निलंबित किये जाने खिलाफ इन सभी भाजपा विधायकों ने याचिका दायर कर अदालत का रूख किया है। इन विधायकों ने असेंबली द्वारा इन्हें निलंबित करने के लिए पास किये गये प्रस्ताव को चुनौती दी है। इन सभी को 5 जुलाई को निलंबित किया गया था। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि इन सभी पर पीठासीन अधिकारी से गलत व्यवहार करने का आऱोप है।

जिन विधायकों को निलंबित किया गया है उनमें – संजय कुट्टे, आशीष शेलार, अभिमन्यू पवार, गिरिश महाजन, अतुल भटखालकर, पराग अल्वानी, हरीश पिम्पले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कु्चे, राम सतपुते और बंटी भंगाडिया शामिल हैं।

इन सभी विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री अनिल परब ने पेश किया था जिसे ध्वनि मत से पास किया गया था। इस कार्रवाई के बाद विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधायकों पर लगे आरोपों को झूठा और निराधार बताया था।। उन्होंने कहा था कि यह एकतरफा कार्रवाई है।

पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था ‘यह आरोप गलत हैं और यह विधानसभा में विपक्षी नेताओं की संख्या कम करने की कोशिश है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में ओबीसी कोटा को लेकर सरकार के मंसूबों को बेनकाब किया है।’ पूर्व सीएम ने कहा था कि बीजेपी के सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी से कोई गलत व्यवहार नहीं किया है।

इधर विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव ने कहा था कि शिवसेना के कुछ सदस्यों और उनपर अभद्र भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाया जा रहा है। जाधव ने कहा था कि वो इस मामले में सच्चाई सामने लाने के लिए किसी भी जांच से गुजरने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा था, ‘गलत शब्द मुझे कहे गये थे। कुछ लोग कह रहे हैं मैंने गलत भाषा का इस्तेमाल किया। सीसीटीवी फुटेज की जांच होने दीजीए और सच्चाई सामने आने दीजिए। अगर मैंने कुछ भी अपशब्द कहा हो तो मैं कोई भी सजा भुगतने के लिए तैयार हूं।’

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