• August 11, 2020

1,093 योजनाओं से 590 लाख घन मीटर जल संचयन का सृजन होगा और इससे 88,930 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई

1,093 योजनाओं से 590 लाख घन मीटर जल संचयन का सृजन होगा और इससे 88,930 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई

पटना——-:- मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लघु जल संसाधन विभाग द्वारा क्रियान्वित जल-जीवन-हरियाली अभियान अन्तर्गत 638 करोड़ रूपये लागत की 1,093 सतही सिंचाई एवं जल संचयन योजनाओं का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु जल संसाधन विभाग को जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत आज बड़ी संख्या में जल संचयन योजनाओं का उद्घाटन कराने के लिये बधाई देता हूॅ। पर्यावरण संकट के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम कभी सूखे की स्थिति, कभी बाढ़ की स्थिति, असमय वर्षापात, ओलावृष्टि, वज्रपात आदि के रूप में स्पष्ट रूप से दिखने लगा है।

उन्होंने कहा कि 13 जुलाई 2019 को पर्यावरण संकट से छुटकारा पाने के लिये सभी दलों के विधायकों, विधान पार्षदों की लगभग 8 घंटे तक चली लंबी बैठक में जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिषन मोड में चलाने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत 11 अवयवों को शामिल किया गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान का तात्पर्य है कि जल और हरियाली है, तभी जीवन सुरक्षित है। इस अभियान के लिये अगले 3 वर्षों में 24 हजार 5 सौ करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं और जरूरत हुई तो और भी राषि आवंटित की जायेगी।

उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 7 कार्यक्रम जल संरक्षण से जुड़ा हुआ है। इसके तहत सार्वजनिक पईन, आहर, तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराना एवं उसका जीर्णोद्धार कराना है। सार्वजनिक कुंओं का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। सार्वजनिक कुंओं और चापाकल के नजदीक सोख्ता का निर्माण कराया जा रहा है ताकि भूजल स्तर मेनटेन रहे। छोटी नदियों, पहाड़ी नदियों में चेक डैम का निर्माण कराया जा रहा है।

नये जलश्रोतों का सृजन किया जा रहा है। गंगा जल उद्वह योजना के अंतर्गत बरसात के दिनों में गंगा के पानी को अपलिफ्ट कर उसे संचयित किया जायेगा और उसे शुद्ध करते हुए नवादा, राजगीर और गया में पेयजल के रूप में लोगों तक पहुंचाया जायेगा। सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम शुरू किया गया है ताकि वर्षा के जल को जमीन के नीचे संरक्षित कर भूजल स्तर मेनटेन किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण क्षेत्र मात्र 9 प्रतिषत रहा। वर्ष 2012 में हरियाली मिषन की स्थापना कर 22 करोड़ पौधे लगाये गये और राज्य का हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाया गया। कल 9 अगस्त बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर 2 करोड़ 51 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन इसके विरुद्ध 3 करोड़ 47 लाख पौधे कल तक लगाये जा चुके हैं। वृक्षारोपण कार्य में जीविका दीदियां, मनरेगा, पारा मिलिट्री फोर्स, पुलिस एवं अन्य निजी संगठनों की भी इसमें सहभागिता रही है।

पर्यावरण के संरक्षण के लिये हमलोग प्रतिबद्ध हैं। हरित आवारण को बढ़ाने के लिये हमलोग लगातार काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संकट के कारण ही फरवरी, मार्च, अप्रैल माह में भी अधिक वर्षापात की स्थिति बनी, जिससे किसानों की फसल को काफी नुकसान हुआ। किसानों को राहत देने के लिये उन्हें अनुदान राषि दी गई। अभी बिहार के 16 जिले के 74 लाख 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं उन्हें भी राहत देने के लिये सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आहर, तालाब, पईन, पोखर को अतिक्रण मुक्त कराने के दौरान उनके आसपास के गरीब लोगों को आवासित करने के लिये 60 हजार रुपये जमीन खरीदने हेतु तथा मकान बनाने के लिये 1 लाख 20 हजार रुपये की राषि दी जा रही है। 20 जुलाई 2020 तक 26,263 चिंहित तालाबों, आहर, पईन, पोखरों में से 17,864 को अतिक्रमण मुक्त कराया जा चुका है।

लघु जल संसाधन विभाग द्वारा 1,783 योजनाओं को जीर्णोद्धार के लिये स्वीकृत किया गया, जिसमें से 1,659 का कार्य प्रारंभ हो चुका है और 1,093 का कार्य पूर्ण हो चुका है। उन्होंने कहा कि इसमें 708 तालाब, 366 आहर, पईन, 18 चेकडैम और एक उद्वह सिंचाई योजना शामिल है। उन्होंने कहा कि आज के इस उद्घाटन कार्यक्रम से 590 लाख घन मीटर जल संचयन का सृजन होगा और इससे 88,930 हेक्टेयर सिंचाई कार्य हो सकेगा।

शेष 566 योजनाओं का कार्य जारी है और जल्द ही पूर्ण कर लिया जायेगा। वर्ष के शुरुआती माह में वर्षा की स्थिति बने रहना, कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन की स्थिति में भी कार्य बाधित हुआ है लेकिन माॅनसून के बाद शेष बचे कार्य पूर्ण कर लिये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि अब 5 एकड़ से ऊपर के तालाब का निर्माण लघु जल संसाधन विभाग द्वारा और 5 एकड तक के तालाब का निर्माण कार्य ग्रामीण विकास विभाग के तहत मनरेगा के द्वारा किया जायेगा। अब तक 6,162 कुंओं के पास सोख्ता का निर्माण तथा 1 लाख 31 हजार 517 चापाकलों के पास सोख्ता का निर्माण कराया गया है, यह मामूली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा के द्वारा किये गये निर्माण कार्यों की भी एक सूची प्रकाषित कर लोगों को जानकारी दे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम के अनुकूल फसल चक्र राज्य के 9 जिलों में शुरू किये गये हैं, जो सभी जिलों में लागू किये जा रहे हैं। फसल अवषेष प्रबंधन के लिये भी लोगों को जागरुक किया जा रहा है। कंबाइन्ड हार्वेस्टर के प्रयोग किसानों को न करने की सलाह दी जा रही है साथ ही उसके बदले चार प्रकार के कृषि यंत्रों को उपयोग में लाने के लिये सरकार 75 प्रतिषत की सब्सिडी किसानों को दे रही है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग को यह सब्सिडी 80 प्रतिषत दी जा रही है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये सरकारी भवनों में सोलर प्लेट लगाये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सड़क, षिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई अन्य विकास कार्य किये गये। समाज सुधार के भी कार्य किये गये हैं। बाल-विवाह एव दहेज प्रथा के खिलाफ भी अभियान चलाये गये हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिये जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत लोगों को निरंतर जागरूक करना भी एक प्रमुख अवयव है। 20 जनवरी 2020 को पर्यावरण के पक्ष में जागरुकता प्रदर्षित करने के लिये 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने 18 हजार किलोमीटर से अधिक की लंबी मानव श्रृंखला बनाई। हमलोग काम में विष्वास करते हैं, प्रचार में नहीं।

लड़कियों के लिये साइकिल योजना लागू की, महिलाओं को पंचायती राज एवं नगर निकाय चुनाव में 50 प्रतिषत का आरक्षण दिया, अच्छी सड़कें बनीं, अन्य कई बेहतर कार्य हुए, उनका प्रचार नहीं हुआ लेकिन जब कार्य दिखने लगा तो दूसरे राज्य के लोग उसे अपनाने लगे और लोग स्वतः उसकी प्रषंसा करने लगे। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हरित आवरण को बढ़ाने के लिये न सिर्फ वृक्षारोपण किया जा रहा है बल्कि पौधों का संरक्षण भी किया जा रहा है।

पहाड़ों पर भी वृक्ष लगाये गये हैं। बापू ने कहा था- पृथ्वी लोगों की जरूरत पूरा करने में सक्षम है, लालच को नहीं। हरियाली और जल का संरक्षण जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखा जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले से ही पुराने मगध में परम्परागत जल श्रोत उपलब्ध थे, जिससे सिंचाई की जाती थी। आज 4 जिलों के तालाबों के जीर्णोंद्धार कार्य को दिखाया गया है इससे लोग काफी खुष हैं और उस क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग एवं सभी जिलाधिकारी 7 निष्चय के कार्यों के साथ-साथ जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत किये गये कार्यों का दस्तावेजीकरण करें तथा लोगों को जागरूक करने के लिये इसे प्रसारित करंे। साथ ही इसके संरक्षण के लिये भी लोगों को प्रेरित करे। लघु जल संसाधन विभाग जीर्णोद्धार किये गये तालाब, आहर, पईन, पोखरों को संरक्षित एवं मेंटेनेंस करने के लिये कार्य करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुषी है कि कल वृक्षारोपण कर हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने का कार्यक्रम हुआ और आज जल संचयन हेतु योजनाओं का उद्घाटन हुआ है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना आवष्यक है। पर्यावरण के प्रति सजगता से लोगों का मन मजबूत होगा, आत्मबल बढ़ेगा और कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मुक्ति मिलेगी।

कार्यक्रम के दौरान लघु जल संसाधन विभाग के योजनाओं पर केंद्रित लघु फिल्म दिखाई गई। सहरसा जिला के सत्तर कटइया प्रखण्ड के मत्स्यगंधा झील, नवादा जिला के वारसलीगंज प्रखंड के अवसर पोखर, औरंगाबाद के रफीगंज प्रखंड के चित्रषाली चेक डैम तथा जहानाबाद जिला के काको प्रखंड के अमरथुआ आहर, पईन का जिलाधिकारियों ने पुनरूद्धार कार्य को दिखाया और वहां उपस्थित लोगों ने इसे लेकर खुषी जाहिर की।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुषील कुमार मोदी, लघु जल संसाधन मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव, अपर मुख्य सचिव लघु जल संसाधन श्री अमृत लाल मीणा ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग श्री अरविंद कुमार चैधरी अन्य जनप्रतिनिधिगण, सभी जिलाधिकारी तथा लघु जल संसाधन विभाग के वरीय पदाधिकारीगण एवं अभियंतागण जुड़े थे।

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