- July 9, 2019
1072 प्रस्तावों में से एनपीआईयू द्वारा फोकस स्टेट के 61 शिक्षण संस्थानों के 396 अनुसंधान प्रस्तावों का चयन
चण्डीगढ़—— देश में तकनीकी संस्थानों में अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन इकाई (एनपीआईयू-एमएचआरडी) ने तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) के तीसरे चरण, जो कि विश्व बैंक सहायतार्थ परियोजना है, के अंतर्गत फोकस स्टेट (शिक्षा के क्षेत्र में अविकसित राज्यों) के तकनीकी शिक्षण संस्थानों के 61 अनुसंधान प्रस्तावों को 47.55 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है।
यह अनुदान सहयोगात्मक अनुसंधान योजना के अंतर्गत प्रदान किया गया है।
जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य का यह विश्वविद्यालय टीईक्यूआईपी के तीसरे चरण के अंतर्गत प्रतिभागी संस्थान है।
उन्होंने बताया कि ये प्रस्ताव अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् से स्वीकृत टीईक्यूआईपी अनुदान प्राप्त संस्थानों में कार्यरत संकाय सदस्यों से आमंत्रित किये गये थे।
कुल प्राप्त 1072 प्रस्तावों में से एनपीआईयू द्वारा फोकस स्टेट के 61 शिक्षण संस्थानों के 396 अनुसंधान प्रस्तावों का चयन सहयोगात्मक अनुसंधान योजना के अंतर्गत अनुदान के लिए किया है।
सहयोगात्मक अनुसंधान योजना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न टीईक्यूआईपी संस्थानों में भर्ती किए गए टीईक्यूआईपी संकायों के लिए अनुसंधान अनुदान प्रदान करना है ताकि इस संस्थानों में अनुसंधान संस्कृति विकसित हो सके।
टीईक्यूआईपी संकायों, नियमित रूप से परियोजना संस्थानों तथा देश के प्रीमियर शिक्षण संस्थानों में कार्यरत नियमित संकायों में परस्पर नवाचार और अनुसंधान को लेकर सहयोग को बढ़ावा मिल सके।
प्रवक्ता ने बताया कि सहयोगात्मक अनुसंधान योजना के अंतर्गत अनुदान अनुसंधान क्षेत्रों जैसे ऊर्जा, नैनो टेक्नोलॉजी हार्डवेयर, पर्यावरण, एडवांस मेटिरियल, जल संसाधन, विनिर्माण, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और स्थायी आवास शामिल हैं। ये अनुसंधान परियोजनाएं फोकस राज्य के शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में योगदान देंगी। साथ ही, ये अनुसंधान स्थानीय समस्याओं के समाधान में भी सहायक होगा।
उन्होंने बताया कि तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर करने और तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा अविकसित राज्यों के अंतर्गत पडऩे वाले इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ले रहे एक लाख से अधिक इंजीनियरिंग छात्रों को पढ़ाने के लिए आईआईटी और एनआईटी जैसे प्रीमियर संस्थानों से उच्च शिक्षा प्राप्त 1700 से अधिक स्नातकों को भर्ती किया था।