• December 20, 2020

1000 ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी के ताम्र धातु के टुकड़े और टेराकोटा की मूर्तियां

1000 ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी के ताम्र धातु के टुकड़े और टेराकोटा की मूर्तियां

पटना — मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भागलपुर पहुँच कर उत्खनन के दौरान मिले प्राचीन सभ्यता के अवशेषों का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने स्टॉल पर सजा कर रखे पुरातात्विक महत्व के प्राचीन अवशेषों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को इन्हें सहेजने के निर्देश दिये।

भागलपुर के विभिन्न क्षेत्रों में उत्खनन के दौरान लगातार प्राचीन अवशेष मिल रहे हैं। इस क्रम में पिछले दिनों बिहपुर प्रखण्ड की जयरामपुर पंचायत के गुवारीडीह में 25 फीट ऊंचे टीले से प्राचीनतम अवशेष मिले थे, जिसको देखने मुख्यमंत्री भागलपुर पहुंचे। पिछले दिनों यहां से 1000 ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी के बर्तन के टुकड़े, ताम्र धातु के टुकड़े, गोपन गुल्ला, सिल्ला लोढी, हैंडल युक्त बर्तन, चौड़े आकार की टेराकोटा की मूर्तियां आदि मिली थीं। सीएम के आगमन पर स्टॉल लगाकर इन चीजों को प्रदर्शित किया गया था।

शाहकुंड में यक्ष की मूर्ति

मुख्यमंत्री को भागलपुर जिले के शाहकुंड प्रखंड की खुदाई में मिली साढ़े छह फीट ऊंची चर्चित मूर्ति के बारे में भी बताया जाएगा। 12 दिसंबर को यह मूर्ति मिली थी। इस मूर्ति को कुछ इतिहासकार यक्ष की मूर्ति तो कुछ लकुलीश की मानते हैं। लकुलीश, शिव के अवतार माने जाते हैं। यह मूर्ति कुछ दिनों पहले खेरही कस्बा के मिश्रा टोला में मोतीलाल मिश्रा की जमीन पर नाले की खुदाई के समय तब मिली थी, जब मजदूर की कुदाल एक पत्थर से टकराई। इसके बाद लोगों ने काफी हिफाजत के साथ खुदाई की और इसके बाद ढ़ाई फीट नीचे से इसे निकाला गया।

मूर्ति के गले में कंठहार, सिर पर योद्धाओं के द्वारा धारण किये जाने वाले शिरस्त्राण और कमर में मेखला है। गठीले शरीर वाली इस मूर्ति में लिंग प्रदर्शित है, जो तंत्रयान का प्रभाव लिए हुए है। यहां मूर्ति के साथ पकी हुई मिट्टी के चिलम का हिस्सा भी मिला है। इस मूर्ति को बिहार म्यूजियम लाने की कवायद चल रही है।

यक्षिणी की मूर्ति

बिहार म्यूजियम में अब तक पटना म्यूजियम से लाई हुई मूर्तियां ही सजी हैं। एक मूर्ति तेल्हाड़ा में मिली थी, जो अवलोतिकेश्वर की सोई हुई मुद्रा में है। उसे सीधे बिहार म्यूजियम लाया गया था। अब बिहार म्यूजियम में भागलपुर से मिली मूर्ति भी लाई जाएगी।

यक्ष या लकुलीश की मूर्ति बिहार म्यूजियम को और ज्यादा समृद्ध करेगी। अभी बिहार म्यूजियम की सबसे चर्चित मूर्ति यक्षिणी की है। बिहार म्यूजियम में रखी हुई यक्षिणी की ऐतिहासिक मूर्ति 18 अक्टूबर1917 को मिली थी। उसी साल पटना म्यूजियम की स्थापना भी हुई थी।

यह मूर्ति दीदारगंज में मिली थी। गंगा किनारे जमीन से उभरे चौकोर पत्थर पर लोग कपड़ा धोते थे। धोबिन जब कपड़ा धो रही थी तो एक सांप को पत्थर के पास एक बिल में घुसते हुए देखा। सांप को मारने के लिए लोगों ने पत्थर के आसपास की मिट्टी हटाई तो एक आदमकद मूर्ति मिली। यह मूर्ति यक्षिणी की थी। इसकी पॉलिश शानदार है।

बिहपुर से मिले प्राचीनतम अवशेष

नीतीश कुमार ने बिहार म्यूजियम का स्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर का रखने का निर्देश दे रखा है। बड़ी राशि भी इसमें खर्च हुई है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बिहार के महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहरों को यहां रखा जाए। शाहकुंड की मूर्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस चर्चित मूर्ति को फिलहाल भागलपुर के म्यूजियम में रखा जरूर गया है, लेकिन विभागीय कार्यवाही के बाद उसे बिहार म्यूजियम लाया जाएगा। इस तरह की मूर्ति बहुत कम मिली हैं। भागलपुर के बिहपुर से मिले प्राचीनतम अवशेषों को भी पटना लाया जा सकता है।
बांका में भी मिले हैं प्राचीन अवशेष

बांका जिले के अमरपुर के भदरिया गांव में भी छठ पर्व के मौके पर घाट बनाए जाने के क्रम में चानन नदी में भवनों के अवशेष मिले थे। बताया जाता है कि चानन नदी की 333.67 डिसमिल जमीन में अवशेष मिले हैं, जिसकी सीमा खुदाई के बाद और अधिक बढ़ने की भी संभावना व्यक्त की गई है। मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद महत्व के हिसाब से इन अवशेषों को पटना या स्थानीय संग्रहालय में सहेजा जाएगा।

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