10 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को एक करोड़ की राशि बोनस

10 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को  एक करोड़ की राशि बोनस

127 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का भूमि-पूजन और लोकार्पण

भोपाल ———–राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह एक सच्चाई है कि गरीबों, श्रमिकों और पिछड़ों के कल्याण के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता है। इसी प्रकार तेंदूपत्ता संग्रहण करने का काम भी कुशलता का काम है।
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तेंदूपत्ता संग्राहक और उनके परिवार इस कार्य को अपने पारंपरिक ज्ञान से ही अच्छी तरह पूरा कर पाते हैं। इस कार्य से उनकी आजीविका चलने के साथ वनों का विनाश भी रुका है। राष्ट्रपति श्री कोविंद आज गुना जिले के सुदूर अंचल बमोरी में असंगठित मजदूर एवं तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने ग्राम बमोरी में 127 करोड़ की लागत के विकास एवं निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया। राष्ट्रपति ने 10 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस के रूप में एक करोड़ रुपये की राशि प्रदाय की।

राष्ट्रपति ने कहा कि वनों का संरक्षण और वनों से प्राप्त होने वाली उपज का सदुपयोग करके ही हम आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रख सकते हैं। वनों को आदिवासी एवं वनवासी से बेहतर कोई नहीं जान सकता है, जंगल ही उनका रक्षक और पालक है। वे दोनों एक-दूसरे की रक्षा करते है। ऐसे में तेंदूपत्ता संग्राहकों के कल्याण की जिम्मेदारी समाज और राज्य सरकार की है।

बाँस से बनने वाले उत्पादों के लिए मिशन मोड योजना

राष्ट्रपति ने कहा कि यह खुशी की बात है कि मध्यप्रदेश में लघु वनोपज संघ द्वारा मुख्यमंत्री तेंदूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना शुरू की गई है। संघ के माध्यम से संग्राहकों के बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य छात्रवृत्ति योजना में छात्रवृत्ति दी जा रही है।

श्री कोविंद ने कहा कि वनोपज का उचित मूल्य प्राप्त हो, आजीविका के लिए वनों पर आश्रित लोगों के जीवन में सुधार हो, इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा 24 लघु वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना लागू की गई है।

योजना से वनवासी भाई-बहनों को वनोपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा, वहीं बाँस और उससे बनने वाले उत्पादों के संबंध में भी भारत सरकार ने मिशन मोड योजना शुरू की है। लघु वनोपज संघ द्वारा भी लघु वनोपज पर आधारित प्र-संस्करण केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि भारत में श्रम क्षेत्र में असंगठित क्षेत्रों का हिस्सा 80 प्रतिशत से अधिक है। इसमें मुख्य रूप से ज्यादातर श्रमिक कृषि एवं निर्माण क्षेत्रों से जुड़े़ हुए हैं। असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की भारी जरूरत है। उनके बीमार होने, अपंग हो जाने पर या वृद्धावस्था में किसी प्रकार की परेशानी खड़ी न हो, इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता बनाई जा रही है।

उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार पहले से ही इस दिशा में कार्य कर रही है। प्रदेश में लघु और कुटीर उद्योगों पर राज्य सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। इसी का परिणाम है कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश में लघु उद्योग इकाइयों के माध्यम से लगभग 6 लाख लोगों को रोजगार मिला है।

उन्होंने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं से श्रमिकों के जीवन-स्तर में आए सुधार का उल्लेख भी किया।

मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य जहाँ गरीब बच्चों की फीस राज्य सरकार भरेगी

राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने गरीबों के कल्याण एवं उत्थान के लिए ऐसी कई योजनाएँ संचालित की है, जिसका लाभ जरूरतमंदों तक पहुँच रहा है।

उन्होंने सभी वर्गों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्री-मण्डल को बधाई दी। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि गरीबी से मुक्त होने का एक ही मंत्र है, शिक्षा। इसलिए वे अपने बच्चों को पढ़ने के लिये अवश्य भेजें।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में जो लोग ऊँचे स्थानों पर पहुँचे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में ऊँचाइयाँ प्राप्त की है, वे सभी लोग गरीब एवं मजदूर परिवार से है। वे सब अपनी मेहनत से ही इस मुकाम तक पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा के लिये फीस भरने की जवाबदारी मध्यप्रदेश सरकार ने ली है, इस प्रकार की योजना देश के किसी अन्य राज्य में संचालित नहीं है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र की श्रमिक प्रसूता महिलाओं के खातों में प्रसव बाद 12 हजार की राशि जमा कराई जा रही है। इसी योजना की तर्ज पर केन्द्र सरकार द्वारा प्रसूताओं के खाते में 6 हजार रूपए की राशि दी जा रही है।

मध्यप्रदेश सरकार गरीब, किसान, मजदूर को केन्द्र में रखकर कार्य कर रही है

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गुना जिले के सुदूर अंचल में पहली बार देश के राष्ट्रपति श्री कोविंद ने आकर इतिहास रचा है। साथ ही देश की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद भी साथ है। उन्होंने कहा कि आज का दिन गुना जिले के लिए एक अदभुत दिवस है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में सभी वर्गों के साथ किसानों एवं मजदूरों के लिए भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और पं. दीनदयाल उपाध्याय की सोच थी, कि जो व्यक्ति समाज की अंतिम पंक्ति पर खड़ा है उसका कल्याण सबसे पहले हो। इसी दिशा में राज्य सरकार कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में रहने वाले प्रत्येक गरीब आवासहीन परिवार को भूखण्ड दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश में कानून बनाया गया है। प्रधानमंत्री आवास एवं मुख्यमंत्री आवास योजना में आने वाले 4 वर्षों के अंदर सभी आवासहीन परिवारों को पक्के आवास दिए जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चल रही जन-कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य सरकार का मकसद गरीबों की जिन्दगी को बदलना है। गरीबों के कल्याण के लिए सर्वाधिक योजनाएँ संचालित करने वाला मध्यप्रदेश देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का एकमात्र राज्य है।

उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते-चप्पल, महिलाओं को साड़ी, ठण्डा पानी पीने के लिए कुप्पी प्रदाय की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी वर्गों के गरीब छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल, आई.आई.टी आदि पाठ्यक्रमों में लगने वाली फीस की राशि राज्य सरकार भरेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा की श्रमिक परिवार की ऐसी गर्भवती महिलाओं को 6 माह से 9 माह तक चार हजार रूपये एवं प्रसव के बाद पौष्टिक आहार के लिये 12 हजार रूपये की राशि महिलाओं के खाते में जमा कराई जा रही है। प्रदेश में इस वर्ष लगभग 17 करोड़ की राशि महिलाओं के खाते में जमा कराई जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे मजदूर, जिसकी आयु साठ वर्ष से कम है, की मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये और दुर्घटना से मृत्यु होने पर 4 लाख की राशि परिवार को देने की व्यवस्था की है।

सम्मेलन में राष्ट्रपति की धर्मपत्नि श्रीमती सविता कोविंद, उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया, मध्यप्रदेश लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष श्री महेश कोरी, म.प्र. असंगठित कर्मकार मण्डल के अध्यक्ष श्री सुलतान सिंह शेखावत और विधायक श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया भी मौजूद थे।

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