• March 23, 2022

10 अक्टूबर, 2013 को एएफटी द्वारा पारित आदेश खारिज

10 अक्टूबर, 2013 को एएफटी द्वारा पारित आदेश खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एक कथित राशन घोटाले में आपूर्ति और परिवहन महानिदेशक के रूप में काम करने वाले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एसके साहनी की दोषसिद्धि और बर्खास्तगी को बुधवार को रद्द कर दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण(एएफटी) और जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) द्वारा पारित आदेश कानूनन टिकाऊ नहीं हैं।
शीर्ष अदालत ने साहनी को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता सभी पेंशन और परिणामी लाभों का हकदार होंगे। केंद्र सरकार ने एएफटी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। एएफटी ने साहनी पर लगाए गए तीन साल के कठोर कारावास को कम कर दिया था और नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।

पीठ ने 18 फरवरी, 2011 को जीसीएम द्वारा साहनी को दोषी ठहराते हुए और उस पर जुर्माना लगाने के आदेश को रद्द कर दिया और 10 अक्टूबर, 2013 को एएफटी द्वारा पारित आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का निर्देश दिया गया था।

अप्रैल 2005 में प्राप्त एक शिकायत के आधार पर साहनी के खिलाफ जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पश्चिमी कमान के निर्देश के तहत एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया गया था। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी को आरोपों की जांच करने का काम सौंपा गया था।

आरोप था कि ‘काबुली चना’, पिसा हुआ जौ, चना की खरीद और 979 मीट्रिक टन मसूर साबुत आदि की निविदा और खरीद में अनियमितता हुई थी। साहनी सितंबर 2006 में सेवानिवृत्त हुए थे।

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