• January 4, 2021

10 वीं के छात्र शुभम कुमार ड्रोन का ‘द्रोण’- 18 ड्रोन —छह सौ मीटर से एक किलोमीटर तक उड़ान

10 वीं के छात्र शुभम कुमार ड्रोन का ‘द्रोण’- 18 ड्रोन —छह सौ मीटर से एक किलोमीटर तक उड़ान

पूर्णिया में शुरू होने वाली है ड्रोन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई
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पूर्णिया — दसवीं का छात्र छोटी उम्र में वह ड्रोन बनाने में पारंगत हासिल कर चुका है। ड्रोन का ‘द्रोण’ अब तक वह 18 ड्रोन बना चुका है। वह ढाई सौ ग्राम से तीन किलोग्राम तक के ड्रोन को हवा में उड़ा चुका है। एक ड्रोन बनाने पर वह कम से कम तीस हजार से अधिक से अधिक दो लाख रुपये तक खर्च कर चुका है। यह छह सौ मीटर से एक किलोमीटर तक उड़ान भरता है।

छह वर्षों से रिसर्च कर रहे पूर्णिया के छात्र शुभम कुमार की ड्रोन के माध्यम से किसान और जवान (भारतीय सेना) की मदद करना चाहता है। वह कहते हैं कि भारतीय सेना के लिए वह भारतीय ड्रोन का निर्माण करना चाहते हैं। पहाड़ी इलाके में ड्रोन के माध्यम से सैनिकों को साजोसामान पहुंचाने की हसरत उन्होंने संजो रखी है। उनका कहना है कि मजदूरों की किल्लत होती है। ड्रोन किसानों के भी काम आ सकता है। ड्रोन के माध्यम से किसान फसलों में दवा का छिड़काव कर रहे हैं। फसलों को पक्षी बर्बाद करते हैं, ड्रोन से इसकी भी रक्षा हो सकती है। घर, अपार्टमेंट, मॉल की सुरक्षा में भी ड्रोन अहम हो सकता है।

महज दस वर्ष की उम्र में विकास नगर निवासी शुभम कुमार ने ड्रोन बनाने की शुरूआत की। मां-बाप ने बहुत कहा यह पढ़ने की उम्र है, मगर शुभम को कुछ नया करने का जुनून था। कुछ गलती हुई। क्रैश भी हुआ। मगर एक दिन ड्रोन ने उड़ान भर ली। देखते ही देखते 18 अलग-अलग रंग-रूप, वजन के ड्रोन को वह बना चुका है।

उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि दसवीं के छात्र शुभम के द्वारा बनाया गया ड्रोन पॉलिटेक्निक कॉलेज के स्टूडेंट के काम आया। पॉलिटेक्निक के स्टूडेंट अब इस ड्रोन से रिसर्च करने की सोच रहे हैं। शुभम कुमार कहते हैं कि भविष्य में ड्रोन की काफी मांग होगी। कुछ दशक बाद ड्रोन का इस्तेमाल विदेश ही नहीं अपने देश में भी तेजी से होगा। घर, बाहर, दफ्तर, खेत-खलिहान हर ओर ड्रोन का प्रयोग किया जाएगा।

ड्रोन बनाकर बेचेंगे, वेबसाइट करेंगे लांच
शुभम कहते हैं कि वह ड्रोन बनाकर बेचना चाहते हैं। इसके लिए वह वेबसाइट लांच करेंगे। अभी दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में ही ड्रोन मिलता है। अभी बाजार में चाइनीज ड्रोन है। वह भारतीय ड्रोन बनाकर बेचना चाहता है।

अभी चीन पर आश्रित है भारत

ड्रोन बनाने के लिए अभी भारत चीन पर आश्रित है। शुभम के मुताबिक उन्होंने खुद ड्रोन बनाने के लिए चीन से लीथियम पॉलीमर बैटरी मंगाया था। यहां यह उपलब्ध नहीं है। ड्रोन बनाने के लिए बैटरी, मोटर की जरूरत होती है।

पूर्णिया में शुरू होने वाली है ड्रोन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई

पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल बिमलेश कुमार के मुताबिक पूर्णिया पॉलिटेक्निक कॉलेज में ड्रोन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई जल्द शुरू होने वाली है। ड्रोन से पढ़ाई की जल्द शुरूआत होगी। इसको लेकर यह लेब भी बनेगा। शिक्षक भी रखे जाएंगे। इस संबंध में विभाग के साथ बैठकें भी होने वाली है। कॉलेज को बजट भी मिलेगा।

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