हृदय रोग से पीड़ित 15 वर्ष की छात्रा कुमारी लक्ष्मी राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम चिरायु योजना के कारण नया जीवनदान

हृदय रोग से पीड़ित 15 वर्ष की छात्रा कुमारी लक्ष्मी राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम चिरायु योजना के कारण नया जीवनदान

रायपुर———नारायणपुर जिले के अतिसंवेदनशील और धुर नक्सल प्रभावित विकासखण्ड ओरछा (अबूझमाड़) के अन्दरूनी ग्राम पंचायत आदेर कन्या आश्रम चालचेर में कक्षा पांचवी में पढ़ने वाली तथा हृदय रोग से पीड़ित 15 वर्ष की छात्रा कुमारी लक्ष्मी राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम चिरायु योजना के कारण नया जीवनदान मिला और उसके जीने की राह आसान हुई है।

यह काम मुश्किल था, पर सिलसिलेवार प्रयासों और संवेदनशील दृष्टिकोण के जरिए इसे पूरा किया गया। ओरछा विकासखंड की चिरायु स्वास्थ्य टीम की पहल पर पिछले माह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल की टीम ने यहां के चालचेर के कन्या आश्रम के बच्चों को स्वास्थ्य परीक्षण किया था। इस टीम को प्रारंभिक जांच में कु. लक्ष्मी गोटा में हृदय रोग के लक्षण नजर आये ।

कु. लक्ष्मी गोटा पिता श्री पुसूराम गोटा को राजधानी के निजी अस्पताल में लाकर उसका स्क्र्रीनिंग परीक्षण किया गया, जिसमें पूरी तरह सुनिश्चित हुआ कि उसे हृदय रोग है। अस्पताल द्वारा जरूरी प्रकिया अपनाते हुए प्रकरण को राज्य शासन की ओर सक्षम स्वीकृति के लिए भेजा गया। सरकार द्वारा इसे पूरी गंभीरता से लिया और कु. लक्ष्मी के हृदय रोग के आपरेशन और जरूरी प्रभावी उपचार की तत्काल स्वीकृति प्रदान की गयी।

योजना के तहत लगभग 1.50 लाख रूपए खर्च का वहन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया गया है। राज्य सरकार की त्वरित कार्रवाई पर लक्ष्मी गोटा के हृदय रोग का सफल आपरेशन रायपुर के निजी बालाजी अस्पताल में हुआ। लक्ष्मी अब पूरी तरह स्वस्थ है। उसने और उसकी परिवार की सदस्यों ने त्वरित कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की कोटि-कोटि धन्यवाद दिया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत् बाल स्वास्थ्य जांच और जल्द उपचार सेवाओं का उद्देश्य बच्चों में विभिन्न परेशानियों न्यूरल ट्यूब दोष, होंठ एवं तालू की विकृति, पैर की विकृति, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बधिरता, जन्मजात हृदय रोग, दांत, श्वसन संबंधी आदि रोगों की जल्द पहचान कर उसका उपचार करना है।

कार्यक्रम के तहत कक्षा एक से 12 वीं तक में अध्यनरत 18 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले 0-6 वर्ष के आयु समूह के सभी बच्चों को इसमें शामिल किया गया है।

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