- June 24, 2023
हिन्दी से हिंग्लिश का सफर – सत्यजीत कुमार द्विवेदी
मैं मानता हूं कि भारत विविधताओं और अनेकता में एकता की कसौटी पर खरा उतरता है। लेकिन हम कई अन्य देशों को देखे जहां पर एक राष्ट्र एक भाषा को परिमार्जित होते हुए देखा जाता है, जबकि वहां भी कई भाषाएं और बोलियां विद्यमान है। साथ ही वो देश अपनी भाषा के साथ कोई समझौता नहीं करते जैसे इजरायल, जापान, चीन, स्वीडन, रूस आदि। वहीं आप अपने देश को देखिए जिसमे संवैधानिक तौर पर 22 भाषाओं की मान्यता तो दी लेकिन किसी एक भाषा विशेषकर हिन्दी जो सबसे ज्यादा बोले जानी वाली देशी भाषा है उसको आज तक हम राष्ट्रीय भाषा के तौर पर स्थापित नही कर पाएं। इसके पीछे यही तर्क दिया जाता है कि इससे क्षेत्रीय असंतुलन का खतरा है। यही कारण है कि हमारी हिन्दी देखते ही देखते एक संपर्क भाषा के तौर पर विकसित करने के चक्कर में हिन्दी से हिंग्लिश बना बैठे। यानी हम अपनी हिन्दी के वैश्वीकरण के चक्कर में अपनी ही भाषा के साथ खिलवाड़ कर बैठे।
हिन्दी भाषा विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक है, जो विश्व में तीसरी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा हिन्दी और उसकी बोलियां विश्व के अन्य देशों में भी बोली पढ़ी व लिखी जाती हैं। अमेरिका, मारीशस, नेपाल, गयाना, फिजी और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी भाषी लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है। भारत की जनगणना 2011 के अनुसार 57% जनसंख्या हिन्दी जानती है, यानी जिस देश की आधी से अधिक जनसंख्या हिन्दी जानती और बोलती हो उस भाषा का वैश्वीकारण शायद समझ में नहीं आया क्योंकि न तो हिन्दी का सही संरक्षण ही कर पाए और न ही उसे अंतराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी के आस पास ही पहुंचा पाए। इसके लिए हिन्दी भाषी भी कम दोषी नहीं है, क्योंकि आप खुद सोचिए की हम और आप कितनी बार हिन्दी बोलते समय अंग्रेजी के कुछ प्रचलित शब्दों का बार बार प्रयोग करते है। जैसे- टाइम, पार्टी, क्लास, बर्थ/सीट, क्लास रूम, प्रैक्टिस, ड्राइवर, कोल्ड ड्रिंक, लाइट, एरिया, ट्रेन, बस, पेपर, लेट, वाइफ, एक्सरसाइज, एक्सीडेंट, हॉस्पिटल, सुगर, एप्लीकेशन, लेटर, लिस्ट, शॉपिंग, हसबैंड, बुक, टेबल, चेयर, प्रॉब्लम, यूज, बाइक, बाथरूम, किचन, बेडरूम, रोड, गिफ्ट, पेन, लगेज, लॉस, एडवांस, पॉकेट, बैग, शर्ट, पैंट, वॉकिंग, वर्क बुक, मॉड्यूल, राइटिंग, सोशल, नेटवर्किंग, प्राइमरी, प्रमोशन, चैट, गैप, लर्निंग, सोशल डिस्टेंसिंग, डाइट, वेलकम, थैंक यू आदि प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाले प्रचलित शब्द है। इन शब्दों को हम घर में, नियमित बोलचाल में, भाषण/ व्याख्यान में, प्रशिक्षण में, शिक्षण में और जाने कहां-कहां तक प्रसारित करते हैं, यानी हम अपने वाग्य यंत्र को कम दुख पहुंचाए, को ध्यान में रखकर हिंग्लिश का अनुसरण बोलने के लिए करते है, जो हमारे भाषा के साथ खिलवाड़ हैं। आप तमिल भाषा को ही ले लें जो अतिप्राचीन भाषा है, लेकिन इसको बोलने वालो ने कभी भी भाषिक मिश्रण बनाने का प्रयास नहीं किया।
एक बार हिन्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ जानकारी कर लेनी चाहिए। हिन्दी भाषा की उत्पत्ति मूल रूप से शौरसेनी अपभ्रंश से हुई है । वैसे तो हिन्दी भाषा की आदी जननी संस्कृत मानी जाती है। हिंदी संस्कृत, पाली, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश / अवहट्ट से गुजरती हुई हिंदी का रूप ले लेती है। हिन्दी भाषा को पाँच उपभाषाओं में बाटा गया है, जिसके अंतर्गत हिंदी की सत्रह बोलियां आती हैं । हिन्दी भाषा के विकास को जानने से पहले हम यह भी देख लेते हैं कि हिंदी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?, हिन्दी शब्द की उत्पत्ति सिंधु शब्द से हुई है सिंधु का तात्पर्य सिंधु नदी से है । जब ईरानी उत्तर पश्चिम से होते हुए भारत आए तब उन्होंने सिंधु नदी के आसपास रहने वाले लोगों को हिन्दी कहा।