“हिन्दी के विशाल मंदिर की वीणापाणी, स्फूर्ति-घेतना रचना की प्रतिभा कल्याणी”

“हिन्दी के विशाल मंदिर की वीणापाणी,  स्फूर्ति-घेतना रचना की प्रतिभा कल्याणी”

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” ————– कवि शिरोमणि निराला ने कभी महादेवी वर्मा कवयित्री के व्यक्तित्व को उक्त पंक्तियों से समझने की कोशिश की थी। एक जापानी कवि नागूची ने कहा था कि- “महादेवी प्रयाग की गंगा है।” आधुनिक हिन्दी साहित्य की जिन छह महान विभूतियों ने निर्विवाद रूप में अमरता प्राप्त कर ली हैउनमें महादेवी का स्थान विशिष्ट है। अन्य पांच विभूतियां हैं- भारतेंदूमैथिलीशरणजयशंकर प्रसादनिराला और सुमित्रा नंदन पंत। महादेवी में छायावादी कविता को एक गति वेग दियाउसकी श्रृंगार-भावना को सौम्य और सौदर्य चेतना को सूक्ष्म बनायाकविता को अपनी सहसानुभुति संपन्न चित्रकला से एक अपूर्व रंजकता प्रदान की और हमें संस्कृत की समृ संस्कृति से अनुप्राणित कर एक समर्थ गद्य शैली दी।

एक छावावादी कवयित्री के रूप में भी महादेवी वर्मा की अपनी मौलिकता है। उन्होंने दीपकबादलवीणा

इत्यादि के बिंबों में सुनिश्चित अर्थ बता भरकर छायावादी कविता को एक प्रतीक पद्धति दी। तथा छायावादी वेदना-संसार को रहस्यवादी संकेतों से उदात्त बनाया। लेखनी के साथ तूलिका  पर भी अधिकार रखने के कारण उन्होंने चित्रोपन बिंबों की एक अभिनव योजना से छायावादी काव्य संसार को रंगरूप मय बना दिया। कितना विशालकितना मूर्तकितना क्रियाशील और कितना रंग-बोधमय है यह बिंब।

अवनि अंबर की रुपहली सीप में तरल मोती सा जलधि जब कांपता तैरते घन मृदुल हिम के पुंज से ज्योत्सना के रजत पारावार में”  कवयित्री और चित्रकर्ती के दुर्लभ संयोग ने महादेवी वर्मा को आधुनिक हिन्दी साहित्यभारतीय साहित्य तथा विश्व साहित्य के इतिहास में बहुत ऊंचे स्थान का अधिकारी बना दिया है। महादेवी ने चित्रकला की कोई विधिवत् शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। बचपन में एक मराठी सज्जन ने उन्हें चित्रकला की प्रारंभिक बातें सीखी दी।

महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 में 24 मार्च को होली के दिन फरुखाबाद में हुआ था। शायद होली का ही असर था कि उनकी तूलिका हमेशा रंग बिरंगी रही। उनकी कविताओं में विषाद और आंसू की जैसी भी घनघटा है,। बातचीत के दौरान स्वजनों के साथ बहुत खुलकर हंसा करती थीं। और कभी-कभी अपने विनोदी स्वभाव का परिचय देने से न हीं चूकती थीं। महादेवी वर्मा के पिताश्री गोविंद प्रसाद वर्मा कालिजियेट स्कूलभागलपुर में कई वर्षों तक हेडमास्टर रहे। महादेवी इसीलिये अक्सर भागलपुर आती रहती थी। लगातार कई दिनों तक रुका करती थींऔर कभी कभार उस स्कूल के छात्रों को पढ़ा भी दिया करती थीं। इसलिये कवयित्री के मन में और उनके भाव-जगत में बिहार प्रवास का संस्कार रचा-बसा हुआ था। उनके लिये बिहार घर-नैहर जैसा था।

महादेवी केवल कवयित्रीचित्रकर्त्री और उत्कृष्ट गद्यलेखिका ही नहीं थीं। वे एक दार्शनिक भी थींसंस्कृत भाषा-साहित्य की परम विदुषी थी। वक्तृत्व कला में निपुण थीश्रंखला की कड़ियों को तोड़ने वाली एक विद्रोहिणी नारी थीं। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली अग्रणी महिला थीशिक्षा शास्त्री थीं।. उन में संगठन करने का अद्भुत कौशल था। और एक छायावादी कवयित्री होकर भी वे अपने समय समाजराष्ट्र और संपूर्ण मानवीय दायित्वों के प्रति अत्यधिक सजग थी।

चांदनी के देश जाने काअभी ता मन नहीं है अश्रु- यह पानी नहीं हैयह व्यथा चंदन नहीं है।।”

किन्तु काल को कौन रोक सकता है कवयित्री की जिजीविषा भी काल को नहीं रोक सकी और बलशाली काल 11 सितंबर 1987 की काली रात में लगभग साढ़े नौ बजे अपना कवल निर्मम ग्रास से भर गया। महादेवी के निधन से हिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति हो गई। मृत्यु जीवन की गति है और दुःख जीवन का सर्वाधिक व्यापक संगीत है। इसलिये मोह महादेवी वर्मा को कभी आच्छन्न नहीं कर सका। तभी तो तरुणाई के दिनों में हीं उन्होंने अनासक्त भाव से लिखा था।

विस्तृत नभ का कोई कोनामेरा न कभी अपना होगापरिचय इतनाइतिहास यहीउमड़ी कल थीमिट आज चली…. ।। ” मौलिकता और विशिष्टता की उस प्रतिभूति को कोटि-कोटि नमन….!

Related post

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025

PIB Delhi —– सांख्यिकी  और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वार्षिक प्रकाशन…
156 एलसीएच, प्रचंड की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 62,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर

156 एलसीएच, प्रचंड की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 62,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों…

PIB —- रक्षा मंत्रालय  ने एक फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की वेट लीजिंग के लिए मेट्रिया मैनेजमेंट…
भारत की कार्बन ऑफसेट योजना धरातल पर उतरी

भारत की कार्बन ऑफसेट योजना धरातल पर उतरी

 PIB Delhi ——- भारत के उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाने की प्रतिबद्धता के तहत, भारत सरकार…

Leave a Reply