- August 12, 2016
हिंगोनिया में गायों की चिकित्सा के पुख्ता इंतजाम
जयपुर, 12 अगस्त। हिंगोनिया के पशु पुर्नवास केन्द्र पर पशुपालन विभाग द्वारा संचालित बहुउद्देशीय पशुचिकित्सालय में गत एक सप्ताह के दौरान 4 हजार 164 गौवंश का उपचार किया जा चुका है। गौवंश के अनवरत 24 घंटे उपचार करने के लिए 17 पशुचिकित्सकों सहित 4 विशेष दल तैनात किए गए हैं। पशुपालन सचिव श्री कुंजीलाल मीणा एवं पशुपालन निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को हिंगोनिया पशु पुर्नवास केन्द्र पर पशु चिकित्सकों द्वारा किए जा रहे उपचार कार्यों का जायजा लिया एवं आवश्यक निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि इस पुर्नवास केन्द्र पर लाए जा रहे समस्त पशुओं की चिकित्सा जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। दुर्घटनाग्रस्त एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित गौवंश का पुर्नवास केन्द्र पर संचालित आईसीयू वार्ड में उपचार किया जा रहा है। बाड़ों में 24 घंटे किया जा रहा है उपचार डॉ. गुप्ता ने बताया कि पशुचिकित्सक दल तीन पारियों में बाड़ों में घूम-घूम कर बीमार गौवंश की जांच एवं उपचार कर रहे हैं। पुर्नवास केन्द्र पर पशुचिकित्सा के लिए आवश्यक सभी दवाईयों की पर्याप्त आपूर्ति भी सुनिश्चित की गई है। पशुचिकित्सकों द्वारा आवश्यकता महसूस होने पर गंभीर बीमार गौवंश का ऑपरेशन किया जा रहा है। अब तक किए गए सभी ऑपरेशनों में गौवंश के पेट में भारी मात्रा में पॉलीथीन निकल रहा है।
पशुपालन निदेशक ने बताया कि गौवंश की बीमारी एवं मृत्यु का सबसे बड़ा कारण उनके पेट में जमा पॉलीथीन एवं अन्य घातक वस्तुएं हैं। कई गौवंश के ऑपरेशन के दौरान उनके पेट से कीलें, कांच एवं अन्य घातक नुकीली वस्तुएं निकल रही हैं। पॉलीथीन के कारण गौवंश खाना भी छोड़ देता है, इस वजह से कुपोषित हो जाने के कारण, उनकी मृत्यु हो जाती है। इसी प्रकार कीलें, कांच एवं नुकीली वस्तुओं से गौवंश के पेट सहित अन्य अंगों में गंभीर घाव भी मृत्यु का कारण बन जाते हैं।
डॉ. गुप्ता ने गौवंश की रक्षा के लिए पॉलीथीन की थैलियों के उपयोग को रोकने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए आम अवाम से विभिन्न खाद्य वस्तुओं को पॉलीथीन की थैली में डालकर फेंकने की प्रवृत्ति बदलने का आग्रह किया है। उन्होंने प्लास्टिक की थैलियों में कूड़ा करकट भरकर खुले में डालने की बजाय, निर्धारित कचरा संग्रहण केन्द्रों में ही डालने की सलाह दी है। –