- December 16, 2017
सड़क पुलाें का डेटाबेस तैयार किया जाएगा – मुख्यमंत्री
नया भारत बनाने के लिए आउट ऑफ बॉक्स सोचें इंजीनियर-अधिकारी
– केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री
जयपुर———— मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने राजस्थान में विभिन्न राजमार्गों पर बने पुलों का सर्वेक्षण कर उनकी सेहत और स्थिति का एक डेटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार इंडियन ब्रिज मैंनेजमेंट सिस्टम (बीआईएमएस) का उपयोग करने को कहा है। उन्होंने कहा इसके आधार पर राज्य की सड़कों पर पुलों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करके उनका जीवनकाल बढ़ाया जा सकेगा।
श्रीमती राजे शुक्रवार को होटल राजपूताना शैरेटन में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रिज स्ट्रक्चर इंजीनियर तथा इंडियन रोड कांग्रेस और राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ’रिपेयर रिहेबिलिटेशन एण्ड रेट्रो फिटिंग ऑफ ब्रिजिज एण्ड स्ट्रक्चर्स’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार के विशेष सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस सत्र को केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी तथा राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री युनूस खान ने भी संबोधित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गडकरी के प्रयासों से राजस्थान देश का सबसे बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क वाला प्रदेश बन गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पिछले तीन सालों में राजस्थान की सड़कों को सुधारने के लिए भरपूर मदद की है। प्रदेश में भौगोलिक परिस्थितियों और अलग-अलग वातावरणीय परिस्थितियों के कारण सड़कों की गुणवत्ता हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन बीते चार वर्षों में हमने इस चुनौती को बखूबी पार पाते हुए अधिक लम्बाई की और अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कों का निर्माण किया है।
श्रीमती राजे ने केन्द्रीय मंत्री द्वारा राज्य की सड़कों पर बने पुलों की देखभाल और मरम्मत के लिए उनके मंत्रालय द्वारा तैयार आईबीएमएस सिस्टम का उपयोग करने के सुझाव को स्वीकार करते हुए राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री और सचिव को इस संदर्भ में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी ने अभियंताओं का आह्वान किया कि अगर नया भारत बनाना है तो पुराने, अप्रासंगिक हो चुके नियम-कायदों, पुरानी पद्धतियों, तौर तरीकोंं को छोड़कर ‘आउट ऑफ बॉक्स’ सोचना होगा। उन्हाेंने कहा कि गलतियोंं के डर से नए प्रयोग करने में घबराएं नहीं, सरकारों के सामने नई सोच के नवाचार लेकर आएं तभी हम मिलकर इक्कीसवीं सदी का नया भारत बना सकते हैं।
श्री गड़करी ने कहा कि आज निर्माण की लागत कम करने और गुणवत्ता बढाने की जरूरत है। उन्होंने स्वीकार किया कि वर्तमान के सरकारी तंत्र में नई सोच पर अपेक्षाकृत काम नहीं किया जाता, जोखिम लेने मेंं अधिकारी और अभियंता बचते हैं, यह स्थिति बदलनी होगी।
रिवर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अधिकारी हिमालय के पानी को कावेरी नदी तक लाने का प्रोजेक्ट तो बनाते हैं लेकिन सागर में व्यर्थ बह जाने वाले गोदावरी के लाखों मीट्रिक टन पानी को रोकने की सोच पर विचार नहीं करते, पाइपों के जरिए पानी को एक नदी से दूसरी मेें ले जाने पर विचार नहीं करते, जबकि यह संभव है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि पुलों के बारे में योजना बनाने में आंकड़ों की कमी बड़ी बाधा थी, जिसके लिए 2015 में इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम (आईबीएमएस) प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया। गणना करने पर दुनिया में पुलों का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार हुआ और 1 लाख 70 हजार पुल रजिस्टर्ड हुए।
इस डेटाबेस के अध्ययन से कई तथ्य सामने आए। इनमेें 23 पुल 100 साल पुराने और 1628 पुल 50 साल पुराने हैं। उन्होंने कहा कि 147 पुलों की हालत खराब थी, जिन्हें प्राथमिकता से लिया गया एवं 6700 पुल सुधारे जाने की आवश्यकता है।
श्री गडकरी ने राजस्थान को भी सुझाव दिया कि आईबीएमएस का सॉफ्टवेयर एवं मॉनिटरिंग तकनीक लेकर डेटाबेस तैयार करें और अपनी सड़कों पर बने सभी पुलों का बायोडाटा तैयार कर उनका उचित रखरखाव सुनिश्चित करें। तभी महाराष्ट्र की सावित्री नदी जैसी दुर्घटनाएं रोकी जा सकेंगी।
उन्होंने बताया कि अब पुराने पुलों पर स्वचालित दरवाजे लगाकर उनके जरिए पानी रोकने का काम करके सड़कों के आसपास भूमिगत जलस्तर में वृद्धि करने और नए पुलों को भी बांधों की तरह उपयोग में लाने का काम किया जाएगा।
राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री युनूस खान ने विदेशों एवं देश के विभिन्न हिस्सों से सेमिनार में पधारे प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंंने राजस्थान की सड़क परियोजनाओंं में विशेष रुचि लेने एवं सहयोग के लिए केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव पीडब्ल्यूडी श्री आलोक, मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव श्री सी.एल. वर्मा, मुख्य अभियंता एनएच श्री अनिल गर्ग, आईएनजी-आईएबीएसई के अध्यक्ष एवं नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के तकनीकी सदस्य श्री डी.ओ. तावडे़, भारत सरकार के स्पेशल सेक्रेटरी एवं डीजी रोड डवलपमेंट श्री मनोज कुमार, आईआरसी के मेम्बर सेके्रटरी एवं सेक्रेटरी जनरल श्री एस.के. निर्मल, 11 देशोें से आए विषय विशेषज्ञ, केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा गणमान्यजन उपस्थित थे।