- December 24, 2015
स्वास्थ्य योजनाओं के कार्य निर्धारित समय अवधि में पूर्ण करें -चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर – चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत किए जा रहे समस्त कार्य निर्धारित समय अवधि में पूर्ण करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। इन कार्याें में लापरवाही बरतने वालों के विरूद्व नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाएगी।
श्री राठौड़ बुधवार को यहां अपरान्ह स्वास्थ्य भवन में आयोजित विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के तहत संचालित सभी योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की एवं आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने नि:शुल्क दवा योजना तथा नि:शुल्क जांच योजना के तहत निर्धारित सभी दवाईयों की उपलब्धता एवं समय पर जांच की पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्वीकृत मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूरा करवाने के लिए नियमित रूप से मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए।
चिकित्सा मंत्री ने मेडिकल कॉलेज के निर्माण एवं संबद्व चिकित्सालयों के उन्नयन का कार्य की विस्तृत कार्य योजना 30 दिसम्बर तक अनुमोदित करवा कर 15 फरवरी से समस्त कार्य प्रारम्भ करने के निर्देश दिए। इन मेडिकल कॉलेजों की चार दीवारी का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण किया जा चुका है। उन्होंने निर्माण कार्यों एवं उन्नयन कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। इन निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए स्वास्थ्य विभाग के मुख्य अभियंता को हिदायत दी गई।
285 करोड़ के निर्माण कार्य पूर्ण
श्री राठौड़ ने स्वास्थ्य योजनाओं के तहत संचालित विभिन्न निर्माण कार्यों की विस्तार से समीक्षा की। मुख्य अभियंता श्री नागेश शर्मा ने बताया कि वर्तमान में संचालित कुल 772 निर्माण कार्यों के लिए 383 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत है एवं इनमें से 285 करोड़ राशि के निर्माण कार्य पूर्ण करवाए जा चुके है। निर्धारित 100 बैडेस के चिकित्सालयों के स्वीकृत 22 कार्यों में से 11 पूर्ण करवाए जा चुके है एवं शेष 11 मार्च तक पूर्ण करवा लिए जाएगें। इसी प्रकार 50 बैड के 15 स्वीकृत कार्यों में से 14 कार्य पूर्ण करवाए जा चुके है। प्रीफेब के तहत स्वीकृत 919 में से 548 कार्य शीघ्र ही पूर्ण हो रहे है। इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के समीप बनाई जा रही धर्मशालाओं के 14 कार्यों में से 13 कार्य पूर्ण करवाए जा चुके है।
समीक्षा बैठक में मिशन निदेशक एनएचएम श्री नवीन जैन, अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ.नीरज के पवन, राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक श्री ओमप्रकाश कसेरा, संयुक्त सचिव डॉ. एस पी सिंह, निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ. बी आर मीणा, निदेशक आरसीएच डॉ. वी के माथुर सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।
जयपुर अरबन आई-हैल्थ प्रोजेक्ट का शुभारम्भ
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने जवाहर नगर सेक्टर चार के सामुदायिक केन्द्र में राष्टीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत साईट सेवर्स के सहयोग से भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित जयपुर अरबन आई-हैल्थ प्रोजेक्ट का शुभारम्भ किया ।
श्री राठौड़ ने शहरी कच्ची बस्तियों में नेत्र चिकित्सा की देखभाल हेतु आवश्यक सुविधाएं सुलभ कराने के इस प्रोजेक्ट की सराहना की। उन्होंने कहा कि नेत्र मनुष्य के शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है एवं नेत्रों के द्वारा ही ईश्वर द्वारा बनायी दुनिया का दिग्दर्शन होता है।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में अंधता की वर्तमान दर एक प्रतिशत को कम कर 0.34 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। वर्ष 1979 में राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम प्रारम्भ करते समय देश की कुल जनंसख्या का लगभग 1.4 प्रतिशत हिस्सा नेत्र हीनता का शिकार था तथा इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 तक नेत्रहीनता को कम कर 0.3 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान तथ्यों के अनुसार राजस्थान में लगभग एक लाख व्यक्ति विभिन्न कारणों से नेत्रों की समस्या से ग्रस्त हैं।
श्री राठौड़ ने बताया कि सूदूर गॉवों में घर के नजदीक आंखों के ऑपरेशन की सुविधा सुलभ कराने के लिए प्रत्येक जिले में मेडिकल रिलीफ सोसायटी को नेत्र शिविर लगाने की अनुमति दी गयी है। राज्य में 85 स्वयंसेवी संस्थाओं को नि:शुल्क मोतियाबिन्द ऑपरेशन करने हेतु अधिकृत किया जा चुका है। प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों की दृष्टि से जांच कर दृष्टिदोषित बच्चों को नि:शुल्क चश्मों का वितरण किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में 2 लाख 36 हजार 797 बच्चों की जांच की गयी एवं 21 हजार 49 बच्चों में नेत्र सम्बद्घ दोष पाये गये। इनमें से 19 हजार 460 को नि:शुल्क चश्में वितरित किये गये।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष एक लाख कोर्निया की जरूरत होती है एवं मात्र 25 हजार कोर्निया ही प्रत्यारोपित हो पाते हैं। उन्होंने इसे ध्यान में रखते हुए नेत्रदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ. नीरज के पवन ने बताया कि शहरी कच्ची बस्तियों में गठित महिला आरोग्य समितियों द्वारा अंधता निवारण के साथ ही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु व्यापक कार्य किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जयपुर अरबन आई-हैल्थ प्रोजेक्ट के तहत शहरी की 100 कच्ची बस्तियों में अंधता निवारण हेतु आवश्यक प्रयास किये जायेंगे।
भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट के डॉ अशोक अग्रवाल ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा जवाहर नगर व शास्त्रीनगर कच्ची बस्ती में दो विजन सेन्टर स्थापित किये जा चुके है एवं वर्ष 2016 में 4 विजन सेन्टर और स्थापित किये जा रहे हैं।
साईट सेवर्स के श्री आर एन मोहंती ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लगभग 15 हजार व्यक्तियों की आई-स्क्रीनिंग कर लगभग एक हजार व्यक्तियों की आई-सर्जरी और लगभग 2 हजार को चश्में वितरण का कार्य भी किया जाएगा।
चिकित्सा मंत्री ने किया पेटिंग प्रदर्शनी का अवलोकन किया
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने बुधवार को शाम जवाहर कला केन्द्र में आयोजित पेटिंग प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं कलाकारों द्वारा प्रदर्शित कला की सराहना की।
श्री राठौड़ ने प्रदर्शनी में प्रदर्शित 12 कलाकारों के लगभग 60 पेटिंग्स का अवलोकन किया। इन पेटिंग्स में मॉर्डन ऑर्ट, रियल ऑर्ट, मिनिचर सहित विभिन्न प्रकार की पेटिंग्स शामिल है। उन्होंने श्रीमती विनीता माटीवाल एवं अन्य कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये।
ओजस सॉॅफ्टवेयर से पांच माह में 2 लाख 80 हजार प्रसूताओं को मिला लाभ
प्रदेश में इस वर्ष अगस्त माह से प्रारम्भ हुए ओजस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जननी सुरक्षा योजना के तहत 2 लाख 80 हजार प्रसूताओं को देय 39 करोड़ 62 लाख रूपए राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है।
मिशन निदेशक एनएचएम श्री नवीन जैन की अध्यक्षता में बुधवार को ओजस सॉफ्टवेयर से किए जा रहे ऑनलाईन परिलाभ की संभागवार समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी गयी। ओजस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अगस्त माह से अब तक 2 लाख 80 हजार प्रसूताओं को जेएसवाई के साथ ही एक लाख 39 हजार प्रसूताओं को शुभलक्ष्मी योजना में 29 करोड़ 24 लाख का परिलाभ उनके खातों में हस्तान्तरित कर दिया गया है।
श्री जैन ने बताया कि ओजस सॉफ्वेयर से किए जा रहे समस्त भुगतानों की जिलेवार सूचनाएं ऑनलाईन देखी जा सकती है। उन्होंने सभी संभागीय सयुक्त् निदेशकों से अपने-अपने संभाग की जिलेवार सूचनाओं की नियमित रूप से समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने ऑनलाइन परिलाभ का रिकॉर्ड संधारण, नियमित पर्यवेक्षण, लेखा व वित नियमों की पालना के बारे में भी आवश्यक निर्देश दिए।
मिशन निदेशक ने बताया कि ओजस सॉफ्टवेयर के माध्यम से किए जा रहे भुगतान से प्रदेश में बालिका जन्म के बारे में भी सही तथ्य प्राप्त हो रहे है। गत पांच माह के दौरान जननी सुरक्षा योजना के तहत कुल 2 लाख 80 हजार प्रसूताओं ने लाभ प्राप्त किया एवं इनमें से एक लाख 39 हजार प्रसूताओं को जीवित बालिका जन्म पर शुभलक्ष्मी योजना का भी लाभ प्रदान किया गया है। इन तथ्यों से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रदेश में जन्म के समय का लिंगानुपात अब लगभग बराबरी पर आ गया है।
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