स्वाईन फ्लू : दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करें

स्वाईन फ्लू : दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित  करें

राज्य सरकार ने  स्वाईन फ्लू से बचाव और बीमारी पर नियंत्रण के लिए  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी सतर्कतामूलक कदम उठाने और सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा इस संबंध में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेजों के संयुक्त संचालक-सह-अधीक्षकों, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सभी सरकारी जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन-सह-अस्पताल अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

संचालनालय के परिपत्र में इन अधिकारियों से कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इन्फ्यूलेंजा ए.एच1 एन1 पेन्डेमिक रूप से विभिन्न देशों में प्रसारित है। भारत में 13 मई 2008 को इसके पहली रिपोर्ट मिली थी। वर्ष 2015 में देश के विभिन्न राज्यों से प्रकरण सामने आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण वर्तमान परिवहन विकास तथा एक राज्य से दूसरे राज्य अथवा दूसरे शहरों में आवागमन भी है। जिससे प्रभावित मरीजों से सम्पर्क बढ़ जाता है। राज्य में इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने अपने परिपत्र में स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1 इन्फ्लूएंजा-ए) से बचाव के लिए लोगों को भी विशेष रूप से सावधानी बरतने की अपील की है। लोगों से यह भी अपील की गई है कि वे बीमारी का लक्षण दिखने पर किसी भी स्थिति में न घबराएं बल्कि इलाज के लिए तत्काल नजदीकी अस्पताल से सम्पर्क करें। तेज बुखार, ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू के हो सकते हैं। ऐसे लक्षण होने पर 48 घण्टे के भीतर जांच शुरू हो जानी चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग के आरोग्य परामर्श केन्द्र के टोल फ्री नम्बर 104 पर भी स्वाइन फ्लू के बारे में निःशुल्क जानकारी प्राप्त की जा सकती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में अब तक स्वाईन फ्लू के 27 प्रकरण दर्ज हुए हैं । इनमें 25 पुराने और दो नये प्रकरण शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसमें ए केटेगिरी के तीन, बी केटेगिरी के 11 और सी केटेगिरी के 13 प्रकरण है। वर्तमान स्थिति में लैब रिपोर्ट के अनुसार तीन प्रकरण पाजिटिव और एक प्रकरण निगेटिव तथा 16 प्रकरण जांच के लिए लैब भेजा गया है।

आज 15 अक्टूबर की स्थिति में एक मौत हुई है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के अस्पतालों रामकृष्ण केयर अस्पताल में 13, एम.एम.आई. अस्पताल रायपुर में दो, डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में एक, श्री बालाजी सुपर स्पेश्यिलिटी रायपुर में एक, अपोलो अस्पताल बिलासपुर में सात, एकता अस्पताल में एक,  और सिम्स बिलासपुर में एक मरीज भर्ती हैं। इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि बीमारी से डरना नहीं चाहिए, बल्कि इलाज कराना चाहिए। बीमारी से बचाव के लिए सलाह दी गई है कि प्रत्येक जिले के सरकारी अस्पतालों सहित निजी अस्पतालों में भी स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए मरीजों की स्क्रीनिंग तथा भर्ती हेतु अलग कक्ष स्थापित किया जाए।

स्वास्थ्य विभाग के परिपत्र में कहा गया है कि संभावित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के दौरान ट्रिपल लेयर मास्क का उपयोग किया जाए। नाक और मुंह को छींक आने पर ढका होना चाहिए। एम्बुलेंस ड्राईवर तथा मरीज को पृथक रखा जाए। ड्राईवर तथा सहयोगी द्वारा भी एन 95 मास्क ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क का उपयोग किया जाए। एम्बुलेंस को सोडियम हाइपोक्लोराईड अथवा क्वाटरनरी अमोनियम कम्पाउंड द्वारा इस्टरलाईज्ड किया जाए। अस्पतालों के ओ.पी.डी. में संभावित या संदेहास्पद मरीजों का पंजीयन अलग से किया जाए और उन्हें सीधे निर्धारित ओ.पी.डी. में भेजा जाए।

आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे भीड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने के पहले अपने मुंह और नाक पर कव्हर का प्रयोग करें। हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोए। सर्दी-खासी से बचाव के संबंध में बच्चों को भी सलाह दी जाए।

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