- November 28, 2015
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना( जीएमएस) : खुदरा निवेशकों का भारी समर्थन
खुदरा निवेशकों का भारी समर्थन 917 किलो सोना के लिए बैंकों और डाक घरों को 63000 आवेदनों से 246.20 करोड़ रुपये
सावभौम स्वर्ण बांड योजना(एसजीबी)
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ठोस सोने की मांग को कम करना है और प्रत्येक वर्ष आयातित सोने के एक हिस्से को स्वर्ण बांडों के माध्यम से निवेश के उद्देश्य से वित्तीय बचत में लगाना है।
एसजीबी का पहला भाग भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक ने 5 नवंबर, 2015 को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और निर्दिष्ट डाक घरों में ई- कुबेर प्रणाली से जारी किया था। वित्त वर्ष 2015-16 में इसके और हिस्से जारी किए जाएंगे।
इस योजना को खुदरा निवेशकों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ। आंकड़ों के अनुसार 917 किलो सोना के लिए बैंकों और डाक घरों को 63000 आवेदनों से 246.20 करोड़ रुपये मिले । खुदरा निवेशक इस योजना के फोकस रहे हैं। निवेशकों के भारी समर्थन से यह आशा की जाती है कि बांड के अगले भागों को जारी करने पर भी लोगों का समर्थन मिलेगा।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना(जीएमएस)
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना लोगों को सोने को मुद्रा में बदलने के विभिन्न विकल्प देती है। विचार यह है कि घरों में तथा संस्थानों के पास पड़े सोने का उत्पादक उपयोग किया जाए। उद्देश्य घरेलू मांग पूरी करने के लिए सोने के आयात पर निर्भरता कम करना है।
अभी 33 संग्रहण तथा शुद्धता जांच केंद्र हैं और योजना में पांच रिफाइनरियों को भी अधिसूचित किया गया है। इसके परिणाम के रूप में बैंकों , सीपीटीसी तथा रिफाइनर के बीच कुछ त्रिपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रारंभ में योजना के प्रति धीमे समर्थन के बाद आर्थिक मामलों के विभाग में सभी हित धारकों की बैठक हुई और इसमें योजना से संबंधित निम्नलिखित निर्णय लिए गएः –
• जहां बैंको को स्वीकार्य हो, सोना जमा कराने वाले संग्रहण और शुद्धता जांच केंद्रों को शामिल किए बिना सीधे तौर पर सोना रिफाइनर को दे सकते हैं। इससे अविभाजित हिन्दू परिवारों और संस्थानों जैसे जमाकर्ताओं को योजना में शामिल होने का प्रोत्साहन मिलेगा।
• जांच , परिवहन , रिफाइनिंग तथा संग्रहण और शुद्धता जांच केंद्रों पर भंडारण सेवाओं के लिए तथा रिफाइनरी के मध्यकालिक और दीर्घकालिक सरकारी जमा के लिए फीस पुनर्भुगतान वास्तविकता के आधार पर किया जाएगा ताकि बैंकों को कोई संदेह नही रहे।
• कर संबंधी धारा को स्पष्ट करते हुए एक सर्कुलर प्रकाशित किया जा रहा है । इससे स्पष्ट होगा कि उपभोक्ताओं को आय कर तथा कैपीटल गेन टैक्स पर टैक्स छूट मिलेगी।
• बीआईएस , 2015 तक 55 संग्रहण और शुद्धता जांच केंद्रों का पंजीकरण पूरा कर लेगा। बीआईएस ने अपनी वेब साइट पर 13,000 से अधिक लाइसेंसशुदा ज्वेलरों से सीपीटीसी के रूप में काम करने के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। इसमें बीआईएस की लाइसेंसशुदा रिफाइनरियों के साथ गठजोड़ का प्रावधान है।
• बीआईएस ने एनएबीएल एक्रेडिटेशन वाली रिफाइनरियों की लाइसेंसिंग शतों में सुधार किया है। अब तीन वर्ष के रिफाइनरी अनुभव के स्थान पर एक वर्ष का रिफाइनरी अनुभव का प्रावधान किया गया है। इससे लाइसेंसशुदा रिफाऩरों की संख्या लगभग 20 बढ़ जाएगी।
• सरकार जमाकर्ताओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रिंट मीडिया , सोशल मीडिया, रेडियो और टेलीविजन पर अभियान चलाएगी।