- February 6, 2016
स्वरोजगार की दिशा में बड़ा कदम आत्मा योजनांतर्गत निःशुल्क चूजे
रीनू/मारकण्डेय ————————–मुर्गीपालन भी स्वरोजगार की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है ये साबित किया है मुंगेली जिले के विकासखण्ड पथरिया स्थित हथनीकला गांव की मां रेवा नर्मदा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने। एक समय रोजी-मजदूरी कर परिवार का मुश्किल से पालनपोषण कर रही इन महिलाओं को कृषि विभाग की आत्मा योजना ने एक नयी दिशा दी है। इस समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी,इनमें से कुछ पिछड़े समुदायों से भी थीं।
समूह की महिलाओं ने बताया कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा गांव में संपर्क जानकारी दी गई कि शासन द्वारा महिलाओं के कल्याण, उत्थान एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पशुपालन विभाग से उन्हें आत्मा योजना के बारे पता चलने पर मुर्गीपालन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की प्रेरणा मिली। विभाग के मार्गदर्शन में समूह की महिलाओं ने मुर्गीपालन कर स्वरोजगार की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ाया।
पशुपालन विभाग में संचालित आत्मा योजना के तहत सांसद आदर्श ग्राम हथनीकला में मां रेवा नर्मदा स्व सहायता समूह की 5 महिलाओं को 40-40 चूजे निःशुल्क दिये गये। इन चूजों से स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपने-अपने घरों में मुर्गीपालन का कार्य शुरू किया। चूजे से बढ़े मुर्गे-मुर्गियों को बेचने से महिलाओं को एक माह में 4 हजार से 5 हजार रूपये तक आमदनी हुई जिससे वे काफी उत्साहित एवं खुश हैं।
मां रेवा नर्मदा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी ठाकुर ने बताया कि विभाग द्वारा दिये गये चूजों को रखने एवं बढ़ाने की चिंता थी लेकिन उन्होेंने हिम्मत नहीं हारी। समूह की महिलाओं ने अपने घरों के छोटे कमरे में मुर्गी के बच्चे को रखने की व्यवस्था की। एक माह के भीतर मुर्गी बेचने लायक हो गई।
उन्होने बताया कि अभी समूह की 5 महिलाओं को चूजे प्रदान किये गये हैं। समूह की अन्य महिलाएं भी मुर्गीपालन कर अपनी आय बढ़ाना चाहती हैं,उन्हें भी योजना के तहत चूजे दिये जाएंगे। मुर्गी पालन कर रही महिलाओं ने बताया कि आत्मा योजना के तहत निःशुल्क जाली, बिजली, चारा एवं चारा रखने का बर्तन भी प्रदान किया गया है, इससे मुर्गीपालन में सहूलियत हो रही है।
आत्मा योजनांतर्गत निःशुल्क चूजे देने के लिए समूह की महिलाओं ने शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि मुर्गीपालन से हमें अतिरिक्त आय का जरिया मिल गया है। इससे उनकी माली हालत में सुधार आया है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया गया कि मुर्गीपालन से ये महिलाएं आत्मनिर्भर की ओर आगे बढ़ रही हैं। वे मुर्गीपालन व्यवसाय को और आगे बढ़ाना चाहती है ताकि स्थायी रूप से अधिक आय का जरिया बन सके।