- August 2, 2018
स्वतंत्रता दिवस– धारा 144 लागू — लिंगानुपात 872 प्रति हजार
पानीपत — जिलाधीश सुमेधा कटारिया ने आगामी 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह के दृष्टिगत और अतिसंवेदनशीलता को देखते हुए दण्ड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत पानीपत रिफाईनरी और पेट्रो कैमिकल कॉम्पलैक्स के 500 मीटर के दायरे में 5 या इससे अधिक आदमियों के इक्कठा होने, किसी भी धरना प्रदर्शन करने पर पाबंदी लगाने के आदेश जारी किए हैं।
आदेशानुसार किसी व्यक्ति द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी।
**कन्याओं की घटती संख्या एक प्रश्र चिन्ह** — आधुनिक शिक्षित व विकसित युग में भी यदि लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसी अमानवीय बुराईयों को अंजाम देते हैं तो इसे क्या कहा जाएगा ?
कन्याओं की घटती संख्या ने समाज के भविष्य के अस्तित्व के सामने एक प्रश्र चिन्ह खड़ा कर दिया है,और वो भी जब पानीपत की सरजमीं से देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध पूरी दुनिया को अपना संदेश प्रेषित किया था।
लोगों की पुरूष प्रधान समाज की मान्यता को तोडऩे के लिए सरकार की प्रचार एजैन्सियां भी समय-समय पर सभी गांवों व कालोनियों में कन्या भू्रण हत्या के विरूद्ध आगाह करती है। इसके परिणामस्वरूप कन्या भ्रूण हत्या का गुणा भाग लोगों को समझ आने लगा है।
हमारे देश व प्रदेश के इतिहास ने उच्च पदों पर महिलाओं को आरूढ करके विश्व के सामने उदाहरण पेश किया है। फिर इस दौर में भी लड़के के जन्म की अधिक चाह क्यों?
क्या लड़कियों की बेसुमार उपलब्धियों ने उनके परिवार, जिला, प्रदेश या देश के नाम को गौरवान्वित नहीं किया है? आजकल तो सात फेरे लेने के समय लड़कियां भी लड़कों वाले रस्म-रिवाज अपनाकर अपने आप को समाज में लड़कों से मजबूत आंक रही है।
उपायुक्त सुमेधा कटारिया के अनुसार समाज को इन उदाहरणों से सबक लेना चाहिए।
पानीपत में वर्तमान में करीब 872 का आंकड़ा लिंगानुपात का हो गया है, हालांकि यह कम है लेकिन अधिकारियों का टीम वर्क इसे और ऊपर ले जाने में कोई कसर नही छोड़ रहा।
कन्याओं को बढ़ावा देने के उददेश्य से विवाह अवसर पर 8 वां फेरा व कुॅआ पूजन की नई परम्परा समाज में जागृति लाएगी।
इन मान्यताओं के प्रचार-प्रसार के फलस्वरूप तथा लड़कियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां हासिल करने का इतिहास रचने के कारण हमें आशा हीं नहीं वरन् विश्वास करना होगा कि आने वाले समय में समाज की तस्वीर बदलेगी।