• February 6, 2019

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)—किश्त की बकाया 400 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)—किश्त की बकाया 400 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत

जयपुर———–राजस्थान को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत केन्द्र में बकाया दूसरी किश्त की 400 करोड़ रुपये की राशि जारी किए जाने की स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन में ही प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन राशि के रूप में केन्द्र द्वारा लगभग 300 करोड़ रुपये का अनुदान दिए जाने पर भी सहमति बनी है।

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को नई दिल्ली के सी.जी.ओ. कॉम्पलेक्स में केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती से मुलाकात कर पानी की कमी वाले प्रदेश की महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए केन्द्र सरकार से त्वरित कार्यवाही और आवश्यक वित्तीय मदद दिलवाने का आग्रह किया।

मुलाकात के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने बाह्य सहायता के लिए राज्य की लगभग 4000 करोड़ रुपये लागत की वृहत परियोजनाओं के लिए भी मदद प्रदान करने की सहमति प्रदान की। इससे राज्य सरकार की जोधपुर लिफ्ट परियोजना फेज-3 और जयपुर बीसलपुर परियोजना के द्वितीय चरण के वित्तीय पोषण की व्यवस्था हो जाएगी। बैठक के दौरान केन्द्रीय मंत्री सुश्री भारती ने स्वीकार किया कि राजस्थान देश में पेयजल की दृष्टि से सबसे संकटग्रस्त प्रदेशों में से एक है और तद्संबंधित योजनाओं के लिए मदद का पूर्णरूप से अधिकारी है।

भेंट के दौरान श्री गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री से बीसलपुर बांध को ब्राह्मणीनदी से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त बाह्य सहायता के रूप में 25 हजार 111 करोड़ रुपये की विशेष सहायता उपलब्ध करवाने और जयपुर शहर की पेयजल समस्या के स्थायी समाधान के लिए बीसलपुर-जयपुर पेयजल आपूर्ति परियोजना के द्वितीय चरण के लिए विशेष सहायता के रुप में 884 करोड़ रुपये की केन्द्रीय मदद उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया।

उन्हाेंने बताया कि राजस्थान में सतत् रूप से जल उपलब्ध कराने वाले पेयजल स्त्रोत पर्याप्त नहीं है, इसलिए प्रदेश के निवासी मुख्यतः वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन पर निर्भर है, रेगिस्तानी एवं पहाड़ी इलाकों में आबादी के कम घनत्व के कारण प्रत्येक व्यक्ति तक पेयजल पहुचाने में परियोजनाओं की लागत बढ़ जाती है।

श्री गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना तथा नर्मदा नहर पर आधारित पेयजल परियोजनाओं के लिए केन्द्रीय मदद की जरूरत बताई।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल (एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी.) कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 655 करोड़ रूपये मिलने की आशा है। जबकि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी. के अन्तर्गत राज्य की स्टेट लेवल स्कीम सेक्शनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृत की गई योजनाओ के बकाया दायित्व 5925 करोड़ रूपये है। बकाया देनदारियों को देखते हुए राज्य को केन्द्र सरकार द्वारा कम से कम 2 हजार करोड़ रूपये का आवंटन किया जाना चाहिए।

फ्लोराईड प्रभावित क्षेत्रों के लिए हिस्सेदारी का अनुपात बदला जाए

श्री गहलोत ने प्रदेश के फ्लोराईड प्रभावित इलाकों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र एवं राज्य से हिस्सेदारी का अनुपात 50ः50 प्रतिशत करने की मांग रखते हुए बताया कि वर्तमान में फ्लोराईड प्रभावित गांवो एवं ढाणियों में स्वच्छ पेयजल पहुचाने की परियोजनाओं के लिए राज्य को 1746 करोड़ रूपये खर्च करने पड़ेंगे, जो कि लगभग 87 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

प्रदेश को सतही स्त्रोत आधारित परियोजनाओं में सम्पूर्ण परियोजना की लागत की 4 प्रतिशत राशि ही प्राप्त हो सकेगी। अतः प्रदेश के सीमित वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत भारत सरकार के दिशा-निर्देशों पर पुनर्विचार कर सतही स्रोत पर आधारित परियोजनाओं के लिए केन्द्र एवं राज्य को बराबर हिस्सेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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